अपनी बात

क्या संदीप रांची का होटल अशोका भूल गये, जहां कांग्रेसियों ने आपकी जमकर कुटाई की थी?

कल से एक विडियो खूब वायरल हो रहा है, विडियो एबीपी न्यूज से जुड़ा हैं, जहां सोनभद्र में लोगों से मिलने आई कांग्रेस पार्टी की वरिष्ठ नेता प्रियंका गांधी से एबीपी गंगा का रिपोर्टर धारा 370 से संबंधित एक सवाल पूछता है और प्रियंका द्वारा ना कहने पर, प्रियंका गांधी का सहायक संदीप सिंह, उक्त पत्रकार के साथ बदतमीजी कर बैठता है।

संदीप सिंह, उक्त पत्रकार को कहता है कि तुम को भाजपावालों ने पैसे देकर सवाल पुछने को भेजा है, वो यहीं नहीं रुकता वो कहता है सुनो, सुनो सुनो ठोक के यहां बजा दुंगा, मारुंगा तो गिर जाओगे वह कैमरा पर धक्का मारता है, और ये सब हो रहा हैं, प्रियंका गांधी के सामने, लेकिन वह कुछ भी बोलने या रोकने से भी इनकार करती है, वह धमकी भी देता है। वह रिपोर्टर को धमकाते हुए कहता है कि उसे इन सब चीजों से कोई फर्क नहीं पड़ता।

ये वह संदीप सिंह हैं, जो कभी आइसा से जुड़े थे, वामपंथी विचारधारा इनके दिल में हिलोरें मारती थी, अब सुना है कि वे कांग्रेस पार्टी के लिए काम करते हैं, कुछ लोग उन्हें प्रियंका गांधी का सहायक भी बताते हैं, तो कुछ लोग इन्हें कांग्रेस पार्टी का समर्थक कार्यकर्ता भी बताते हैं, जो लोग इनसे कभी जुड़े थे, वे वामपंथी नेता विद्रोही24.कॉम को कहते हैं कि उनसे कभी लगाव था, जब वो छात्रराजनीति में सक्रिय थे, पर अब वे उनके साथ नहीं हैं।

लेकिन मैं संदीप सिंह को कैसे भूल सकता हूं। उस वक्त मैं ईटीवी रांची में कार्यरत था, होटल अशोका में कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल का प्रेस कांफ्रेस चल रहा था, बड़ी भीड़ थी, वहां ये संदीप सिंह पत्रकार बनकर पहुंच गये और एक सवाल कपिल सिब्बल से पुछ डाला, तभी कांग्रेसियों ने पूछा कि आप किस अखबार या किस चैनल से हैं, संदीप बता नहीं पाये, क्योंकि कांग्रेस के लोग रांची के सारे अखबारों चैनलों के संवाददाताओं से परिचित थे। 

इन कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने देखा कि संदीप पत्रकार होकर, एक पार्टी विशेष के लिए काम कर रहे हैं, इन्हें पकड़ा और होटल अशोका के मुख्य द्वार तक इन्हें पीटते हुए ले गये और जमकर इनकी कुटाई कर दी, इसी बीच एक संवाददाता जो अभी प्रभात खबर में कार्यरत हैं, उसने हमें इन्हें उस वक्त इनकी मदद करने की गुहार लगाई, उसने इनके बारे में हमें विस्तार से बताया, हमने इन्हें बचाने की कोशिश की और लगे हाथों उग्र कांग्रेसियों को समझाया कि हिंसक होना ठीक नहीं, और इन्हें मेकॉन स्थित विवेकानन्द चौक से गाड़ी पकड़कर इन्हें गंतव्य स्थान तक पहुंचवाया। 

अब पता नहीं, संदीप सिंह इस घटना को भूल गये या उन्हें याद भी है। लेकिन आज अच्छा लगा कि वे प्रियंका गांधी के साथ हैं, पर उससे ज्यादा बुरा लगा कि कल के संदीप सिंह और आज के संदीप सिंह में आकाशजमीन का अंतर हैं, कल का संदीप सिंह विद्रोह का स्वर परिवर्तन का आगाज था, उसे देखकर हमें गर्व की अनुभूति हुई थी, पर आज के वहीं संदीप सिंह को देखकर घृणा के भाव जग गये। किसी ने ठीक ही कहा है कि किसी के बारे में सही जानकारी प्राप्त करनी हो, तो बस उसे जो चीज चाहिए, उसे थमा दो, फिर देखो, उसका असली चेहरा तुम्हारे सामने जायेगा।

संदीप सिंह जैसे युवा अगर इस प्रकार की हरकत करते हैं, तो पता नहीं प्रियंका को इनसे क्या लाभ होगा? पर इतना जरुर है कि जो संदीप सिंह बहुत दूर जाना चाहता था, उसमें कल ब्रेक जरुर लग गया, आज के संदीप के उपर एक गुंडा का मुहर जुरुर लग गया, जो कल तक नहीं था।

मैं तो कहूंगा कि संदीप जरा खुद चिन्तन करें, कल जब कांग्रेसी संदीप को जूते से पीट रहे थे, लहुलूहान कर रहे थे, तो उसकी नजर में कांग्रेसी उस वक्त गलत थे और आज वो जो एक पत्रकार के साथ कर रहा था, वो सही कैसे हो गया? प्रियंका गांधी को भी सोचना चाहिए कि भाजपा करें तो गुंडागर्दी और आपके लोग करें तो समाज सेवा कैसे हो गया?