अपनी बात

झारखण्ड CID या पुलिस की इतनी हिम्मत नहीं की रेमडेसिविर की कालाबाजारी करनेवाले महत्वपूर्ण शख्स का टेटूआ दबा दें, इसके लिए जिगर चाहिए, जो इनमें नहीं

याद करिये, 04 मई 2021 का दिन। रांची के सभी प्रमुख अखबारों में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी की खबरें प्रमुखता से छपती है। बताया जा रहा है कि जगन्नाथपुर थाना क्षेत्र में दो युवक आधा दर्जन रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करते पकड़े गये हैं। फिर दो दिन बाद यानी 6 मई को इसी से संबंधित खबरें छपती हैं। इस बार खबर यह है कि पुलिस जांच में यह पुष्टि हुई कि इन युवकों ने अपने मामा के लिए यह रेमडेसिविर खरीदा था।

गिरफ्तार युवक गुलशन और अभिषेक अपने मामा के कोरोना से संक्रमित होने के कारण रेमडेसिविर इंजेक्शन कोलकोता से 96 हजार रुपये में खरीदे थे, बाद में चूंकि उसके मामा को इंजेक्शन की आपूर्ति अस्पताल से हो गई थी, तो ये दोनों अपने फंसे पैसे निकालने के लिए इन इंजेक्शनों को बेच रहे थे, यानी पुलिस इस बात को स्वीकारी कि ये कालाबाजारी नहीं कर रहे थे।

लेकिन इसके बावजूद दोनों को जेल भेज दिया गया, क्योंकि पुलिस का कहना था कि इन्हें जेल इसलिए भेजा जा रहा है क्योंकि रेमडेसिविर को बाजार में बेचना अपराध हैं, और यह अपराध उन्होंने किया। चलिए पुलिस को इस बात के लिए ताली, क्योंकि रांची पुलिस ने बहुत ही अच्छा काम किया है, बड़ी ईमानदारी व सत्यनिष्ठता दिखाई है, ऐसी सत्यनिष्ठता आज तक देखने को नहीं मिली थी, लेकिन राजीव कुमार सिंह के मामले में पुलिस की यही सत्यनिष्ठता व ईमानदारी कहां चली गई, किस दुकान से तेल लेने चली गई, भाई ये तो जनता को मालूम होना ही चाहिए।

एक चैनल और एक अखबार दोनों एक दिन राजीव कुमार सिंह  की जय-जयकार करते हैं, उसे महान जनसेवक बताते हैं, और लीजिये दूसरे दिन उसे खलनायक के रुप में प्रस्तुत कर देते हैं। एक चैनल का संवाददाता व चैनल राजीव कुमार सिंह की जय-जय कर रहा हैं, दोनों (संवाददाता और राजीव) एक दूसरे को महान बता रहे हैं,  राजीव कुमार सिंह दिल खोलकर न्यूज चैनल वाले लोगों को महान बता रहा हैं, इसी दरम्यान कुछ ऐसे भी वाक्य वह बोल रहा है, जिसको देख और सुन कोई भी हैरान रह जायेगा।

इसी बीच दूसरे दिन एक नया समाचार देखने को मिला, जिस चैनल ने उसे हीरो बनाया था, उसे सभी के सामने जोकर बना दिया, खलनायक बना दिया, बेचारा पुलिस अधिकारियों व अखबारों/चैनलों का दुलरुवा राजीव क्या करता, उसे तो इस बात की आशा ही नहीं थी कि वो जो भी कुछ कर रहा हैं, और जिसके लिए कर रहा हैं और जिसको अब तक सेवा दिया हैं, वो ही लोग उसको उलटा लटका देंगे, लेकिन सच्चाई तो यही हैं कि वो उलटा लटक चुका है।

जिस सीआइडी को जांच का  जिम्मा मिला है, वो घुम-फिर कर राजीव कुमार सिंह के चारो ओर कत्थक कर रहा हैं, उसे जो भी सुराग मिल रहे हैं, वो सब आगे चलकर बेकार सिद्ध हो रहे हैं, अरे भाई बेकार सिद्ध क्यों नहीं होंगे? किसकी हिम्मत है कि असली गलत करनेवालों को टेटूआ दबा दें, उसकी टेटूआ दबाने के लिए भी तो हिम्मत चाहिए।

