अपनी बात

ए विधायकजी, अपना फंड सीधे 50 करोड़ करवाइये न, ताकि हम जनता की छाती पर आप मूंग दर सकें

ए विधायक जी, काहे को दस करोड़, सीधे पचास करोड़ अपना कोटा करवा लीजिये, क्योंकि महंगाई तो और बढ़ेगा ही न,  ऐसे में कमीशन का क्या होगा? उ तो सब को चाय पीने-पिलाने में ही खत्म हो जायेगा। आजकल कोरोना वायरस जैसा नया-नया बीमारी भी निकला है, आजकल का चार करोड़ का कोटा का कमीशन तो सेनेटाइजर और मास्क ही खा जा रहा हैं।

ऐसे में सच पूछिये तो विधायक जी का वर्तमान का विधायक फंड कम से कम पचास करोड़ होना चाहिए, ताकि विधायक जी का कमीशन दिन-दुगना, रात चौगुना बढ़ता रहे, क्योंकि कहा भी गया है कि “विधायक बढ़े, झारखण्ड बढ़े”। विधायक जी का कोटा पचास करोड़ रहेगा तो उनके समर्थक ठेकेदार, आइएएस, इंजीनियर, पत्रकार आदि बम-बम रहेंगे, उनकी पत्नियां-प्रेमिकाएं, बच्चे-बुढ़े सब दुआएँ देंगे और उनके लिए गाना भी गायेंगे, नाचेंगे और कहेंगे – “जोगन बन जाउंगी,सैया तोरे कारण।”

भाई, मैं इसलिए लिख रहा हूं कि कुछ दिन पहले भाकपा माले विधायक को छोड़कर करीब-करीब सारे दलों के विधायकों ने चार करोड़ विधायक फंड का रोना रोया, और सरकार से इस फंड को बढ़ाकर दस करोड़ करने को कहा, फिर क्या था, इस फंड बढ़ाओ अभियान पर स्पीकर ने भी रुचि ली, और थोड़ा व्यंग्य भी किया, लेकिन सच पूछिये तो सभी चाहते है कि विधायक कोटा बढ़ जाये।

सच पूछिये, तो विधायक कोटा सिर्फ नाम का कोटा है, पर इसमें असली लड़ाई कमीशन की चलती है, नाम तो होता है कि विधायक जी के कोटे से विकास का काम होता हैं, पर सच्चाई यह है कि विधायक फंड के नाम पर लूट होती है, सच्चाई देखनी है तो विधायक फंड के नाम पर आपके यहां सड़क, नालियां, सामुदायिक भवन, स्कूल भवन, कुआं आदि की निर्माण को देख लीजिये, ये दूर से ही बता देंगे कि विधायक कोटे से बने हैं, क्योंकि दरअसल इसका ढांचा भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा सबूत होता है।

आप आश्चर्य करेंगे कि विधायक कोटे का बना कोई भी भवन,सड़क, नाली एक साल में ही दांत बिदोर देता है, पर उसी जगह विधायक का आलीशान भवन कई सालों के बाद भी आसमान से बात करता रहता है, अब सवाल उठता है कि विधायक के घर का नाली, उसका रास्ता और उसका भवन शान से बहुत सालों तक यानी कई पुश्तों तक खड़ा और टिकाऊ रहता है, तो इनके फंड से बने जनता के लिए किये गये कार्य एक साल में ही दांत क्यों बिदोर देते हैं, तो अब भी इस पर कुछ बताना है क्या?

और जो कुछ दिन पहले चार करोड़ के बदले दस करोड़ फंड करने की जो मांग कर रहे हैं, क्या आपको लगता है कि ये आम जनता के लिए मांग कर रहे हैं, मैं तो साफ कहूंगा कि ये अपने लिए मांग रहे हैं, वह भी कमीशन के लिए ताकि अपने परिवार के लिए जन्मों-जन्म तक अच्छा धन इक्ट्ठा कर लें, ताकि उनके घर में कोई बच्चा बीमार पड़े तो कम से कम अमरीका जरुर इलाज करवाने के लिए चले जाये, ताकि कम से कम अपने बच्चों को विदेशों में भेजकर उच्च शिक्षा की तालीम दिला सकें, ताकि विदेशों से पढ़कर आये इन विधायकों के बच्चे, झारखण्ड की गरीब जनता की छाती पर मूंग दर सकें।