कल तक मंत्रियों को कूटने की बात करनेवाले डाक्टर ने आज मांगी माफी, साथ ही कुछ सवाल भी दागे, जो प्रासंगिक भी है

जमशेदपुर के आदित्यपुर में स्थित 111 सेव लाइफ हास्पिटल के संचालक डा. ओ पी आनन्द ने स्वयं द्वारा किये गये गलतियों के लिए सार्वजनिक रुप से माफी मांग ली। ज्ञातव्य है कि डा. ओ पी आनन्द ने गत् 15 मई को झारखण्ड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के खिलाफ आपत्तिजनक शब्द का प्रयोग किया था, जो पूरे देश में वायरल हुआ। उन्होंने यहां तक कह दिया था कि ऐसे लोगों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटते, कूटते।

आज डा. ओ पी आनन्द ने इसी मसले पर अपनी बातें रखी, और अपने किये की गलती के लिए माफी मांगी। उन्होंने इस दरम्यान कहा कि जिस दिन की ये घटना है, उस दिन वे अपने अस्पताल में सात कोविड पेशेन्ट और दो वेंटिलेंटर पर रह रहे मरीजों पर उनका ध्यान था, उनकी प्राथमिकता थी, सबसे पहले रोगियों और उनके परिजनों को बेहतर सेवा-सुविधा उपलब्ध कराना, ताकि उनके चेहरे पर खुशियां झलके।

इसी बीच स्वास्थ्य विभाग की जांच टीम आ गई। उन्होंने (डा. ओ पी आनन्द और उनके हास्पिटल की टीम ने) उनकी जांच में भरपूर सहयोग किया। वे जो-जो कागजात मांगते गये, उन्हें दी गई, उन्हें पूरे हॉस्पिटल का भ्रमण भी कराया गया, मतलब हर प्रकार से उन्हें संतुष्ट करने का काम किया गया, उनके अस्पताल के पास वे सारे वैध कागजात उपलब्ध है, जो एक हास्पिटल के लिए अत्यंत आवश्यक है, लेकिन फिर भी बार-बार तंग करने की कोशिश में, उन्होंने आपा खो दिया, क्योंकि उन्हें मरीजों की चिन्ता सता रही थी।

मरीजों के प्रति संवेदनशीलता और उनकी सता रही चिन्ता में, उन्होंने ऐसी बातें कह दी, जो एक डाक्टर होने के नाते उन्हें नहीं कहनी चाहिए थी। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें इस बात का तत्काल एहसास भी हुआ और कैमरापर्सन को उसी वक्त कह दिया कि वे अमर्यादित भाषा को सम्पादित कर न्यूज दिखायेंगे, पर कैमरापर्सन ने उनके अनुरोध का अस्वीकार कर दिया, जो पीत-पत्रकारिता ही माना जायेगा। जिसके कारण अस्पताल, समाज और जिनके प्रति जिस भाषा का प्रयोग किया गया था, उन्हें भी नुकसान हुआ, जिसका हमें बेहद खेद है। डा. ओ पी आनन्द ने कहा कि उनका ये भाव कतई नहीं था कि किसी को नुकसान पहुंचे।

उन्होंने यह भी कहा कि वे एक अच्छे डाक्टर हैं और अपने क्लिनिक को उम्दा करने के लिए बेहतर करने का प्रयास करते हैं और इस बेहतरी में वे मरीजों का बेहद ख्याल रखते हैं। सबसे बड़ा विचारणीय प्रश्न यह है कि जब देश कोविड से जूझ रहा हैं, जहां केन्द्र व राज्य किसी ने भी जांच का आदेश नहीं दिया है, वहां डा. ओ पी आनन्द के हॉस्पिटल पर छापा मारना क्या बताता है?

शायद लोगों को पता नहीं कि इसी मरीजों की सेवा के दौरान वे कोविड से प्रभावित हुए, कोविड से ठीक होने के बाद उन्होंने मरीजों को अपना प्लाजमा भी दान किया। उनकी पत्नी उनकी बच्ची बीमार रही। कोलकाता के एक अस्पताल में आइसीयू में कई दिनों तक भर्ती रही, फिर भी वे सेवा में लगे रहे, लेकिन उसका परिणाम क्या है? फिर भी मर्यादा बनाये रखना जरुरी था, अपशब्द बोल गया, इसके लिए वे माफी मांगते हैं।