सरयू राय ने ट्विट कर केन्द्र से लगाई गुहार, महंगाई पर रोक लगाए मोदी सरकार, पूर्व DGP एमवी राव ने भी दिखाई रुचि

महंगाई, चरम पर है। इस महंगाई से सभी प्रभावित है, पर किंकर्तव्यविमूढ़ हैं। किसी को कोई रास्ता ही नहीं सूझ रहा कि इस महंगाई के खिलाफ केन्द्र की मोदी सरकार को कैसे जगाए। कुछ दिन पहले देश में तीन लोकसभा और कई राज्यों के विधानसभा के उपचुनाव हुए, इस उपचुनाव के दौरान लगा था कि जनता महंगाई को लेकर मोदी और उनके गठबंधन से जुड़े दलों को सबक सिखायेगी, पर ऐसा देखने को नहीं मिला।

हिमाचल प्रदेश में तो भाजपा को कड़ा झटका मिला, पर मध्यप्रदेश, असम और बिहार में जैसी इनकी लहर देखने को मिली, उससे नहीं लगता कि महंगाई कोई मुद्दा है, पर झारखण्ड के एक वरिष्ठ निर्दलीय नेता जो कभी भाजपा के थिंक टैंक माने जाते थे, जो कभी पार्टी की घोषणा पत्र तैयार करते थे। आज उन्होंने ट्विटर के माध्यम से महंगाई पर मोदी सरकार को घेरा है।

दीपावली की बधाई देते हुए सरयू राय ने अपने ट्विट में लिखा है कि – माननीय प्रधानमंत्री भाई नरेन्द्र मोदी जी, पेट्रोल/डीजल की कीमत 100 रुपये से नीचे लाइये, दाम बांधिये, महंगाई रोकिये। उन्होंने एक नारा भी दिया है – महंगी रोको, बांधो दाम। हो गया है, जीना हराम।। जिस पर कई लोगों ने टिप्पणियां भी की है। टिप्पणियां करनेवालों में वरिष्ठ पत्रकार, समाजसेवी और राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक भी है।

जैसे ही यह ट्विट सरयू राय ने की। मानकी तुबिद ने इस ट्विट पर गहरा चोट किया और केन्द्र सरकार की खिचाई कर दी। मानकी तुबिद ने लिखा – भैस के आगे बीन बजाए, भैस रही पगुराय वाला कहावत जैसा है राय जी। जिस पर सरयू राय ने बड़ी विनम्रता से एक दोहे की आधी लाइन लिख दी – रसरी आवत जात ते सिल पर पड़त निसान।

कहने का तात्पर्य सरयू राय का था, कि हमें अपना काम करना चाहिए, इसका क्या असर होगा, इस पर ध्यान देने की आवश्यकता नहीं, प्रयास नहीं छोड़ना चाहिए। सरयू राय के दोहे की आधी लाइन की पुरी पंक्तियां इस प्रकार है – करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान। रसरी आवत जात ते, सिल पर पड़त निशान।।

जिस पर उत्सुकतावश झारखण्ड के पूर्व डीजीपी एमवी राव ने लिखा – Sound good but could not comprehend sir. जिसका प्रत्युत्तर वरिष्ठ पत्रकार अन्नी अमृता ने स्पष्ट करते हुए दिया कि “चूंकि भैस के आगे बीन बजाना मतलब कि प्रयास करना बेकार है। ऐसा उपर कहा गया तो उसके हिसाब से सरयू जी ने प्रयास की बात लिखी होगी।”

लिखने का तात्पर्य है कि भले ही चुनाव में हार-जीत किसी का हो, ऐसा नहीं कि महंगाई का मुद्दा देश से गायब है। यह ज्वलंत है। सभी इससे परेशान है। खुशी इस बात की है कि इस मुद्दे को लेकर राजनीतिज्ञ, समाजसेवी, प्रशासनिक अधिकारी, पत्रकार भी सजग हैं और अपनी जिम्मेदारी का निर्वहण कर रहे हैं। अगर केन्द्र सरकार महंगाई पर रोक नहीं लगाई तो हो सकता है कि 2024 में उनकी विदाई भी हो जाये।

पर सुनने में आया है कि केन्द्र सरकार ने आज ही एक ठोस निर्णय लिया है और पेट्रोल पर पांच और डीजल पर दस रुपये कि एक्साइज ड्यूटी घटा दी है, जो कल से लागू होगा, फिर भी हमें नहीं लगता कि सिर्फ इतना कर देने से महंगाई काबू में हो जायेगी, सरकार को और भी कुछ कदम उठायेंगे।