धूर्त देश चला रहा, पत्रकार-नेता बेटियों की इज्जत लूट रहा, अपना देश बदल रहा…

अपना देश बदल रहा है

धूर्तों का समूह देश चला रहे

पत्रकार-नेता, बेटियों की इज्जत लूट रहे

नीरव-चौकसी-माल्या जैसों का चल पड़ा हैं

अपना देश बदल रहा है

देश की जनता भूख-भूख चिल्ला रही

पीएम धन-कूबेरों की सिर्फ सुन रहा है

कौन कहता है कि देश नहीं बदल रहा है

अपना देश बदल रहा है

बार्डर पर खड़े जवानों की राशन मनी, चुपके से काट ली जा रही हैं

पूरे देश में दहशत फैलाई जा रही हैं

सत्तालोलूप नेताओं का झूंड, अपने जवानों को ही मरवा रहा हैं

अपना देश बदल रहा है

कल जो चरित्र की दुहाई देते थे,

वे चरित्र बेचने की दुकान खोल लिए,

चरित्र बेचकर, संसद पर कब्जा जमाया जा रहा है

अपना देश बदल रहा है

जो देश के लिए बोले, वो देशद्रोही

जो देश के लिए मरे, वो देशद्रोही

जो देश का मान-मर्दन करें, उसे देश भक्त बताया जा रहा है

अपना देश बदल रहा है

कल जो भ्रष्टाचार के मुद्दे पर शासन में आये थे

वे एक-एक भ्रष्टाचार के मुद्दे, कानून के आगे धराशायी हो रहे हैं

सारे नेता बेदाग निकल रहे हैं, दाग लगानेवाला मुस्कुरा रहा है

अपना देश बदल रहा है

किसान आत्महत्या कर रहे, मजदूर पलायन कर रहे

बेरोजगार युवा रोजगार के लिए भटक रहे,

पर नेता का बेटा तरमाल खा रहा है, किसी की भी इज्जत से खेल रहा है

अपना देश बदल रहा है

टीवी-अखबार, इनके मालिक-सम्पादक,

राज्यसभा में जाने के लिए, अपना जमीर बेच रहे हैं

सत्ता के मठाधीश, इसके बदले अखबार-टीवी ही खरीद ले रहा है

अपना देश बदल रहा है

अपने लिए नेताओं का झूंड पुराने पेंशन स्कीम को मंजूरी दे रखा है

और सामान्य नौकरियों में कार्यरत लोगों को पेंशन से ही वंचित कर रखा है

कौन कहता है कि अपना देश नहीं बदल रहा

अपना देश बदल रहा

विकास-विकास चिल्लाते रहो, हाथी खुब उड़ाते रहो

जनता को उल्लू बनाते रहो,

चाय बेचनेवाला पीएम कहकर, पूरे विश्व के टूर करते रहो

अपना चेहरा चमकाते रहो, यहीं शिगूफा चल पड़ा है

अपना देश बदल रहा है

आइएएस-आइपीएस और नेता, टॉप शहरों में जमीन-फ्लैट खरीद रहे

अपने रिश्तेदारों-प्रेमिकाओं के लिए सुख के साधन जुटा रहे

भ्रष्टाचार के नये तरीके ईजाद करने का नया तरीका चल पड़ा है

अपना देश बदल रहा है

भगवा-भगवा करते रहो, दूसरे को जी भरकर गरियाते रहो

युवाओं को बेवकूफ बना, अपना उल्लू सीधा करते रहो

हिन्दू एक है के नाम पर, जातिवाद फैलाने का फार्मूला अब चल पड़ा है

अपना देश बदल रहा है

  • कृष्ण बिहारी मिश्र