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एक कम्बल का है सवाल चमके तेरे राजनीति बाबू, चमके व्यापारियों के कारोबार भी दादा

“मैंने अन्तिम बार दो कम्बल 2007 में धनबाद के रणधीर वर्मा चौक पर स्थित खादी ग्रामोद्योग की दुकान से खरीदा था, आज भी है, पर नेताओं द्वारा गरीबों को मिलनेवाला हर साल कम्बल ठीक दूसरे दिन कहां चला जाता है, पता ही नहीं चलता।” आखिर ये माजरा क्या है? लोग या राजनीतिज्ञ या सामाजिक संस्थाएं गरीबों को रजाई या शॉल क्यों नहीं देते? और ये कम्बल जब गरीबों को मिल जाता हैं तो फिर वही कम्बल दूसरे दिन उनके शरीर पर क्यों नहीं दिखता?

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सरकार बदल गई, पर झारखण्ड का IPRD नहीं सुधरा, हेमन्त के शपथ ग्रहण की फोटो साइट पर उपलब्ध नहीं

आम तौर पर देखा जाता है कि जहां भी कही सरकार बदलती है तो सारे विभाग सक्रिय हो जाते हैं, और नई सरकार के अनुरुप कार्य करने प्रारम्भ कर देते हैं, लेकिन राज्य का सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग अभी भी रघुवर शैली को अपनाये हुए हैं, या यो कहें कि रघुवर भक्ति से मुक्त नहीं हो पाया है। अब जरा देखिये, शाम के 6.45 हो गये, मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने मुख्यमंत्री पद की शपथ दोपहर में ही ले ली

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राजनीतिक पराक्रम व शौर्य के साथ पहली बार झारखण्ड में हेमन्त सोरेन के रुप में आदिवासी CM का प्रार्दुभाव

झारखण्ड राज्य निर्माण के 19 साल बाद अपने राजनीतिक पराक्रम व शौर्य के साथ पहली बार झारखण्ड में आदिवासी मुख्यमंत्री का प्रार्दुभाव हुआ। नाम है – हेमन्त सोरेन। जिन्होंने आज 11 वें मुख्यमंत्री के रुप में पद एवं गोपनीयता की शपथ ली। ऐसे तो राज्य में बाबू लाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, शिबू सोरेन, मधु कोड़ा एवं खुद हेमन्त सोरेन भी मुख्यमंत्री बन चुके हैं, पर इनमें ज्यादातर नेता केन्द्र या राष्ट्रीय पार्टियों की कृपा पर मुख्यमंत्री बने।

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CM आवास में पिछले चार वर्षों से हर 28 दिसम्बर को मनाये जा रहे “रघुवर पर्व” पर हेमन्त ने लगाया ब्रेक

आज 28 दिसम्बर है, भला कौन भूल सकता है कि आज के दिन रघुवर दास के शासनकाल के दौरान राजधानी रांची में क्या होता था? या पूरे झारखण्ड में आज के दिन को कैसे सेलिब्रेट किया जाता था? मुख्यमंत्री आवास में किस प्रकार के आयोजन होते थे, यानी काम-धाम कुछ नहीं और जनता के सामने ढिंढोरा खूब पीटा जाता था कि रघुवर सरकार ने ये किया, रघुवर सरकार ने वो किया,

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वैदिक परम्पराओं के नाम पर चलनेवाली डीएवी स्कूलों में क्रिसमस की धूम, अभिभावक पड़े चक्कर में

खूंटी के स्वामी श्रद्धानन्द डीएवी शताब्दी पब्लिक स्कूल द्वारा क्रिसमस की बधाई देने तथा बच्चों से क्रिसमस ट्री की डिमांड को लेकर यहां बवाल मचा है। अभिभावकों का कहना है कि डीएवी स्कूल जहां वैदिक परम्पराओं की बात होनी चाहिए, वहां से क्रिसमस ट्री की डिमांड एवं क्रिसमस की बधाई, समझ से परे हैं।

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रघुवर सरकार की करारी हार से अखबारों-चैनलों को लगा करारा झटका, जनता की गाढ़ी कमाई गई बच

अपने प्रचार-प्रसार के लिए करोड़ों रुपये पानी की तरह बहानेवाली रघुवर सरकार ने 24 दिसम्बर के लिए राज्य के सारे अखबारों को विशेष विज्ञापन देने की वह भी जैकेट की तैयारी कर ली थी, पर उसकी हुई करारी हार ने अखबारों व चैनलों को होनेवाली कमाई पर पानी फेर दिया, तथा इनके मालिकों और संपादकों को भी भारी नुकसान पहुंचा दिया।

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आप दोनों “जयचंद” और “मूलचंद” को पकड़ लड़ते रहिये और उधर “अर्जुन” अपने लक्ष्य को साधने पर ध्यान दे रहा

23 दिसम्बर को झारखण्ड विधानसभा का चुनाव परिणाम आ गया, नई सरकार के गठन के लिए महागठबंधन तैयारी में लग गया और इधर भाजपा में हार को लेकर सरफूटौव्वल जारी है। भाजपा के ज्यादातर नेता व कार्यकर्ता एक स्वर से इसके लिए रघुवर दास को दोषी ठहरा रहे हैं, तो रघुवर दास इसके लिए पार्टी में छूपे जयचंदों को इसके लिए दोषी ठहरा रहे हैं।

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सरयू का आरोप स्पेशल ब्रांच एवं सीआइडी में महत्वपूर्ण संचिकाओं को नष्ट करने का काम जोरों पर

निवर्तमान मुख्यमंत्री रघुवर दास को भारी मतों से पराजित कर सनसनी फैला देनेवाले निर्दलीय प्रत्याशी सरयू राय ने राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने कहा है कि एक से अधिक विश्वसनीय एवं उच्चस्तरीय सूत्रों से उन्हें यह सूचना प्राप्त हुई है कि पुलिस विभाग के स्पेशल ब्रांच एवं सीआइडी प्रभागों में कतिपय महत्वपूर्ण सूचनाओं से संबंधित संचिकाओं को छांटकर नष्ट करने का काम किया जा रहा हैं।

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नेता प्रतिपक्ष के लिए नीलकंठ का दावा मजबूत, पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने सीपी सिंह को इसके लिए किया आगे

सदन में नेता प्रतिपक्ष कौन होगा? इसके लिए भाजपा कार्यकर्ताओं ने कैंपेन चलाना शुरु कर दिया है। रांची महानगर के भाजपा कार्यकर्ताओं ने सोशल साइट पर इसके लिए अभियान चला रखा है। उनका कहना है कि सीपी सिंह लगातार छठी बार रांची से विधायक बने हैं। वे विधानसभाध्यक्ष के साथ-साथ नगर विकास विभाग मंत्रालय भी संभाल चुके हैं, इसलिए उनका दावा काफी ज्यादा मजबूत है।

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रस्सी जल गई पर ऐठन नहीं गया, नाराज भाजपाइयों को “दलाल” और “जयचंद” भी कहने लगे रघुवर

एक लोकोक्ति है। रस्सी जल गई, पर ऐठन नहीं गया। ठीक यही हालत  राज्य के निवर्तमान मुख्यमंत्री रघुवर दास का हो गया है। इनके हाथों से सत्ता चली गई। भाजपा की नाक कट गई। भाजपा कार्यकर्ताओं ने पार्टी से दूरी बना ली। दूसरे दलों से उन दलों के विक्षुब्धों के भाजपा में मिलाकर पार्टी को कूड़ेदान बना दिया। जातिवाद का नंगा नाच किया।

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