IAS आफिसर्स की पत्नियों को खुश करने के लिए, IPRD कर रहा सरकारी साइटों का दुरुपयोग

चूंकि वे झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास के प्रधान सचिव हैं, चूंकि वे मुख्यमंत्री रघुवर दास के बेहद करीबी हैं, चूंकि वे मुख्यमंत्री रघुवर दास के दिल में बसते हैं, चूंकि वे सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के प्रधान सचिव हैं, तो ऐसे में सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के नियमों, कायदा-कानूनों से खेलने का अधिकार तो उन्हें प्राप्त हो ही जाता हैं, इसलिए रघुवर दास जब तक झारखण्ड के मुख्यमंत्री हैं, तब तक उन्हें सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के नियमों एवं कायदा कानूनों से खेलने का हक हैं, कोई नहीं बोल सकता उनको?  वे इसकी आड़ में, शहंशाह, जहापनाह की तरह, अपने नीचे के अधिकारियों या जूनियरों को आंख उठाकर, अपने क्रोधाग्नि से जला भी सकते हैं, उनकी बखिया उधेड़ सकते हैं, इसलिए वे जो भी करें/कहें, सब ईश्वरीय कृपा मानिये, और करते जाइये।

जरा देखिये, जनाब कर क्या रहे हैं? आम तौर पूरे देश के राज्यों में राज्य सरकार के अधीन एक विभाग होता है – सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग। इस विभाग का काम हैं, सरकार और जनता के बीच सम्पर्क स्थापित करना, सरकार के विकासात्मक कार्यों तथा सरकार द्वारा लिये जा रहे महत्वपूर्ण निर्णयों को विभिन्न माध्यमों से जनता तक पहुंचाना, ताकि जनता सरकार की नीतियों, उसके कार्यक्रमों का त्वरित लाभ ले सकें, तथा सरकार भी ये जान सकें कि उसके द्वारा बनाई गई नीतियों का लाभ, जनता ले भी रही हैं या नहीं?

यह विभाग वर्तमान युग में इतना महत्वपूर्ण हो गया है कि पूर्व में विभिन्न राज्यों में इस विभाग के लिए एक अलग ही व्यक्ति होता था, पर आजकल सूचना क्रांति के युग में चाहे वह कोई भी राज्य हो, इस विभाग को मुख्यमंत्री स्वयं अपने पास रखता है, ताकि इसका सदुपयोग वह अपना इमेज बनाने, सरकार का इमेज बनाने में लगा सकें, पर झारखण्ड में ठीक इसका उलटा है, अब यहां सरकार का इमेज बने या न बने, मुख्यमंत्री का इमेज बने या न बने, अब आइएएस/आइपीएस अधिकारी अपना इमेज बनाने/बनवाने के लिए इसका उपयोग धड़ल्ले से करने शुरु कर दिये हैं, तथा इसके माध्यम से वे अखबारों/चैनलों को उनकी औकात बताने में भी लग गये, जिसके कारण, भयाक्रांत होकर सभी अखबारों/चैनलों ने अपने घूटने ऐसे लोगों के आगे टेक दिये हैं।

मौके की नजाकत को समझ झारखण्ड में यहां के सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के वरीय अधिकारियों ने भी गजब ढा दिया हैं, वे मुख्यमंत्री/राज्यपाल की खबरों को भले ही बेहतर ढंग से दे या न दें, पर वे आइएएस/आइएएस अधिकारियों को खुश करने में कोई कोताही नहीं बरतते। वे इन आइएएस/आइपीएस की पत्नियों का भी विशेष ख्याल रखते हैं, आइएएस/आइपीएस की पत्नियों को खुश करने के लिए वे हर, वो काम करते हैं, जिनकी इजाजत सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग भी नहीं देता और न ही इनका जमीर ऐसा करने को कहता है।

जरा देखिये, मोराबादी मैदान में दीवाली मेला लगा है। यह मेला झारखण्ड आइएएस ऑफिसर्स वाइव्स एसोसिएशन द्वारा लगाया गया है, जो विशुद्ध रुप से आइएएस आफिसर्स की पत्नियों द्वारा प्रायोजित निजी मेला है, जिसका राज्य सरकार से कोई लेना-देना नहीं। यह मेला 25 अक्टूबर से लगा है, जो 29 अक्टूबर तक चलेगा। चूंकि आइएएस की पत्नियां इस एसोसिएसन से जुड़ी है, इसलिए मुख्यमंत्री रघुवर दास 25 अक्टूबर को पहुंच गये, मेले का उद्घाटन करने के लिए और आज समापन है, तो निश्चित मानिये कि आज राज्यपाल समापन समारोह में मौजूद रहेगी।

मुख्यमंत्री उद्घाटन समारोह में पहुंचे और राज्यपाल समापन समारोह में पहुंचेगी और इसका समाचार राज्य सरकार की साइट आइपीआरडी पर आये/आयेगा, इस पर किसी को कोई आपत्ति भी नहीं होनी चाहिए, पर 26-28 अक्टूबर तक चले इस दीवाली मेले का प्रतिदिन आइपीआरडी की साइट से प्रेस रिलीज प्रसारित हो। इस दीवाली मेले की रिपोर्टिंग करने के लिए आइपीआरडी अपने रिपोर्टरों को प्रतिदिन मोराबादी मैदान भेजे। आम तौर पर सीएम/गवर्नर के सामान्य कार्यक्रमों को लेकर एक- दो फोटो भेंजे तथा आइएएस आफिसर्स की पत्नियों से संबंधित कार्यक्रमों का अपने सरकारी साइट से दस-दस फोटो भेंजे, तथा अखबारों को सुनिश्चित कराएं कि इस कार्यक्रम को बेहतर स्थान दें तथा अखबार भी हाथ जोड़कर, ऐसे कार्यक्रमों को प्रमुखता दें, आखिर ये क्या बताता है?

इस संबंध में जानकार बताते है कि ऐसी घटनाओं को जन्म देकर, सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग ने एक नया इतिहास रच दिया हैं, क्योंकि इस प्रकार के मेले पिछले कई वर्षों से आयोजित रहे हैं, पर कभी भी इस प्रकार के मेले के प्रचार-प्रसार के लिए सरकारी साइटों का प्रयोग नहीं हुआ। इसकी अलग से मेला के आयोजक या उनके चाहनेवाले व्यवस्था कर देते थे, पर आइपीआरडी साइट का इसके लिए दुरुपयोग नहीं किया गया, पर चूंकि ये पहला मामला हैं, राज्य में अनोखी सरकार है, जो विशुद्ध रुप से झूठ और अनैतिक कार्यों को बढ़ावा देने के लिए ही बनी है, तो इससे आप नैतिकता की आशा नहीं रख सकते।

वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेन्द्र नाथ कहते हैं कि किसी भी परिस्थिति में निजी कार्यक्रमों या मेलों के समाचार के लिए आप सरकारी साइटों का इस्तेमाल नहीं कर सकते, चाहे वे कोई हो। आईएएस आफिसर्स वाइव्स एसोसिएशन चूंकि निजी एसोसिएशन हैं, इसलिए इनके द्वारा प्रायोजित मेले का प्रचार-प्रसार करना, उनकी समाचार सरकारी साइट से प्रसारित करना, वह भी प्रतिदिन, ये सुनकर ही उन्हें आश्चर्य हो रहा है?