अपनी बात

PM मोदी के आह्वान के आगे लंठों की एक नहीं चली, ‘जनता कर्फ्यू’ अभुतपूर्व सफल, देश ने ताली और थाली भी बजाई

देश के अंदर बैठे आला दर्जे के लंठों, बदमाशों, निकम्मों व देश के भीतर रहकर देश के ही खिलाफ कुकर्म करनेवालों की सक्रियताओं के बावजूद आज पूरा देश प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के एक आह्वान पर ‘जनता कर्फ्यू’ को सफल बना दिया। यही नहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उस आह्वान पर कि जो भी लोग कोरोना के खिलाफ अपनी महती भूमिका निभा रहे हैं, उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने के लिए, उनका मनोबल बढ़ाने के लिए आप संध्या पांच बजे करतल ध्वनि करें या थाली बजाएं, या घंटिया बजाएं, उसका भी उसी भाव में प्रत्युत्तर देकर बता दिया कि देश कोरोना के खिलाफ हैं, और यह जंग यह देश अवश्य जीतेगा।

संस्कृत साहित्य में एक सूक्ति है – विपत्काले विस्मय एव कापुरुषलक्षणम्, और मैं दैख रहा हूं कि इस उक्ति का अपने जीवन में अक्षरशः पालन करने के लिए वे लोग सक्रिय हैं, जो मोदी का हर बात में विरोध करने के लिए जाने जाते हैं, आश्चर्य यह रही कि पीएम मोदी द्वारा जनता कर्फ्यू के आह्वान को भी इन मोदी विरोधियों ने असफल करने की जोर लगा दी, वहाट्सएप्प व फेसबुक जैसे सोशल साइट का सहारा लिया और जमकर अपने दिमागी कचरें को फैलाते रहे, यानी ऐसे लोगो की जमातों ने अपनी ताकत के अनुसार वो हर कुकर्म किया, जो ऐसे समय में नहीं करनी चाहिए।

उसके बावजूद भारत की जनता ने बता दिया कि कोरोना वायरस के खिलाफ जारी उस हर मुहिम को भारत की जनता समर्थन देगी, जिसका समर्थन करने से देश का भला होगा। मुझे खुशी इस बात की है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस आह्वान का करीब-करीब सारे राजनीतिक दलों ने स्वागत किया, तथा इस लड़ाई में राजनीति को सामने आने नहीं दिया, हालांकि झारखण्ड के एक दो राजनीतिज्ञों ने अपनी बुद्धि का परिचय दे ही दिया, जिनमें कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता इरफान अंसारी के नाम सर्वप्रमुख है।

सोशल साइट पर भी कुछ अधकचरों ने जमकर कचरा फैलाई, जरा देखिये एक ने क्या लिखा – “पत्थर पूजे तो हरि मिले तो मैं पुजू पहाड़, कवि कहना चाहता है कि थाली बजाने से कोरोना भागे तो मैं बजाऊ परात” जबकि ये लिखने वाला बतोला अच्छी तरह जानता है कि प्रधानमंत्री ने थाली बजाने का अनुरोध उन लोगों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने के लिए कहा, जो कोरोना की विभीषिका के बावजूद अपनी जान-जोखिम में डालकर जनता की सेवा कर रहे हैं, पर इस बतोले को इससे क्या मतलब?

इसका तो काम ही है, बतोलेबाजी करना और लीजिये इसी बतोले को लेकर एक और महिला ने यही बात दोहरा दी, हालांकि इन दोनों को इनके पोस्ट पर कई लोगों ने अच्छा जवाब दिया, पर क्या किया जाय, जंगल में शेर हैं तो आप ये क्यों भूल जाते हैं कि उसी जंगल में गीदड़ और छुछुंदर भी पाये जाते हैं, ऐसे लोगों के लिए बिहार में एक बहुत ही सुंदर लोकोक्ति है, वह लोकोक्ति है – “शरीफ के घर में आग लगे, तो गुंडा …  सेकें।” और हमें ये लिखने में कोई आपत्ति नहीं कि ऐसे लोगों (गुंडों) की संख्या अपने देश में अच्छी संख्या में है।

कमाल है, एक ओर पूरा विश्व इस कोरोना से लड़ने के लिए अपना बेहतर दे रहा हैं। हमारे देश में भी संसाधनों के अभावों के बीच लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया हो, इसके लिए राज्य व केन्द्र सरकार के साथ-साथ विभिन्न सामाजिक संगठन भी जुड़ते जा रहे हैं, पर इन्हीं के बीच में कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो इन सारे क्रियाकलापों को नक्कारा सिद्ध करने में लगे हैं।

फिर भी, आज पूरे देश के लोगों ने दिखा दिया कि कोरोना वायरस के खिलाफ इस मुहिम में वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ है, आज का “जनता कर्फ्यू” पूरे विश्व ने देखा, और पूरे विश्व के देशों ने यह भी देख लिया होगा कि भारत की जनता किस प्रकार अपने प्रधानमंत्री के साथ कंधा से कंधा मिलाकर चलने को तैयार है।

किसी भी आपत्ति से निपटने के लिए सबसे बड़ा सूत्र यही है कि हम एक रहे। हम अनुशासन में रहे। हम बेकार की बातों में न पड़कर, जो सरकार हमनें चुनी हैं, उसके प्रधान की हम बात सुनें, हम राज्य सरकार की भी बातों को सुनें और उसका पालन करें, न कि बेवजह की सवालों को खड़ाकर, बेमतलब का टांग अड़ाएं।

राज्य व केन्द्र सरकार को चाहिए कि ऐसे जो भी लोग उटपुंटाग बाते लिखकर कोरोना के खिलाफ चल रहे मुहिम को नुकसान करने में लगे हैं, उन पर ऐसी कानूनी कार्रवाई की जाये, ताकि ऐसे लोग दुबारा कोई कुकृत्य नहीं कर सकें और इस बीमारी के शिकार बन रहे लोगों को कोई शिकार नहीं बना सकें।