पत्थलगड़ी पर सीएम रघुवर के बयान से आदिवासियों में बढ़ रही हैं नाराजगी

अगर पत्थलगड़ी की आड़ में अफीम का अवैध धंधा चल रहा है और राष्ट्रविरोधी ताकतों का इनको संरक्षण मिल रहा हैं तो आप बैठकर क्या कर रहे हैँ सीएम रघुवर दास महोदय? आप ये क्यों भूल रहे है कि इस राज्य में शासन के आप तीन वर्ष पूरे कर चुके है। आप कहते है कि किसी भी कीमत में इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे, जबकि सच्चाई यह है कि आप सब कुछ बर्दाश्त करने के लिए ही जाने जाते हैं।

कमाल है, सरकार आपकी, पत्थलगड़ी आपके राज्य में, आपके अनुसार  इसमें शामिल सारे लोग राष्ट्रविरोधी हैं, तो क्या राज्य की पुलिस भी राष्ट्रविरोधी हो गई, जो इनलोगों को गिरफ्तार नहीं कर रहीं, अफीम की खेती पर रोक नहीं लगा रही या कोई एफआइआर करेगा, इसका इंतजार कर रही है।

आप कहते है कि पत्थलगड़ी के नाम पर कितने गांव का विकास हुआ? यहीं सवाल यहां के ग्रामीण आदिवासी आपसे कर रहे हैं, कि उन्होंने आपको थैला भर-भरकर वोट दिया, खूब बटन दबाया, तब जाकर आप मुख्यमंत्री बने, आप जेवीएम के विधायकों को तोड़कर अपनी कुर्सी मजबूत कर ली, पर उनके बाल-बच्चों के लिए क्या किया?  

कौशल विकास के नाम पर कितने युवाओं को नौकरी दी? वह तो सबको पता है, मोमेंटम झारखण्ड से किसको क्या लाभ मिला? वह भी सबको पता है, इसलिए पत्थलगड़ी के नाम पर आदिवासियों को टारगेट करना जितना जल्द हो, बंद करना होगा, नहीं तो दिक्कत आपको ही होगी, आपके पार्टी को होगी और आपके कार्यकर्ता तो इन इलाकों में जो झेल रहे हैं, वह सबको पता है।

नीति आयोग राज्य में शिक्षा व स्वास्थ्य का पोल खोलकर रख दिया है, जिसे आप भी इनकार नहीं कर सकते और न ही आपके प्रधानमंत्री। स्थानीय नीति और नियोजन नीति पर तो आपके ही विधायकों ने सदन में आपके निर्णयों के खिलाफ खड़ा होकर अपना विरोध दर्ज करा दिया, अभी होली के एक दिन पहले आजसू छात्र संघ के युवाओं ने स्थानीय व नियोजन नीति के खिलाफ आमरण अनशन किया, जिसके नेता आपके साथ गलबहियां डाल के घूम रहे है।

कमाल है आप पर जब कोई आरोप लगता है तो आप तथ्य मांगते है, पत्रकार का काम है समाचार देना, तथ्य की जांच तो आप भी करा सकते हैं, पर आप तथ्यों की जांच कैसे और किस हित में करते हैं? वह तो राजबाला वर्मा प्रकरण पर सभी ने देख लिया। आपने अपने ही वरीय मंत्री सरयू राय को ऐसा मजबूर कर दिया कि उन्होंने संसदीय कार्य मंत्रालय का परित्याग कर दिया और आप कहते है कि पत्थलगड़ी में लगे लोग राष्ट्रविरोधी है, इस प्रकार के बयान से आपको नहीं पता कि क्या संदेश जा रहा है? ग्रामीण आदिवासी स्वयं को अपमानित महसूस कर रहे हैं, इसको समझने की जरुरत हैं, नहीं तो झारखण्ड की स्थिति और बदतर होगी।

जरुरत है आदिवासी बहुल इलाकों में उन ग्रामीणों की समस्याओं को युद्धस्तर पर सुलझाने और उनमें राज्य सरकार के प्रति विश्वास जगाने की, जो लगभग खत्म हो चुका है, ऐसे भी जान लीजिये जब आपको कोई सीएम मानेगा तभी आप सीएम होंगे, नहीं तो आपकी स्थिति वहीं होगी, कि आप संवैधानिक रुप से तो सीएम होंगे, पर जनता की नजरों में सीएम नहीं होंगे, तब ऐसे में क्या स्थिति होगी? हमें लगता है कि आपके आस-पास में रहनेवाले लोग बता ही देंगे?