हे ईश्वर, आपने ये क्या कर दिया? अरे मुझे बुला लेते…, अरुण जी को क्यों बुला लिया?
हे ईश्वर, आपने ये क्या कर दिया? अरे मुझे बुला लेते…, अरुण जी को क्यों बुला लिया? ये तो उनलोगों के लिए जी रहे थे, जिनके लिए कोई जीने को तैयार भी नहीं होता। मेरा क्या हैं, मैं तो अपने हिस्से की जिंदगी जी चुका हूं, मेरे ही जिंदगी का शेष भाग, अरुण जी को दे देता, तो आपका क्या बिगड़ जाता। इतना अच्छा इन्सान, इतना अच्छा दोस्त, अब के जमाने में कहां मिलता है? अब तो जैसे लगता है कि अपनी जिंदगी ही पहाड़ सी हो गई। ओह अरुण जी का मानवीय मूल्यों वाला व्यवहार हमेशा मुझे और मेरे परिवार को याद रहेगा।
Read More