कर्मवीर कुंदन और उसकी पत्नी सुमन के लिए कोई काम छोटा नहीं, काम में ईमानदारी, देश में खुशहाली
इन दिनों मैं अपने जीवन के अंतिम पड़ाव में एक चिरप्रतीक्षित सपने को पूरा करने में लगा हूं। वह सपना है, अपने घर का निर्माण। कुछ बच्चों के पास पैसे थे, कुछ हमने बचा कर रखे थे और कुछ मैंने अपने मित्रों से कर्ज लिये हैं और इस प्रकार मैं अपने सपने को सच करने में लगा हूं। आशा ही नहीं, बल्कि पूर्ण विश्वास है कि ईश्वरीय कृपा से यह कार्य निर्विघ्नता पूर्वक संपन्न हो जायेगा।
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