क्या हो गया बिहार के समाज कल्याण विभाग को, पहले ब्रजेश और अब मनीषा…

क्या हो गया बिहार को, एक मामला ठंडाया नहीं कि दूसरा मामला उभर कर सामने आ जा रहा है, और ये सारे के सारे मामले समाज कल्याण विभाग से संबंधित है, नये मामले से तो साफ पता लग जाता है कि बिहार का समाज कल्याण विभाग किस प्रकार से कार्य कर रहा है? अगर ऐसे हालात हैं तो हमें नहीं लगता कि बिहार की जनता चाहेगी कि समाज कल्याण के नाम पर भी इस प्रकार का कोई विभाग इस राज्य में चले।

मुजफ्फरपुर के ब्रजेश ठाकुर और मनीषा दयाल के प्रकरण ने स्पष्ट कर दिया कि बिहार के राजनीतिज्ञों-पत्रकारों-पुलिस पदाधिकारियों का बिहार के समाज में क्या रोल दिख रहा है? पर खुशी इस बात की भी कि अभी भी कुछ समाज में ऐसे लोग हैं, इसी में जो मामले की परत-दर-परत खोले जा रहे हैं और न्यायालय की मदद से दोषियों को सजा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है, पर इन सभी मामलों में यह भी देखा गया है कि जितना ज्यादा लम्बा ये मामला खींचता हैं, ऐसे मामलों में आम जनता की दिलचस्पी कम होती जाती है, और इसका लाभ वे उठाते हैं, जो इन कांडों में फंसे होते हैं।

ऐसे भी बिहार में इस प्रकार का कांड कोई पहली बार नहीं हो रहा, ऐसे –ऐसे कांड बिहार-झारखण्ड में होते रहते हैं और सच्चाई यह भी है कि दोषी न्यायालयों से बाइज्जत बरी होते भी रहे हैं, ऐसे कई प्रमाण है कि समाज के कई बड़े-बड़े पुरोधाओं पर गंभीर आरोप लगे, उन पुरोधाओं के खिलाफ सबूत भी पुख्ता थे, पर वे बहुत ही आसानी से साक्ष्यों के अभाव या विभिन्न कारणों से अपराधमुक्त हो गये, और यहीं इनका संज्ञेय अपराधों में शामिल होने के बावजूद इनका बच जाना, बताता है कि हमारा समाज कितना गिर चुका है।

ताजा मामला, विभिन्न संस्थाओं से जुड़ी पटना की मनीषा दयाल से संबंधित है, बताया जाता है कि मनीषा के कई राजनीतिक दलों के नेताओं से संबंध रहे हैं, जिसका फायदा मनीषा को मिलता रहा और वह इस फायदे को उठाती भी रही, कई संस्थाओं से जुड़ी रहने के कारण उसे पटना से प्रकाशित समाचार पत्रों तथा दूरदर्शन से उसे माइलेज भी मिला, जिसका फायदा उसने उठाया।

कई राजनेताओं तथा कई अन्य वरीय सामाजिक लोगों के साथ उसके फेसबुक में मिले फोटो से बहुत सारे राजनेताओं व वरीय सामाजिक लोगों के हाथ-पांव फूल रहे हैं, शायद उन्हें लगता है कि कहीं जांच के लपेटे में वे भी न आ जाये, पर जिस प्रकार से आजकल सेल्फी लेने का प्रचलन बढ़ा है, पता भी नहीं चलता कि सेल्फी लेनेवाला, अपना है या पराया, लोग सेल्फी लेने को मना भी नहीं कर पाते, ऐसे में किसी का किसी के साथ फोटो होना, आज के युग मे कोई मायने नहीं रखता, पर ये भी सच है कि जिनका, जिनके साथ सम्बन्ध है, वे कितने भी चालाक क्यों न हो, बच नही सकते, ये ध्रुव सत्य है।

हालांकि आसरा शेल्टर होम में दो युवतियों के मौत के मामले में चार लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हो गई है। राजीव नगर थाना प्रभारी रोहन कुमार के अनुसार इस मामले में आश्रय गृह की संचालन करनेवाली स्वयंसेवी संस्था अनुमाया के सचिव चिरंतन और कोषाध्यक्ष मनीषा दयाल को कल ही गिरफ्तार कर लिया गया था, वहीं महिलाओं का इलाज करनेवाला डाक्टर और एक नर्स इस कांड के बाद फरार है।

पटना के जिलाधिकारी कुमार रवि की बात करें तो उनके अनुसार दोनों युवतियों के पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दोनों के शवों पर चोट के कोई निशान नहीं पाये गये है। सच्चाई यह भी है कि आश्रय गृह में रहनेवाली पूनम और बबली गत 11 अगस्त की शाम गंभीर रुप से बीमार पड़ी थी, जिसे इलाज के लिए पीएमसीएच पटना लाया गया। लोग बताते है कि दोनों महिलाओं का पोस्टमार्टम दो पुलिस अवर निरीक्षक की उपस्थिति में हुआ, लेकिन इन्होंने संबंधित थानों को इसकी जानकारी ही नहीं दी। पीएमसीएच के अधिकारी बताते है कि दोनों महिलाओं को मृत अवस्था में ही यहां लाया गया था, जिस कारण संदेह गहराता जा रहा है।