इस बार देवघर नहीं, बल्कि अपने घरों में ही बोल-बम का जयकारा लगाइये और भर सावन शिव को मनाते रहिये
इस वर्ष अपने-अपने घरों को ही मन का “देवघर” बना लिया जाय, और उसी में भगवान शिव का दर्शन, पूजा-अर्चन व जलाभिषेक को संपन्न कर लिया जाय तो इसमें हर्ज ही क्या है? इससे दो फायदे भी होंगे। पहला हम और हमारा झारखण्ड कोरोनामुक्त होने की दिशा में आगे बढ़ेगा और दूसरा हम सही मायनों में आध्यात्मिकता की उच्च शिखर ध्यान की ओर आगे बढ़ेंगे।
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