अपने घर की महिलाओं की सम्मान की सुरक्षा के लिए सरकार पर भरोसा करना मूर्खता है

सावधान, झारखण्ड में महिलाएं सुरक्षित नहीं, अपने घर की महिलाओं की सम्मान की सुरक्षा के लिए आपको ही कुछ करना होगा? कल झारखण्ड में महिलाओं के खिलाफ दो कुकृत्यों के समाचार आये हैं। एक सोनाहातू के बोंगादर-दुलमी गांव में मां-बेटी को डायन बताकर सिर मुड़वाया गया, उन्हें मल-मूत्र पिलाया गया तो दूसरा मुरी-रांची के बीच चलती ट्रेन में पंजाब की युवती के साथ गैंगरेप हो गया। कुछ दिन पहले ही गुमला में सीआरपीएफ जवान की बहन को अगवा कर उसके साथ गैंगरेप किया गया हैं। इसी प्रकार कोडरमा रेलवे स्टेशन पर एक सैनिक की पत्नी के साथ कुछ असामाजिक तत्वों ने छेड़छाड़ करने की भी कोशिश की थी, पर मामले को दबा दिया गया।

अब जरा सोचिये, वह भाई अपने देश की सीमा की क्या सुरक्षा करेगा? जब उसकी बहन अपने देश में सुरक्षित नहीं हैं। वह जवान आंतकियों से क्या लड़ेगा? जब उसकी बहन को अगवा कर उसकी अस्मत लूट ली जाती हो। वह पिता कैसे जियेगा? जब वह अपनी प्यारी बेटी जो दुष्कर्म की शिकार हुई, जिसकी हत्या कर दी गई और जब वह न्याय मांगने के लिए, मुख्यमंत्री के पास जाता हो और वह मुख्यमंत्री उसे दुत्कार कर भगा देता हो, भरी सभा में अपमानित करता हो। जहां इस प्रकार की घटनाएं घटती हैं, वहां तो ये सारी कुकृत्य की घटनाएं सामान्य सी हैं।

पूरे झारखण्ड में डायन बताकर किसी भी महिला को अपमानित करना, उनके साथ अमानवीय हरकत करना सामान्य सी बात हैं, ठीक उसी प्रकार किसी भी लड़की/महिलाओं को उन्हें दुष्कर्म का शिकार बनाना और फिर उनकी हत्या कर देना या उन्हें आत्महत्या करने को उकसाना आसान बात हैं, ऐसा करने का मूल कारण है कि यहां कानून का कोई भय ही नहीं हैं, तथा दोषियों को उनके किये की सजा दिलाने का जज्बा का अभाव होना है।

महिलाओं को भय दिखाकर लूटपाट करना तो यहां अपराधियों और असामाजिक तत्वो के लिए बायें हाथ का खेल हैं। जैसे कल ही रांची के चुटिया के अनन्तपुर में एक महिला को हथियार के बल पर कब्जे में लेकर उसके साथ लूटपाट की गई। लालपुर के न्यू नगड़ा टोली में एक महिला से गले की सोने की चेन लूट ली गई पर पुलिस और सरकार के लोगों का ध्यान इस अपराध को रोकने के बजाय, उस ओर रहता है कि जो सच बोले, सच लिखे या सरकार की खामियों को उजागर करें, उसे झूठे मुकदमें में फंसा दो, उसकी इज्जत लूट लो, और इसमें सरकार की भूमिका ही संदिग्ध हैं। अखबारों व चैनलों का क्या हैं? उन्हें उनका हिस्सा विज्ञापन के रुप में मिल जाता है, इसलिए वे इन मामलों को सामान्य घटना बताते हुए समाचार छापकर अपने कार्यों का इतिश्री कर लेते हैं। अब सवाल उठता है कि इसी प्रकार की घटना किसी नेता या किसी अखबार-चैनल के मालिक या संपादक के घर घटित हो जाये तो क्या वे भी इसी प्रकार मौन रहेंगे या कुछ करेंगे?

स्थिति भयावह हैं, सामान्य मध्यमवर्ग और निम्नवर्ग तो पूरे राज्य में ऐसा डरा हुआ है कि वह समझ ही नहीं पा रहा, कि करें तो क्या करें? वह सुबह अपनी बेटियों को स्कूल और कॉलेज भेजता हैं, या विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अपनी बेटियों को परीक्षा केन्द्रों में भेजता हैं, या अपनी बेटियों तथा घऱ की महिलाओं के साथ कहीं घुमने निकलता हैं और फिर सायं या रात को घर सकुशल लौटता हैं तो वह राहत की सांस लेता हैं, नहीं तो जब तक बेटियां घर नही पहुंचती, उनकी सांसें अटकी रहती हैं।

सच्चाई यह है कि झारखण्ड पुलिस पर आप भरोसा कर भी नही सकते, क्योंकि ये खुद अपराधियों से डरते हैं, गुंडों और नक्सलियों से इतना भय खाते हैं कि नेताओं से पैरवी कराकर, ये उस इलाके में नौकरी करना ज्यादा पसंद करते हैं, जिससे उनको ज्यादा परेशानी नहीं उठाना पड़े, स्थिति ऐसी है कि ये प्राथमिकी भी दर्ज करना नहीं चाहते, शायद प्राथमिकी दर्ज करने से परेशानी बढ़ जाती हैं, इसलिए ऐसा करते हैं। अब जरा ज्यादा दिन की बात नहीं हैं, रांची के एक होटल में कुछ दिनों पहले छापामारी हुई, उसमें दो लड़कियां और चार लड़के पकड़े गये। पुलिस इन लड़कों को चुटिया थाना ले आयी। चुटिया थाने में जब इन लड़कों से एक बंद कमरे में पूछताछ चल रही थी, तभी एक दारोगा पत्रकारों से कहता है कि आपलोग विजुअल ले लिये, समाचार चल गया, अब तो न चाहकर भी प्राथमिकी दर्ज करनी ही होगी, इसी बीच पता चला कि कुछ को बचाने के लिए पुलिसकर्मी ही सक्रिय हो गये, अब ऐसे में आप स्वयं सोचिये कि किस पुलिस पर महिलाएं भरोसा करें, स्थिति भयावह हैं, आपके घर की महिलाओँ की सम्मान और सुरक्षा खतरे में हैं, इसलिए रघुवर सरकार और उनकी पुलिस पर अगर आप भरोसा करते हैं, तो आप एक बहुत भारी गलतफहमी पाल रखे हैं, स्वयं को बचाइये, महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान पर ध्यान दीजिये।