अपनी बात

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वे जीते नहीं, आप हारे, क्योंकि आप जहां एक होकर लड़े, वहां झंडा गाड़ा और जहां बिखड़े, साफ हो गये

ऐसा नहीं कि 2019 में मोदी लहर थी, अंडर करंट था, और मोदी ने भारी सफलता अर्जित कर ली, अगर ऐसा था तो केरल, तमिलनाडू, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना आदि राज्यों में मोदी ने क्यों नहीं बाजी मार ली? आपके बगल में ही पड़ोस के राज्य ओड़िशा में नवीन पटनायक ने दुबारा सत्ता कैसे हासिल कर लिया? कल तक एनडीए में रहनेवाले चंद्रबाबू नायडू जब एनडीए छोड़कर अलग हुए,

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अपनी बात

सबका मोदी जी करेंगे बेड़ा पार, उदासी मन काहे को करें, इसलिए सभी मिल कर बोले – हर-हर मोदी, घर-घर मोदी, भर-भर मोदी

चुनाव हो गया, परिणाम आ गये, नये-नये निर्वाचित सांसद दिल्ली पहुंच गये, राजनैतिक पंडित विश्लेषण में लग गये, कि आखिर ऐसा परिणाम कैसे आ गया? वह भी तब, जबकि जनता अपने सांसद से इतनी नाराज थी कि पूछिये मत, कई इलाके तो ऐसे थे, जहां पत्रकार जाते थे, तो लोग अपने सांसद का नाम सुनते ही भड़क जाया करते थे, पर जैसे ही वोट का दिन आया, पता चला कि उक्त सांसद के पक्ष में रिकार्ड मतदान हो गये,

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वाह रे भास्कर, रघुवर भक्ति में इतने लीन हो गये कि पीएम मोदी को रघुवर के सामने बौना बना दिया

देखिये, रांची के एक अखबार को, देखिये आज की पत्रकारिता को, और देखिये अखबारों के मैनेजमेंट को, कि कैसे वह आम जनता की आंखों में धूल झोकता है? पूरा देश जानता है, यहां तक कि बच्चा-बच्चा जानता है कि झारखण्ड ही नहीं, बल्कि पूरे देश में भाजपा के पक्ष में जो भी चुनाव परिणाम आये हैं, उसका अगर कोई श्रेय लेने का हकदार हैं तो वे स्वयं है – प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, न कि कोई ओर।

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यह कैसी पत्रकारिता, जहां हारनेवालों, अलग विचारधारा रखनेवालों के लिए दिल में कोई इज्जत ही नहीं

अब मुझे किसी से पूछने की यह जरुरत नहीं, कि जब हमारे देश के सच्चे सपूत क्रांतिकारी अंग्रेजों के जूल्मों के खिलाफ लड़ते होंगे, और अंग्रेज जब उन्हें निशाना बनाते होंगे, तो अपने ही देश के कुछ लोग यह जरुर कहते होंगे कि इन मूर्खों को क्या जरुरत थी, अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने की, भला अंग्रेजों से कोई जीत सकता हैं, जिनका सूर्य कभी अस्त नहीं होता।

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दिग्विजय जीतेंगे, प्रज्ञा हारेगी, मोदी उल्लू बनाते हैं, ये अब पीएम नहीं बनेंगे का रट लगानेवाले कम्प्यूटर बाबा की निकली हवा

मध्यप्रदेश में हैं एक कम्प्यूटर बाबा, इनके आगे सभी राजनेता सर झूकाते हैं, कभी मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इन्हें राज्य मंत्री का दर्जा दे दिया था, बाद में ये भाजपा से उछलकर कांग्रेस में चले आये। जहां कांग्रेस ने इन्हें अपना स्टार प्रचारक भी बनाया था, हाल ही में ये भोपाल से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की जीत के लिए विशेष अनुष्ठान करना प्रारम्भ किया था