मैं तो कहता हूं कि राजीव कुमार सिंह के बारे में कौन ऐसा पत्रकार है कौन ऐसा पुलिस अधिकारी हैं, कौन ऐसा चैनल या अखबारवाला हैं और कौन ऐसा नेता हैं, जो उसके चरित्र के बारे में नहीं जानता और आज जब वो जेल में हैं, तो लोग उसे ताना मार रहे हैं, बेचारा इन्हीं लोगों के बल पर तो वो कूदता था, पर उसे क्या मालूम कि जिनके इशारों पर वो फूदकता था, वहीं उसे इस कदर फंसा देगा कि उसे लेने के देने पड़ जायेंगे।

अरे भाई उसके पास तो एक प्रमुख भारी भड़कम संपादक द्वारा चलनेवाले अखबार का स्पेशल रिपोर्टर का आइडी भी था, वो तो हाल ही में एक खुलनेवाले पोर्टल के उद्घाटन में भी दिखा था। अरे जरा समझिये न कि उससे तो रांची का ग्रामीण एस पी नौशाद आलम भी उपकृत हो चुका था, उस ग्रामीण एसपी को भी जब रेमडेसिविर की जरुरत पड़ी तो वह राजीव कुमार सिंह के पास ही गया, अखबार में तो खबर भी छप गई कि ग्रामीण एस पी नौशाद आलम ने अपने करीबी गुड्डू को राजीव सिंह के जरिये 20 हजार रुपये में रेमडेसिविर और 3500 रुपये में ऑक्सीजन फ्लो मीटर उपलब्ध कराया था।

अपने 161 के बयान में ग्रामीण एसपी के बॉडीगार्ड राजीव कुमार पांडेय और ड्राइवर शहाबुद्दीन ने तो साफ कहा है कि रेमडेसिविर लेने के लिए ग्रामीण एसपी के कहने पर वे दोनों 25 अप्रैल 2021 को राजीव कुमार सिंह से संपर्क किये थे। अब सवाल यहा फिर हैं कि जब जगन्नाथपुर के उन युवाओं को जो रेमडेसिवर का ब्लैक नहीं कर रहे थे, सिर्फ अपना फंसा पैसा निकालने के लिए वो रेमडेसिविर बेच रहे थे, जिसे पुलिस भी स्वीकार कर रही हैं, उसके बाद भी उन दोनों को यह कहकर जेल भेज दिया गया कि वे बाजार में उसे बेचने का अपराध किया।

तो मेरे बहादुर झारखण्ड के पुलिस पदाधिकारियों, रांची ग्रामीण एसपी के बारे में आप सभी का क्या ख्याल है? उन्हें कब गिरफ्तार कर रहे हो, उनसे कब बयान ले रहे हो, कब पूछताछ कर रहे हो, क्यों वो पुलिस एसपी हैं इसलिए? या तुम्हें लग रहा है कि ऐसा करने पर मुस्लिमों में आक्रोश हो जायेगा? क्योंकि मात्र नाम आ जाने से मुस्लिम समुदाय द्वारा निकाले जानेवाले अखबारों व मुस्लिमो की राजनीति करनेवाले लोग इस मामले में मुखर होने लगे थे, सबूत देखना हो तो ये देख लो…

और सबसे बड़ी बात कि जिस चैनल से ड्रग्स डिपार्टमेन्ट के लोगों ने रेमडेसिवर इकट्ठे किये, उससे पुलिसिया स्टाइल में पूछताछ कब करोगे? क्या उसे इसलिए छोड़ दोगे कि उसने यह कहां है कि वह स्टिंग किया? तो भाई राजीव कुमार सिंह ने भी तो कहा कि वो समाज सेवा कर रहा हैं, और ग्रामीण एसपी ने भी तो कहा कि समाज सेवा के लिए ये सब करना पड़ता है, या दुनिया में जितने भी चैनल वाले स्टिंग करते हैं, वे सभी दूध के धूले होते हैं, ऐसा आपने मान लिया है और बाकी जो लोग करते हैं, वे सभी चोर हैं।

