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SC व EC सुनिश्चित करें कि रामजन्मभूमि पर आये फैसले का झारखण्ड चुनाव में राजनीतिक फायदें के लिए इस्तेमाल न हो – CPIML

यह महत्‍वपूर्ण है कि अयोध्‍या में विवादित स्‍थल पर सर्वोच्‍च न्‍यायालय का फैसला किसी भी तरह से 6 दिसम्‍बर 1992 को बाबरी मस्जिद के विध्‍वंस की कायरतापूर्ण और आपराधिक घटना को सही नहीं ठहराता है। लेकिन यह निर्णय विवाद का यथार्थपरक समाधान करने में भी असफल रहा है – स्‍वयं न्‍यायालय द्वारा बताया गया आधार और निकाले गये निष्‍कर्ष के बीच की असंगति इसे अस्‍पष्‍ट और यथार्थ से दूर कर रही है।

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अबकी बार 65 पार के जूमले में फंसी भाजपा, आजसू को नहीं दे रही भाव, इधर सुदेश के तेवर गायब

प्रथम चरण के चुनाव की अधिसूचना जारी हो गई। भाजपा ने अभी तक अपने प्रत्याशियों की पहली सूची तक जारी नहीं की। इधर भाजपा की सहयोगी कही जानेवाली आजसू भी अपने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी नहीं की। दोनों उधेड़बून में हैं। दोनों एक-दूसरे से बहुत प्यार करते हैं, इसका ढोंग करने से बाज नहीं आ रहे हैं। भाजपा आजसू को अपने साथ ले चलने की बात तो कर रही हैं, पर आजसू जितने सीट पर चुनाव लड़ना चाहती हैं,

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श्रीरामजन्मभूमि विवाद पर SC ने लगाया विराम, ऐतिहासिक फैसले को सभी ने सराहा, NDTV की पत्रकारिता को सलाम

अब श्रीरामजन्मभूमि विवाद पूरी तरह समाप्त हो गया हैं। इस श्रीरामजन्मभूमि विवाद को लेकर पिछले कई वर्षों से दो समुदाय में काफी कटुता ने जन्म ले लिया था, पर अब भारतीयों का मानना है कि सर्वोच्च न्यायालय के इस ऐतिहासिक फैसले से अब यह विवाद सदा के लिए समाप्त हो गया हैं, साथ ही इसको लेकर अब चल रही राजनीति भी सदा के लिए समाप्त हो जायेगी।

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UPA में सब बम-बम, पर NDA में खींचतान जारी रहने से भाजपा को लगी मिर्ची, UPA को जमकर कोसा

यूपीए यानी महागठबंधन ने वह काम कर दिया हैं, जो एनडीए ने कभी सोचा नहीं था, पर हुआ तो हैं। महागठबंधन में जो सीटों को लेकर खींचतान की संभावना थी, जो यूपीए की टूट का खतरा बना हुआ था, वह खतरा अब समाप्त हो गया है, और यूपीए की तीन महत्वपूर्ण घटक झामुमो, कांग्रेस और राजद ने यह तय कर लिया कि अब राज्य में भाजपा की सरकार को नहीं रहने देना है, रघुवर सरकार को बाहर का रास्ता दिखाना है।

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कश्मीर के नाम पर चल रहा प्रोपेगैंडा वॉर और वर्तमान भारतीय परिदृश्य पर छलकता एक पत्रकार का दर्द

मैंने सबसे पूछा लेकिन आपलोग एक भी नाम किसी अखबार का नहीं दे पाए जो मेरे लेख छाप सके। इसलिए अब यहीं दे रहा हूँ, पढ़िए और बताइए इसका छापना ज़रूरी है या नहीं। – यह दर्द हैं एक पत्रकार को जो छलक आया है, यह दर्द ऐसे ही नहीं हैं, दर्द का उभरना बताता कि भारतीय पत्रकारिता जगत् में कितना और किस प्रकार का अवमूल्यन हुआ हैं? ज्ञानेन्द्र नाथ सिन्हा उर्फ गुंजन सिन्हा पत्रकारिता जगत् में एक जाना-माना नाम हैं,

