वाह री सरकार, पहले पेड न्यूज, फिर पत्रकारों को 15-15 हजार की लालच और अब ब्रेन वॉश की तैयारी
पहले अखबारों के संपादकीय पेजों को पेड न्यूज से भरकर, संपादकों और मालिकों को रघुवर- रघुवर भजने पर मजबूर किया। दूसरी ओर राष्ट्रीय/क्षेत्रीय चैनलों के आधे घंटे का स्लॉट खरीद कर अपनी जय-जयकार करवाई। इसके बाद इन अखबारों/चैनलों को कानक्लेव के बहाने जमकर इनके मालिकों/स्थानीय संपादकों/ ब्यूरो प्रमुखों पर पानी की तरह पैसे बहाए।
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