धर्म

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कलयुग में सतयुग लावा, अप्पा हरि गुण गावा, हरिस्मरण से ही कलयुग में आनन्द की प्राप्ति

अभी कलियुग के तो मात्र पांच हजार वर्ष ही बीते हैं, ये कहना कि जल्दी सतयुग आ जायेगा, संभव नहीं, फिर भी अगर आप सतयुग लाना चाहते है, शीघ्र लाना चाहते है, तो उसके लिए बस कलियुग में एक ही उपाय है, हरिस्मरण करिये, उनके गुणों को गाइये, निरन्तर उन पर दृढ़ विश्वास से श्रद्धा के साथ उन्हें पाने की कोशिश करिये, निःसंदेह सतयुग आ जायेगा।

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भाव, गति, विवेक और तत्व का सम्मिश्रण हैं श्रीमद्भागवत, इसमें डूबकी लगाइये, ईश्वर को प्राप्त करिये

रांची के चुटिया अयोध्यापुरी स्थित वृंदावनधाम में आज दूसरे दिन भागवत कथा का आनन्द लेने बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए महाराष्ट्र से पधारे भागवताचार्य संत श्रीमणिष भाईजी महाराज ने कहा कि दरअसल भागवत भाव, गति, विवेक और तत्व का सम्मिश्रण है, जो भागवत में डूबकी लगायेगा, उसे भाव, गति, विवेक और तत्व चारों प्राप्त होंगे और जब ये चारों प्राप्त होंगे तो फिर उस व्यक्ति को ईश्वर प्राप्ति से कोई रोक भी नहीं सकता।

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अगर सभी इच्छाओं का दमन करना हैं तो भागवत कथा में लीन हो जाइये – मणीषभाई

रांची के चुटिया स्थित कतारीबगान में नवनिर्मित वृंदावनधाम में श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के प्रथम दिन कथाश्रवण करने आये श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए महाराष्ट्र से आये भागवताचार्य संतश्री मणीष भाई जी महाराज ने कहा कि इच्छाएं अनन्त है, ये कभी समाप्त नहीं हो सकती, इच्छाओं पर काबू पाने का एक ही मार्ग हैं भगवद्प्राप्ति, अगर आप ईश्वर को प्राप्त कर लेते हैं तो आपकी सारी इच्छाएं समाप्त हो जाती है, आप परमआनन्द को प्राप्त कर लेते हैं।

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रांची स्थित केतारीबगान के नवनिर्मित वृंदावनधाम में श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ की सारी तैयारी पूरी

रांची के चुटिया स्थित एल ए गार्डेन केतारीबगान के ठीक सामने नवनिर्मित वृंदावनधाम में श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ एवं पंचकुंडीय महायज्ञ की आज पूरी तैयारी कर ली गई। पंचकुंडीय महायज्ञ के लिए हवन कुंडों एवं यज्ञस्थल का निर्माण कर लिया गया। श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन, भागवत सेवा समिति, अयोध्यापुरी, चुटिया की ओर से किया जा रहा है। बड़ी संख्या में इस आयोजन में जूटे श्रीमद्भागवत कथा के श्रद्धालुओं की श्रद्धा यहां देखते बन रही है।

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क्या सचमुच धर्म ज्यादातर भरे पेट लोगों की बौद्धिक अय्याशी का विषय है?

कुछ ही दिन पहले की बात है। एक हमारे फेसबुक फ्रेंड ने एक छोटी सी आलेख में लिखा कि धर्म ज्यादातर भरे पेट लोगों की बौद्धिक अय्याशी का विषय है। जिस मित्र ने ये बाते लिखी, उनके बारे में थोड़ा परिचय देना, मैं जरुरी समझता हूं। ये जनाब एक बहुत बड़े चैनल में काम करते हैं। इनके फेसबुक मित्रों की संख्या भी बहुतायत हैं। बहुत अच्छा लिखते हैं। बहुत अच्छा बोलते भी हैं। अच्छे इंसान भी हैं। मैं इन्हें पसंद भी करता हूं।

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भगवान परशुराम का परशु और उनके पद चिह्न देखने के लिए झारखण्ड पधारें

आज भगवान परशुराम जयंती है, पर बहुत कम लोगों को मालूम है कि भगवान परशुराम का संपर्क झारखण्ड से भी हैं। झारखण्ड की राजधानी रांची से करीब 160 किलोमीटर दूर हैं, टांगीनाथ धाम। दरअसल झारखण्ड में परशु यानी फरसे को टांगी कहा जाता है और लोगों का मानना है कि टांगीनाथ धाम में जो टांगी हैं, वह भगवान परशुराम का है और यहां भगवान परशुराम के पदचिह्न भी हैं।

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अक्षय तृतीया के दिन पोंगा-पंथियों, अखबारों-चैनलों के झूठे विज्ञापनों के चक्कर में फंसे तो गये

फिर आया अक्षय तृतीया, इस बार व्यापारियों के साथ-साथ केन्द्र सरकार ने भी जनता को उल्लू बनाने का काम अपने हाथों में ले लिया है। अक्षय तृतीया को देखते हुए केन्द्र सरकार का एक विज्ञापन आया है, उसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का फोटो है, और उसमें लिखा है कि अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर, समृद्धि का युग शुरु करें। विद्रोही 24.कॉम का मानना है कि सोना खरीदने से समृद्धि नहीं आती है। समृद्धि आती है, संस्कार एवं चरित्र को ग्रहण करने से।

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जिसके दाहिने हाथ में हनुमान गुदे हुए हो, वह CM हाथी क्या बहुत कुछ उड़ा सकता है

झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ऐसे तो सारे हिन्दू देवी-देवताओं के फैन है, स्वयं धार्मिक भी हैं, कोई भी काम बिना पूजा-पाठ किये प्रारंभ नहीं करते, उनको जाननेवाले यह भी जानते है कि नित्य-क्रिया के उपरांत उनका कुछ समय पूजा-पाठ में भी जाता है, पर बहुत कम लोग जानते हैं कि अपने मुख्यमंत्री रघुवर दास रामभक्त हनुमान के बहुत बड़े फैन है और उन्हें अपने हनुमान पर बहुत भरोसा भी है।

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इच्छा मृत्यु के बावजूद भी जीवात्मा को परमानन्द की प्राप्ति हो जाय, इसकी गारंटी नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में शुक्रवार को कहा कि गरिमा के साथ मौत एक मौलिक अधिकार है। इसके साथ ही निष्क्रिय इच्छा मृत्यु व लिविंग विल को कानूनी रुप से वैध ठहरा दिया। न्यायालय ने कहा कि असाध्य बीमारी (कोमा में जा चुके या मौत की कगार पर) से ग्रस्त व्यक्ति के लिए निष्क्रिय इच्छा मृत्यु और इच्छा मृत्यु के लिए लिखी गई वसीयत शर्तों के साथ कानूनी रुप से मान्य होगी।

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लो कर लो बात, बाबा वैद्यनाथ को भी अखबारों ने नहीं बख्शा, विवादों में लपेटा

देवघर में सदियों से महापंडित रावण के नाम से जाने जानेवाले अपने बाबा रावणेश्वर वैद्यनाथ को क्या पता था कि आनेवाले समय में उन्हें भी रामजन्मभूमि-बाबरीमस्जिद की तरह विवादों में ला दिया जायेगा, ये तो यहां अपने भक्तों के बीच झार-झंखार में पड़े हुए थे, और मस्ती में प्रतिदिन भांग-धूतरे, जंगलों में नाना प्रकार के फूल-फल प्राप्त कर अपने भक्तों के साथ समाधि में लीन रहा करते थे।

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