मानने को तो यहां की जनता भी मान गई है कि झारखण्ड पुलिस में इतनी दम नहीं कि जो असली मुजरिम हैं उस तक अपना हाथ डाल सकें, क्योंकि यहां किसको पुलिस महानिदेशक नहीं बनना है? किसे बहती गंगा में हाथ नहीं धोना है? और जहां की पुलिस गुंडों/अपराधियों को बॉडीगार्ड उपलब्ध कराती है, वह भी एके47 के साथ, उस पुलिस से ये उम्मीद करना कि वो जनसेवा करेगी, वो असली अपराधियों को सलाखों के बीच डालेगी, मूर्खता के सिवा कुछ भी नहीं।

अरे जिस राज्य में राज्य औषधि नियंत्रण निदेशालय का औषधि निदेशक रिम्स के डायरेक्टर को लिखित पैरवी करता है कि “रिम्स रांची परिसर में औषधि प्रतिष्ठान खोलने हेतु रुद्रालय हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड के अरुप चटर्जी द्वारा सूचित किया गया है कि उनके द्वारा अबाधित रुप से औषधियों एवं मेडिकल डिवाइस की आपूर्ति डिस्काउंट रेट पर की जायेगी। स्थल आवंटन के पश्चात ही अनुज्ञापन प्राधिकारी द्वारा प्राप्त आवेदन के आलोक में अनुज्ञप्ति निर्गत करने की कार्रवाई की जायेगी।

अतः रुद्रालय हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड द्वारा प्राप्त पत्र अग्रेतर कार्रवाई के लिए संलग्न कर भेजी जा रही है।” तो उस राज्य की पुलिस व अन्य विभागों से यह उम्मीद करना कि वो न्याय करेगी, मूर्खता है। अरे वो तो ऐसे लोगों के इशारे पर ताता-थैया करती है। जाम से जाम टकराती है, जब ऐसे लोग ऐसे पुलिस पदाधिकारियों के चैंबर में पहुंचते हैं, तो बाहर की लाल बत्ती जलने लगती है और उस कमरे पर तैनात सिपाही को बोल दिया जाता है कि कोई आये डिस्टर्ब नहीं करना। उस राज्य का तो भगवान ही मालिक है।

कितने शर्म की बात है, एक चैनल का एंकर, रेमडेसिविर का न्यूज चला रहा हैं और बोल रहा है कि हम राज्य सरकार की छवि धूमिल नहीं होने देंगे, अबे तु ये बोलनेवाला कौन होता है? क्या हेमन्त सरकार ने तुम्हें ऐसा करने का ठेका दे रखा है? तू तो खुद डरपोक हैं, तूझे पता है कि ज्यादा ईमानदारी दिखाई तो राज्य का मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन तुम्हें औकात बता सकता है, लेकिन तुम्हारा क्या है?

जिसकी सरकार तुम उस तरह की भाषा बोलता है, कल तक हर-हर रघुवर कर रहा था, आज जय-जय हेमन्त कर रहा हैं, और ऐसा करना तुम्हारी मजबूरी है, ऐसा कहलवाना राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की मजबूरी नहीं। अभी तो प्रकाश जावेडकर का लव लेटर तुम्हें अवश्य मिला होगा, जिसमें तुम्हें सशर्त वार्निंग दी गई है, अगर फिर तुमने गड़बड़ी की, तो समझ लो क्या होगा? वो गड़बड़ी पर ध्यान एक महत्वपूर्ण व्यक्ति की हैं, तो फिर तुम्हारा क्या होगा, समझ लेना।

कभी चीटफंड, कभी पत्रकारिता और अब हास्पिटल व दवा का चक्कर, किसको बेवकूफ बना रहे हो, क्या लगता है कि सभी झारखण्ड पुलिस ही है क्या? मैं तो कहता हूं कि जिस दिन कोई ईमानदार पुलिस अधिकारी पुलिस महानिदेशक या प्रमुख पद पर पहुंच गया, तो समझ लो तुम्हारी सारी गड़बड़ियों का अंत हो जायेगा, समय नजदीक है, फिलहाल वर्तमान पुलिस महानिदेशक नीरज सिन्हा के शासनकाल में तुम मस्ती कर सकते हो। इसकी शत प्रतिशत गारंटी है, क्योंकि वर्तमान पुलिस महानिदेशक तुम्हारे खिलाफ कुछ नहीं करेगा, हां तुम जिसको उलटा लटकाना चाहो, उसे जरुर लटकवा देगा, इसके पक्के सबूत है मेरे पास।