पता नहीं, धनबाद पहुंचते ही पुलिसकर्मियों का लोगों के प्रति रवैया क्यों बदल जाता है?
पता नहीं, धनबाद पहुंचते ही पुलिसकर्मियों का लोगों के प्रति रवैया क्यों बदल जाता है? किसी की भी सरकार हो, उनके सेहत पर क्यों नहीं असर पड़ता? थाना प्रभारी हो या पुलिस अधीक्षक किसी के भी कानों में पीड़ितों के दर्द क्यों नहीं सुनाई पड़ते, आखिर वहां दंबगई करनेवालों, अपराधियों तथा लूट-पाट करनेवालों को ही संरक्षण क्यों मिलता हैं? मैं जब धनबाद में ईटीवी में कार्यरत था तो उस दौरान पुलिस अधीक्षक सुमन गुप्ता का पदार्पण हुआ था,
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