राजनीति

राहुल ने मणिशंकर के बहाने सीखाया कि अपने विरोधियों के प्रति हमारी भाषा कैसी हो

आप राहुल गांधी को कुछ भी बोले, उन पर कितना भी प्रहार करें, पर राहुल गांधी ने जो आज कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर के बयान पर कड़ा एक्शन लिया। उस कड़े एक्शन पर उन सभी भारतीयों का सर मस्तक से ऊंचा उठ जायेगा, जो भारतीय राजनीति में शुचिता, शुद्धता एवं शिष्टता का वकालत करते रहे हैं।

पिछले बीस वर्षों से निरंतर देखा जा रहा है कि हमारे राजनीतिज्ञों में अपने प्रतिद्वंदियों के लिए आपत्तिजनक शब्द का प्रयोग आम बात हो गया है। राहुल गांधी के आज के इस दखल से कम से कम कांग्रेस के बड़े नेता एवं छोटे नेता तथा कार्यकर्ता भी अब भय करेंगे, कि उनके वरिष्ठ नेता राहुल गांधी को अपने प्रतिद्वंदियों के लिए गंदी भाषा कतई पसंद नहीं है, अगर भूल से भी किसी ने अपने प्रतिद्वंदियों के लिए गंदी भाषा का प्रयोग कर दिया तो उसकी क्लास लगनी तय है।

हम राहुल गांधी का, इस बात के लिए अभिनन्दन करते है, कि उन्होंने इस बात की शुरुआत की है, और इसका परिणाम हर उस दल पर पड़ेगा, जो चाहते है कि कम से कम, कोई भी नेता किसी के भी विरुद्ध कुछ कहे तो इसका ख्याल रखे कि वह कह क्या रहा हैं? कहीं उसकी भाषा अशिष्ट तो नहीं।

आखिर आज हुआ क्या?  कि हमें लिखना पड़ गया। चूंकि कांग्रेसी नेता मणिशंकर अय्यर ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिये ‘नीच’ शब्द का प्रयोग किया। मणिशंकर अय्यर प्रधानमंत्री के खिलाफ बयान देते हुए कहा था कि यह आदमी बहुत नीच किस्म का है, इसमें कोई सभ्यता नहीं। मणिशंकर अय्यर, कोई ये पहली बार ऐसा बयान नहीं दिये, ये इसी प्रकार के बयान देने के लिए जाने जाते हैं।

हालांकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस बयान का राजनीतिक फायदा लेने से नहीं चूंके। उन्होंने एक जनसभा में कह डाला कि उनकी जाति कुछ भी हो, उनके संस्कार ऊंचे है और जनता वोट के जरिये इसका जवाब देगी। बेशक जनता इसका जवाब वोट से देगी, पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी, आप भूल गये, कि आपने भी कई बार मर्यादाएं तोड़ी है। आप अपने भाषण के दौरान उस मृत व्यक्ति को कटघरे में खड़े कर देते है, जो आपका जवाब देने के लिए इस दुनिया में नहीं हैं।

राहुल गांधी ने तो मणिशंकर अय्यर को आपको ‘नीच’ कहने पर कड़ी डांट पिलाई। उन्हें सार्वजनिक तौर पर इसके लिए माफी मांगने को कहा। मणिशंकर अय्यर ने माफी भी मांगी, पर आप क्या बता सकते हैं कि आप जो मर्यादाएं तोड़ते हैं, दिवंगत नेताओं को लेकर जो बयान देते है, क्या उसे शिष्ट कहा जा सकता है?  अगर नहीं, तो आप सार्वजनिक तौर पर ऐसे ही क्षमा मांगेंगे? हमें तो नहीं लगता, ऐसे भी जान लीजिये…

क्षमा शोभती उस भुजंग को, जिसके पास गरल हो।

वह क्या दंतहीन, विषहीन, विनीत सरल हो।

राहुल गांधी ने जिस प्रकार से मणिशंकर अय्यर के खिलाफ एक्शन लिया, उससे राहुल गांधी का कद बढ़ा है, न कि छोटा हो गया। कोई यह नहीं भूले कि कल का ये युवा, बहुत जल्दी से देश के युवाओं के बीच लोकप्रिय हो रहा है, और आनेवाले समय में भारत की युवा, अगर इसके कंधों पर देश का बोझ रख दें तो किसी को अतिश्योक्ति नहीं होना चाहिए, मैं तो कहूंगा कि भाजपा में बहुत लोगों को अहं हो गया है, इस अहं से वे जितनी जल्दी मुक्ति पा लें, उतना ही अच्छा हैं, क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अपार लोकप्रियता के बावजूद, लोगों ने 2004 में उन्हें सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया था, इसलिए किसी को भी ये अहं नहीं पालना चाहिए कि जनता सदैव उनके साथ ही रहेगी।