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मेरे बेटे को इस बार BJP से टिकट दिला, MLA बनवाइये, क्योंकि मैंने संघ को बहुत कुछ दिया है, क्या समझे

सबसे पहले एक संघ गीत सुनिये, पहले यह गीत संघ की शाखाओं में खुब गाया जाता था, कभी–कभार यह गीत आज भी यत्र-तत्र सुनाई दे जाता हैं, उसके बोल थे… “धर्म के लिए जिये, समाज के लिए जिये, ये धड़कनें, ये श्वास हो, पुण्यभूमि के लिए, कर्मभूमि के लिए…” सच पूछिये, जिसने भी यह गीत लिखा होगा, वह यही सोचकर लिखा होगा कि यह गीत गानेवाले लोग इसके मर्म को समझेंगे और सचमुच देश और समाज से प्यार करना सीखेंगे।

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RSS से जुड़े आनुषांगिक संगठनों के अधिकारियों ने एक स्वर में कहा, चुपेचाप, चचा (रघुवर) साफ

झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास से केवल झारखण्ड की जनता ही नहीं नाराज हैं, बल्कि नाराज तो वे भी हैं जो इन्हें पिछले पांच साल से अपने माथे पर ढोए चल रहे हैं, जिसकी जानकारी रांची भाया दिल्ली, नागपुर तक हैं, पर करे क्या? स्थिति भयावह हैं, भाजपा के कार्यकर्ता, संघ के स्वयंसेवक और संघ के आनुषांगिक संगठनों के लोगों ने ताल ठोककर कह दिया कि चुपेचाप, चचा(रघुवर) साफ, मतलब अब कुछ बोलना नहीं हैं, चुपचाप काम करना हैं,

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जमीनी हकीकत का पता चलते ही चुनाव प्रबंधन समिति की बैठक में भाजपा नेताओं के चेहरे से हंसी गायब

रांची स्थित झारखण्ड भाजपा प्रदेश कार्यालय में आज विधानसभा चुनाव प्रबंधन समिति की बैठक संपन्न हो गई। इस बैठक में ज्यादातर भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं के चेहरे से हंसी गायब थी, कई तो भाजपा के वर्तमान राजनीतिक स्थिति को देखते हुए नाक खुजलाते भी देखे गये, यानी सभी को जमीनी हकीकत का अनुमान पता लग चुका है, कि राज्य में भाजपाई मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भाजपा को किस मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया हैं।

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जनता की बदलाव के मिजाज को भांप चुकी JMM 42-45 से कम सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार नहीं

झारखण्ड मुक्ति मोर्चा को अच्छी तरह से पता है कि राज्य की जनता इस बार बदलाव के मूड में हैं, झामुमो चाहती है कि इस बार राज्य की महत्वपूर्ण विपक्षी पार्टियों के बीच मजबूत गठबंधन हो, इसके लिए वह प्रयासरत भी हैं, और महत्वपूर्ण भूमिका भी निभा रही हैं। हालांकि कांग्रेस, राजद और वामदल भी गठबंधन के अंतर्गत चुनाव लड़ने को तैयार बैठे हैं, पर 81 सीटों वाली इस झारखण्ड विधानसभा में सभी की महात्वाकांक्षा हैं

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CM रघुवर के आगे-पीछे करनेवाले कनफूंकवों व IAS/IPS के चेहरे से अभी से ही खुशियां गायब

कहा जाता है कि जब नाव डूब रहा होता है, तो सबसे पहले उस नाव पर सवार चूहे भाग खड़े होते हैं और जो बचते हैं, उनमें जो सफल तैराक होता हैं, वह बच निकलता हैं, और जो तैराकी नहीं जानते, उनकी क्या दशा होती हैं, जिन्होंने किसी नाव को डूबते हुए देखा हैं, उन्हें अच्छी तरह पता हैं, अब सवाल हैं कि क्या सीएम रघुवर दास की राजनीतिक नैया भी इस विधानसभा चुनाव रुपी नदीं के बीच मझधार में डूबने की स्थिति में हैं?

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