सावधानः झारखण्ड में सहायक पुलिसकर्मियों की नियुक्ति के सवाल पर अभी भी भाजपा झूठ पर झूठ बोले जा रही है

सहायक पुलिसकर्मियों के आंदोलन को लेकर भाजपा एवं झामुमो आमने-सामने है। झामुमो जहां भाजपा के कारगुजारियों को जनता के समक्ष रखकर, भाजपा की हालत पस्त कर दे रही है, वही भाजपा के नेता जनता के बीच अपनी पिट रही भद्द को देखते हुए झूठ का सहारा लेने से भी बाज नहीं आ रहे। ये बड़ी तरीके से झूठ बोलकर स्वयं का बचाव कर रहे हैं।

आश्चर्य यह भी है कि जो पत्रकार भाजपा की बीट देखते हैं, वे उनके द्वारा बोले जा रहे झूठ का प्रतिवाद भी नहीं करते। वे भाजपा प्रवक्ताओं की बातों को एट-इज जनता के बीच रखने का ढोंग कर रहे है, जिससे जनता भी थोड़ी देर के लिए भ्रमित हो जा रही है, जबकि सच्चाई कुछ और है।

अब जरा देखिये आज भाजपा प्रदेश कार्यालय में क्या हुआ? भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल नाथ शाहदेव ने बड़ी ही सफाई से सहायक पुलिसकर्मियों से संबंधित पूछे गये सवाल पर पत्रकारों को बढ़िया से भरमा दिया और पत्रकार संतुष्ट भी हो गये। जबकि सच्चाई कुछ और है, जिसे विद्रोही24 ने कई बार जनता के बीच रखने का काम किया भी है, और आज भी रखेगा, तो सबसे पहले देखिये कि भाजपा प्रदेश कार्यालय में संवाददातों को संबोधन के क्रम में भाजपा के प्रवक्ता प्रतुल नाथ शाहदेव ने क्या कहा –

“देखिये ये झूठ बोल रहे है, ये जो इन्होंने कहा न कि सहायक पुलिसकर्मियों से शपथ लिया जाता है कि फ्यूचर में कोई अपने रिन्यूअल की बात नहीं करेंगे, तो यही बात तो पारा शिक्षकों को भी लिखकर देना होता है। आखिर इस सरकार ने उनको नियमित करने की बात की, की नहीं और जो विज्ञापन निकला था, सहायक पुलिसकर्मियों का। उसके कंडिका 11 में स्पेशफिक लिखा था कि अगर राज्य सरकार चाहे तो नियुक्ति नियमावली में आंशिक संशोधन करके इन सहायक पुलिसकर्मियों को परमानेन्ट कर सकती है, तो राज्य सरकार अगर चाहती तो सहायक पुलिसकर्मियों के मुद्दे पर एक बड़ा कदम उठा सकती थी।

सहायक पुलिसकर्मी एक बड़ा एक्सपेरिमेन्ट था, इन लोगों को मुख्य धारा से जोड़ने का, जो नक्सल/अतिनक्सल प्रभावित बीहड़ जंगलों में रहते थे, जिनकी दस हजार के मानदेय पर उनकी नियुक्ति हुई थी, ये कहा गया था विज्ञापन में तीन वर्षों के बाद अगर उनकी सेवा अच्छी रही तो उनकी नियमित किया जायेगा। लेकिन उसके बावजूद सरकार अगर नहीं कर रही है, तो ये दुर्भाग्यपूर्ण है।”

सच्चाई यह है कि कंडिका 11 में ऐसा कुछ भी नहीं कहा गया है। कंडिका 11 में जो बाते लिखी गई है, वो अधिमानता से संबंधित है। साथ ही सहायक पुलिसकर्मियों से संबंधित अधिसूचना के किसी भी कंडिका में कही भी ऐसा नहीं लिखा गया है कि तीन वर्षों के बाद अगर उनकी सेवा अच्छी रही तो उनको नियमित किया जायेगा। ये सबसे बड़ा झूठ है और अब हम आपको कंडिका 11 से संबंधित चौथा पृष्ठ आपके समक्ष रख देते हैं, आप खुद पढ़ लीजिये।

कंडिका 11 कहता है – “अनुभव – सहायक पुलिस के रुप में की गई अनुबंध आधारित सेवा के अनुभव को सामान्य पुलिस की नियुक्ति में अधिमानता दी जायेगी। यह अधिमानता पुलिस नियुक्ति हेतु आयोजित की जानेवाली लिखित परीक्षा के आधार पर मेधा सूची गठन के निमित्त संबंधित अभ्यर्थी द्वारा प्राप्त कुल प्राप्तांक का दस प्रतिशत (अधिकतम) अतिरिक्त अंक तक होगी।

इसके तहत सहायक पुलिस के पद पर प्रत्येक वर्ष की सेवा के लिए दो प्रतिशत तथा कुल सेवा अवधि के लिए अधिकतम दस प्रतिशत अतिरिक्त अंक की अधिमानता देय होगी। यह अधिमानता संबंधित जिले के नियुक्ति प्राधिकार के द्वारा निर्गत प्रमाण पत्र के आधार पर दी जायेगी। तदनुसार झारखण्ड पुलिस संवर्ग के आरक्षी पदों पर सीधी नियुक्ति  हेतु अधिसूचित नियुक्ति नियमावली 2014 (अधिसूचना संख्या 6992, दिनांक – 20.20.2014) में यथोचित संशोधन कालांतर में किया जायेगा।”

अब भाजपा प्रवक्ता प्रतुल नाथ शाहदेव ही बताए कि इसमें कहा लिखा है कि “अगर राज्य सरकार चाहे तो नियुक्ति नियमावली में आंशिक संशोधन करके इन सहायक पुलिसकर्मियों को परमानेन्ट कर सकती है” यह कंडिका तो अधिमानता से संबंधित है, जो कह रहा है कि आप अपनी सेवा के दौरान बेहतर परफार्मेंस करते हैं तो आपको दस प्रतिशत अंक का weightage मिलेगा, और इस अधिमानता संबंधी विषयों को अधिसूचित नियुक्त नियमावली 2014 में यथोचित संशोधन बाद में कर दिया जायेगा, यहां तो नौकरी देने या परमानेन्ट करने की बात ही नहीं है?

आश्चर्य इस विषय की भी है कि कल विधानसभा में इस पर चर्चा भी करा दी गई, मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने इस पर प्रकाश भी डाला और विधानसभाध्यक्ष से सहायक पुलिसकर्मियों से संबंधित अधिसूचना को पढ़ा भी दिया गया, उसके बाद भी इस पर भ्रामक वक्तव्य बताना क्या बताता है कि हम गलत भी करेंगे और लोगों को भरमायेंगे भी, ऐसे में तो फिर आप अपने अस्तित्व को ही दांव पर लगा रहे हैं, ऐसे भी कहा जाता है कि झूठ की हांडी ज्यादा दिनों तक नहीं टिकती।