राजदीप ने किया पत्रकारिता को शर्मसार, जिम्मेदार पत्रकारों ने ‘आजतक’ व ‘राजदीप’ को लानत भेजी
ये नये युग की पत्रकारिता है। अब पत्रकार मानवीय मूल्यों की बात नहीं करता। वह यह देखता है कि उसने जो अपनी पत्रकारिता जगत में जगह बनाई है। उस जगह की देश या राज्य की कोई पार्टियां, उसके लिए आर्थिक रुप से क्या मूल्य तय की है? वह यह देखता है कि क्या उसने जो आर्थिक रुप से मूल्य तय की है या कोई पोस्ट निर्धारित किया है, उसके वर्तमान से मेल खाता है या नहीं, और जब मेल खा जाती है तो वह नेताओं के इशारों पर उछलने लगता है,
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