राजनीति

झारखण्ड में स्पीकर दिनेश उरांव को मुख्यमंत्री बनाने की तैयारी!

गुजरात चुनाव संपन्न हो जाने के बाद झारखण्ड में मुख्यमंत्री बदल जायेगा। सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैँ। सिर्फ औपचारिकता बाकी है। दिनेश उरांव मुख्यमंत्री होंगे। ये खबर झारखण्ड की आबोहवा में तैर रही हैं। मुख्यमंत्री बदलने की बात पिछले एक साल से चल रही है, पर मुख्यमंत्री बदलवाने में लगे लोगों को सफलता नही मिल रही। इस बार ये गुट पूरी तरह से ताल ठोक रहा हैं। मुख्यमंत्री रघुवर दास विरोधी गुट का कहना है कि केन्द्र को पता है कि राज्य की स्थिति ठीक नहीं है, और झारखण्ड में मुख्यमंत्री रघुवर दास अंत-अंत तक रह गये, तो भाजपा को लोकसभा ही नहीं, बल्कि विधानसभा में भी एक-एक सीट के लाले पड़ जायेंगे।

पिछले दिनों रांची के मोराबादी मैदान में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यक्रम में आये राज्य के बाहर से आये नेताओं की टिप्पणी थी, कि वे जिन लोगों से भी मिल रहे है, वे राज्य सरकार के क्रियाकलापों से संतुष्ट नहीं है, वे राज्य में बदतर प्रशासन के लिए मुख्यमंत्री और उनके साथ चल रहे कनफूंकवों की टीम को दोषी ठहरा रहे थे। बाहर से आये आगंतुक अतिथियों का मानना था कि ऐसे में राज्य में एक बार फिर भाजपा का आना यहां मुश्किल है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् से जुड़े कई छात्र व अध्यापक भी सरकार के क्रियाकलापों से नाराज दीखे।

ऐसे भी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के इस राष्ट्रीय कार्यक्रम में स्वागत समिति का अध्यक्ष ऐसे व्यक्ति को बना दिया गया था, जो कभी भी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ा नहीं रहा, पर उसे भाजपा में लाने और प्रोजेक्ट करने के लिए ये सारी तैयारियां कर ली गई, इस तैयारी में संघ से ही जुड़े एक व्यवसायी का नाम प्रमुख रुप से लिया जा रहा है, सूत्र बताते है कि रांची में संघ को, संघ के स्वयंसेवक या प्रचारक नहीं चलाते, बल्कि संघ उक्त व्यवसायी के रहमोकरम पर चल रहा होता हैं।

इधर राजनीतिक पंडितों का समूह इस बात पर ज्यादा दिमाग लगा रहा है कि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा?  कोई नीलकंठ मुंडा, तो कोई अर्जुन मुंडा का नाम उछाल रहा है, पर एक वर्ग ऐसा भी है, जो कह रहा है कि इस बार मुख्यमंत्री पद पर कोई पुराना नहीं, बल्कि एक नया चेहरा होगा, उसके लिए सहमति का प्रयास भी किया जा रहा है, सब कुछ ठीक रहा तो सीएम भी बदलेंगे, एक नया चेहरा भी सामने आयेगा। नये चेहरे में दिनेश उरांव का नाम सबसे ऊपर बताया जा रहा है, जबकि मुख्यमंत्री के कट्टर समर्थकों और उनके कनफूंकवों की टीम इसे विक्षुब्धों की ख्यालीपुलाव से ज्यादा कुछ नहीं बता रहा।

सीएम के विरोधी और उनके पक्षधर, अपनी ढपली, अपनी राग अलाप रहे हैं, पर आम जनता भी चाहती है कि यहां चेहरा बदलना चाहिए, क्योंकि यहां सब कुछ ठीक नही चल रहा है। कुछ लोग तो सीधे कहते है कि इन सबसे अच्छा तो हेमन्त सोरेन या अर्जुन मुंडा का राज था, जहां आम लोगों की बातें सुनी तो जाती थी, यहां तो जो हो रहा है, उसमें जमीन पर काम कम, और दिखावा ही सिर्फ ज्यादा दीखता है।