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BJP को मिली सफलता से भाजपा समर्थक पत्रकारों में खुशी की लहर, एक दूसरे को बधाइयां दी, मिठाइयां बांटी

ये नये किस्म की पत्रकारिता है, पहले जो काम पर्दे के अंदर होता था, अब उसे पर्दे के बाहर किया जा रहा हैं, कोई शर्म नहीं, क्या हुआ, अगर कोई जान ही लेगा कि हम भाजपा समर्थक हैं, कम से कम इसी बहाने मोदी या शाह जी की कृपा हो गई, तो हम भी कुछ काम के आदमी बन ही जायेंगे, शायद यहीं कारण रहा कि आज सबेरे से ही भाजपा समर्थक सभी चैनलों में एंकरों, रिपोर्टरों, संपादकों के गाल लाल दिखे, इनके चेहरे पर जनता से ज्यादा खुशियों के भाव दिखे,

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अपनी बात

केदारनाथ-बद्रीविशाल ने मोदी को दिया आशीर्वाद, जनता ने जताया विश्वास और BJP को मिला स्पष्ट बहुमत

यह एक तरह से 2014 की पुनरावृत्ति है। जिस प्रकार से चुनाव परिणाम आ रहे हैं। भारत के मतदाताओं ने नरेन्द्र मोदी पर विश्वास जताया है। कांग्रेस अध्यक्ष के बार-बार यह कहने पर कि अपना चौकीदार चोर हैं, लोगों ने इस नारे को स्वीकार नहीं किया और जनादेश के माध्यम से कह डाला कि अपना चौकीदार नरेन्द्र मोदी शत प्रतिशत ईमानदार है, इसके हाथों देश सुरक्षित हैं, इस पर विश्वास किया जा सकता है।

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गांधी को जिंदा रहने दीजिये, गांधी ही भारत को बचायेंगे, न कि नाथू राम गोडसे

भारत ही एक ऐसा देश है, जहां राम और रावण दोनों की पूजा होती है। यहां तो महादेव राम के नाम से भी जाने जाते है और रावण के नाम से भी। जरा देखिये, दक्षिण में रामेश्वरम् के नाम से तो झारखण्ड के देवघर में रावणेश्वर के नाम से और किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता। यहां तो दुर्गा की भी पूजा होती है और कई ऐसे लोग हैं जो महिषासुर की भी पूजा करते हैं, इससे भी किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता

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जरा कल्पना कीजिये, अगर कल पीएम नरेन्द्र मोदी को जनादेश नहीं मिला तो क्या होगा?

कभी- कभी मैं सोचता हूं कि अगर कल पीएम मोदी को जनादेश नहीं मिला तो क्या होगा? अगर जनादेश मिला भी और उनकी पार्टी को अकेले बहुमत नहीं मिला तो क्या होगा? क्या फिर पीएम मोदी 2014-19 वाली मुद्रा में ताकतवर होंगे या नीतीश कुमार जैसे नेताओं के हाथों की अंगूलियों की कठपुतली बन जायेंगे? फिर भाजपा के धारा 370, समान कानून, राम मंदिर निर्माण का क्या होगा?

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धनबाद-झरिया में बिजली के लिए हाहाकार, पर रघुवर सरकार को इससे कोई मतलब नहीं

धनबाद के भूली और पूरे झरिया में बिजली के लिए हाहाकार हैं, पर रघुवर सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही, यहीं हाल राज्य के अन्य इलाकों में भी हैं, पर वहां की आवाज राज्य सरकार तक नहीं पहुंच रही, अखबारों में पढ़िये तो मुख्यमंत्री रघुवर दास द्वारा इस मामले को लेकर बैठकें जारी है, पर नतीजा सिफर। आज अपने इलाके भूली में हो रहे भीषण बिजली संकट पर धनबाद के भाजपा विधायक राज सिन्हा मुख्यमंत्री रघुवर दास से मिले,

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