Author: Krishna Bihari Mishra

अपनी बात

बदल रहा देश, अब धनतेरस में चरित्र व स्वास्थ्य पर नहीं ध्यान देता, वो कार-मोटरसाइकिल, सोने-चांदी की खरीद में ही सुख ढूंढने लगा है

कल धनतेरस था। बाजार में बहुत भीड़ थी। बर्तन की दुकानों से ज्यादा, सोने-चांदी, हीरे-जवाहरात की दुकानों पर ज्यादा भीड़ नजर आई और फिर जो भीड़ बची, वह मोटरसाइकिल व कारों की दुकानों पर देखी गई। जिसके पास जितने अधिक पैसे, लोग उसका उतना ही प्रदर्शन करने में लगे थे। मोटरसाइकिलों व कारों की खरीदनें में भी लोग इस बात का ध्यान रख रहे थे, कि कौन कितनी महंगी मोटरसाइकिल व कार खरीद कर, एक दूसरे की छुट्टी कर रहा है।

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अपनी बात

गांठ बांध लीजिये, बिहार की जनता के मन-मस्तिष्क में चल रहे उथल-पुथल को टटोल पाना आसां नहीं, नामुमकिन हैं

बिहार की जनता ने जनादेश दे दिया है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को अगले पांच साल के लिए फिर से सत्ता मिली है, जबकि महागठबंधन को फिर से विपक्ष में रहकर सरकार के काम-काज पर नजर रखने की जिम्मेदारी भी डाल दी गई है, हालांकि महागठबंधन अभी भी इस हार को पचाने को तैयार नहीं है, उसे लगता है कि इवीएम तथा प्रशासनिक अधिकारियों ने महागठबंधन की जीत में खलनायक की भूमिका अदाकर दी है, इधर भाजपा के लोग कुछ ज्यादा ही प्रसन्न है, क्योंकि बिहार में पहली बार भाजपा ने इतनी अधिक सीटें जीती है।

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अपनी बात

कांग्रेसी-वामपंथी विचारधारा से जुड़े पत्रकारों को लगा झटका, सुप्रीम कोर्ट ने अर्नब को दी जमानत, महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ SC की कड़ी टिप्पणी

अर्नब गोस्वामी को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है, पर जमानत की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जो प्रतिक्रिया दी है, वो बताने के लिए काफी है कि अगर कोई सरकार या निचली अदालत गलत फैसले लेगी, तो सुप्रीम कोर्ट उस व्यक्ति को न्याय दिलाने में तनिक भी देर नहीं करेगा। जिस मामले में अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी हुई और उसके बाद ताबड़तोड़ जिस प्रकार महाराष्ट्र सरकार और वहां की पुलिस अर्नब गोस्वामी के खिलाफ केस पर केस दर्ज किये जा रही थी, उनकी ये हरकते बताने के लिए काफी था

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अपनी बात

दुमका-बेरमो की जनता ने कहा उन्हें हेमन्त पसन्द हैं, भाजपा को किया दूर से प्रणाम, सत्तारुढ़ दल की बल्ले-बल्ले

झारखण्ड में विधानसभा की दो सीटों पर हुए उपचुनाव में जिस प्रकार सत्तारुढ़ दल ने सफलता पाई है, उससे साफ जाहिर होता है कि मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के आगे या पीछे भाजपा में कोई ऐसा नेता नहीं, जो वर्तमान में हेमन्त सरकार को चुनौती दे दें। विद्रोही24.कॉम ने पूर्व में ही इस बात की संभावना जाहिर कर दी थी कि जिस प्रकार से भाजपा नेताओं का समूह विलो द बेल्ट झामुमो नेताओं पर प्रहार कर रहा हैं, वो साफ बता रहा है कि आखिर इस राज्य में कौन मजबूत है, सत्तारुढ़ दल या विपक्ष।

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अपनी बात

वाह री सोच, भाजपावाले किसी पत्रकार को झूठे मुकदमे में फंसाकर उसके सम्मान के साथ खेल जाये तो ठीक और दूसरे दलवाले करें तो गलत

उधर अर्नव की गिरफ्तारी हुई और इधर भाजपा को बेचैनी की बीमारी हो गई। भाजपा अर्नव की गिरफ्तारी को आपातकाल से जोड़ रही है, तथा इसका राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश भी कर रही है, जबकि जिन्हें थोड़ी सी भी राजनीतिक समझ है, वे जानते है कि ये नेता व राजनीतिक दल किसी के नहीं होते, बस वे मौके का लाभ उठाना जानते हैं, चाहे वो कोई भी राजनीतिक दल ही क्यों न हो?

