राजनीति

तुम मेरी इमेज बनाओ, हम तुम्हें मालामाल कर देंगे, और क्या चाहिए?

क्या आपने कभी महाराष्ट्र या गुजरात या दिल्ली के मुख्यमंत्री का साक्षात्कार झारखण्ड के अखबारों में प्रकाशित होते देखा हैं? उत्तर होगा – कभी नहीं। चलिये छोड़िये, भारत के किसी भी राज्य (झारखण्ड छोड़कर) के मुख्यमंत्रियों का साक्षात्कार अपने झारखण्ड से प्रकाशित किसी अखबार में देखा हैं? उत्तर होगा – कभी नहीं,  पर क्या आप जानते है, आज रांची से प्रकाशित होनेवाली अखबार “हिन्दुस्तान” ने पृष्ठ संख्या 11 पर अपने राज्य झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास का साक्षात्कार छापा है, जो “हिन्दुस्तान” के “दिल्ली संस्करण” में हुबहू छापा गया है।

अब सवाल उठता है कि दिल्ली के लोग, झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास का इंटरव्यू पढ़कर क्या करेंगे? उत्तर होगा – करेंगे क्या? उनको झारखण्ड के सीएम से क्या मतलब? पर “हिन्दुस्तान” ने तो झारखण्ड के सीएम रघुवर दास का इंटरव्यू छाप दिया है, और रघुवर दास वहां पेज नं. 11 पर दिखाई पड़ रहे हैं? हिन्दुस्तान ने उक्त पेज नं. 11 को नाम भी दिया हैं, उसका नाम है – “इन दिनों”। अब “इन दिनों” क्या हो गया है कि “हिन्दुस्तान” को रघुवर दास की महिमा साक्षात्कार के रुप में प्रकाशित करनी पड़ गयी, क्योंकि ये सवाल उठता है, अभी कोई न तो 15 अगस्त है और न ही 26 जनवरी, न तो झारखण्ड का स्थापना दिवस है और न ही सरकार के कोई 1500 दिन या 3000 दिन पूरे हुए हैं, जो 1000 दिन पूरे होने थे, वे कब के पूरे हो गये है, ऐसे भी इन दिनों कोई मुख्यमंत्री रघुवर दास ने तीर नहीं मार लिया है कि इनकी जय-जयकार रांची से लेकर दिल्ली तक हो रही है।

आखिर “हिन्दुस्तान” अखबार ने ऐसा क्यों किया? अब हम आपको बताते हैं, आजकल हमारे देश में कोई अखबार न तो पत्रकारिता कर रहा है और न ही कोई मुख्यमंत्री देश की सेवा कर रहा है, सभी जीव विज्ञान की भाषा “सहजीविता” के आधार पर कार्य कर रहे हैं, मैं तुम्हें देख रहा हूं और तुम मुझे देखों, यानी मैं तुम्हें समय-समय पर मुंहमांगी रकम से विज्ञापन देकर तुम्हारा मुंह बंद करुंगा और तुम हमारी इमेज दिल्ली में रहनेवाले कोई भारत के प्रधानमंत्री है, नरेन्द्र मोदी, उनके सामने हमारी इमेज बना दिया करो, यानी कभी सुभाष चंद्र बोस ने कहा था कि “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा”, ठीक इसी के शर्त पर आज का नेता बोलता है, मीडिया हाउस से कि “तुम हमारी इमेज बनाओ, मैं तुम्हें मालामाल कर दूंगा” और लीजिये, “हिन्दुस्तान” अखबार के पेज नं. 11 पर “इन दिनों” में छप गये श्रीमान्।

सवाल नंबर दो – आखिर लोग कब तक गिरते रहेंगे? गिरने का कोई मापदंड भी है, या प्रण कर लिया है कि तब तक गिरते रहेंगे, जब तक जीवन ही समाप्त न हो जाय, अगर ऐसा है तो निश्चित मान लीजिये, झारखण्ड तब तक तबाह होता रहेगा, जब तक इसका अस्तित्व न मिट जाये और ऐसा वे लोग करेंगे, जो फिलहाल इसी मार्ग से वह सब कर रहे हैं, जिसे न तो समाज और न ही देश इजाजत देता है।