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अपनी बात

ये दृश्य आंखों को सुकून देनेवाला/विश्वास दिलानेवाला है कि भारत में किसी भी दल का शासन क्यों न हो, भारत की आत्मा कभी मर नहीं सकती

ये दृश्य आंखों को सुकून देनेवाला, साथ ही विश्वास दिलानेवाला है कि भारत में या भारत के किसी भी राज्य में किसी भी दल का शासन क्यों न हो, भारत की आत्मा कभी मर नहीं सकती, भारत कभी मर नहीं सकता, भारत की मिट्टी से जुड़ा धर्म कभी विलोपित नहीं हो सकता। उसके लिए कोई आसुरी शक्तियां कितनी भी जोड़ क्यों न लगा लें। वर्तमान समय में जब पूरा जनमानस कोरोना वायरस से भयभीत है,

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अपनी बात

अपने विरोधियों के लिए चोट्टा व जनाजा निकालने की बात कहकर भाजपाइयों ने दोनों सीटें झामुमो गठबंधन को सौंप दी

अपने विरोधियों के लिए चोट्टा, आशिकी, जनाजा आदि भाषा का प्रयोग, क्या यह नहीं बताता कि भाजपा के बड़े नेताओं ने स्वीकार कर लिया कि उनके पास चुनाव लड़ने और जीतने को लेकर उनके पास भाषाओं का घोर अभाव है। पूर्व में भाजपा नेताओं की सभाओं में भीड़ इसलिए लगती थी कि उनके नेताओं में अपने विपक्षियों के लिए भी सम्मान हुआ करता था, कभी बिलो द बेल्ट वे वार नहीं किया करते थे, अगर उनके खिलाफ कोई विलो द बेल्ट वार भी करता तो वे मुस्कुराकर रह जाया करते थे, पर अब स्थितियां बिल्कुल बदल गई है।

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अपनी बात

याद रखिये, पवित्र उद्देश्य से प्रारम्भ किया गया छोटा काम भी विशाल और महान बन जाता है

पवित्र उद्देश्य से प्रारंभ किया गया छोटा काम भी कैसे विशाल और महान बन जाता है, इसका उदाहरण है एसइ, एसइसी एंड इसीओ रेलवेज इम्पलाइज कोपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी लि. कोलकाता। जिसकी स्थापना परमहंस योगानन्द के पिता श्री भगवती चरण घोष ने रेलकर्मियों की सुविधा के लिए अरबन बैंक के बतौर 1909 में की थी। सुखद आश्चर्य यह है कि आज की तारीख में इसकी कार्यशील पूंजी 1,757 करोड़ रुपये है।

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अपनी बात

धिक्कार है, उन राजनीतिक दलों, चैनलों-अखबारों को जो लाशों में भी जाति व धर्म देख, अपना उल्लू सीधा करते हैं

 

कभी-कभी मैं सोचता हूं कि कुछ दिनों पहले जैसे कांग्रेस समर्थित शासित महाराष्ट्र में साधुओं की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई, और अब शत प्रतिशत कांग्रेस शासित राजस्थान में एक ब्राह्मण को जिन्दा जला दिया गया, इन दोनों जगहों पर अगर भाजपा का शासन होता और मरनेवालों में कोई दलित या अल्पसंख्यक होता तो क्या देश के अखबारों, चैनलों, पोर्टलों, कांग्रेसियों, वामदलों, जनसंगठनों, तथाकथित स्वयं को सेक्यूलर बतानेवाले लोग इसी तरह चुप्पी साधे रहते?  

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अपनी बात

संपूर्ण क्रांति और जेपी को छोड़िये जी, हम इमरजेंसी में जेल गये, इसलिए पेंशन चाहिए

 

कल की ही तो बात है, पूरे देश में लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती मनाई जा रही थी। उस लोकनायक की, जिन्होंने संपूर्ण क्रांति का नारा दिया। जिन्होंने हर क्षेत्र में नई क्रांति कर, नई सोच के साथ समाज व देश निर्माण की कल्पना की थी, पर उनके मरते ही लोकनायक जयप्रकाश नारायण के चेलों ने क्या किया? सर्वप्रथम उनके आदर्शों का ही गला घोंटा दिया।

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