टीएन शेषण जिन्होंने लोकतंत्र का चीरहरण करनेवाले सारे राजनीतिज्ञों को औकात बताई, साथ ही बताया कि EC क्या होता है?

आज सबेरे नींद खुली, सोशल साइट के माध्यम से पता चला कि टीएन शेषण दुनिया में नहीं रहे, सचमुच मुझे बहुत धक्का लगा, धक्का इसलिए नहीं कि वे अब दुनिया में नहीं हैं, बल्कि धक्का इसलिए कि एक ऐसा शख्स आज दुनिया में नहीं हैं, जिसनें भारत में लोकतंत्र का चीरहरण करनेवाले सारे राजनीतिक दलों के नेताओं को उनकी औकात बताई, साथ ही यह भी बताया कि चुनाव आयोग क्या होता हैं?

ये टीएन शेषण ही थे, जब वे अपने अंदर छुपी प्रतिभा के अनुसार चुनाव आयोग को मिले अधिकार का एक-एक कर जब प्रयोग कर रहे थे, तब राजनीतिक दलों की सारी हेकड़ी एक-एक कर निकल रही थी, चाहे वह राजनीतिक दल सत्ता में ही क्यों न हो, जबकि इसके पूर्व जो भी भारत निर्वाचन आयोग का आयुक्त हुआ करता था, वह सत्तारुढ़ दल का भोपू बनकर रह जाया करता था, टीएन शेषण ने सभी को कहा – कान खोल कर सुन लो, मैं किसी का भोपू नहीं, मैं टीएन शेषण हूं, सुधर जाओ नहीं तो हमें सुधारना आता हैं।

आज जो भारत निर्वाचन आयोग द्वारा मिले परिचय पत्र का आप जो विभिन्न क्षेत्रों में इस्तेमाल करते हैं, याद रखिये,यह उन्हीं की देन हैं। जब टीएन शेषण ने बूथ लूट और मतदान प्रकिया में हो रही जालसाजी को रोकने के लिए मतदाता पहचान पत्र का प्रस्ताव रखा तो कई दलों ने उसका कड़ा विरोध किया था,कड़ा विरोध करनेवालों में आज जेल की शोभा बढ़ा रहे, लालू यादव भी थे, जो अपने भाषणों में इसका खूब जिक्र किया करते और टीएन शेषण का मजाक उड़ाया करते थे, पर जब इसी मतदाता पहचान पत्र के कारण वंचितों को मताधिकार का प्रयोग करने का अवसर प्राप्त हुआ, तो इसी लालू यादव ने टीएन शेषण की जमकर तारीफ भी की।

यह वही टीएन शेषण थे, जिन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इन्द्र कुमार गुजराल की भी औकात बताई थी, जब वे जनता दल के टिकट पर कभी पटना से चुनाव लड़ रहे थे, यह वह समय था, जब पटना में जमकर वोटिंग के दौरान धांधली हुई थी, उस वक्त जनता दल के गुंडो ने जमकर पटना में उत्पात मचाया था, यहीं हाल उस दौरान पूर्णिया लोकसभा सीट पर हुई थी, जैसे ही टीएन शेषण को पटना और पूर्णिया में गुंडागर्दी की खबर मिली, बड़े पैमाने पर बूथ लूट की खबर मिली।

इस महान शख्स ने पटना और पूर्णिया की दोनों लोकसभा सीट पर चुनाव रद्द कर दिया, यह पहला मौका था, जिसे देख सारे राजनीतिक दल हैरान रह गये थे, उन्हें तो सिर्फ अब तक यहीं पता था कि कुछ बूथों पर फिर से मतदान कराये जायेंगे, जैसा कि आम तौर पर होता हैं, पर ये क्या टीएन शेषण ने तो गजब ढा दिया, खुद इन्द्र कुमार गुजराल और उस वक्त के दबंग नेता (आज भी दबंग ही हैं) पप्पू यादव ने खूब टीएन शेषण के खिलाफ अल-बल बोला, लेकिन टीएन शेषण तो टीएन शेषण ही थे, वो कहां इनके आगे झूकने वाले थे।

ये वहीं टीएन शेषण थे, जिन्होंने कई आइएएस अधिकारियों को भी औकात दिखाई और कहा कि वे अपने कर्तव्यों पर ध्यान दें, न कि किसी राजनीतिक दल के आगे-पीछे घूमे या उनके आगे नतमस्तक हो, आइएएस व्यास को बर्खास्त कर, उन्होंने देश के सारे भारतीय प्रशासनिक सेवा से  जुड़े अधिकारियों और चुनाव कार्य से जुड़े पदाधिकारियों को बताया कि उनकी नजर में वे भी हैं, और छोड़ने नहीं जा रहे।

आश्चर्य यह भी है कि टीएन शेषण इधर चुनाव कार्य में सुधार ला रहे थे और उधर सारी पार्टियां उन्हें गंदी-गंदी गालियों से विभूषित कर रही थी, ये जमाना था सिर्फ दूरदर्शन का, हमें याद है कि जब चुनाव परिणाम आ रहे थे, तभी उस वक्त प्रणव राय और विनोद दुआ ने इन्हें अपने कार्यक्रम में बुलाया, उस समय उन्होने खुल कर कहा कि कई लोगों ने उन्हें गालियां दी हैं, पर उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ा, उन्हें खुशी है कि उन्होंने चुनाव सुधार की ओर कदम बढ़ाया।

जो लोग 2000 के बाद जन्म लिये हैं, दरअसल उन्हें पता ही नहीं कि देश के राजनीतिक दलों ने किस प्रकार प्रचार-प्रसार के नाम पर गुंडागर्दी फैला रखी थी, किस प्रकार ध्वनि प्रदूषण फैला रखा था, किस प्रकार धनबल का सहारा लेकर अत्याचार कर रहे थे, ये टीएन शेषण ही थे, जिन्होंने इन सब पर रोक लगाई और कहा कि चुनाव आयोग के निर्णयों के अनुसार ही कोई दल या प्रत्याशी धन-राशि खर्च कर सकता हैं, और इस प्रकार टीएन शेषण ने गजब ढाया।

ये टीएन शेषण ही थे, कि जब-जब बिहार में किसी चुनाव के दौरान गड़बड़ियां हुई, इन्होंने विधानसभा चुनाव को ही पूरा रद्द कर दिया, हमें याद है कि बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान, उन्होंने दानापुर और पटना साहिव विधानसभा का पूरा चुनाव रद्द कर दिया था, जब जनता दल के गुंडों ने उत्पात मचाया था। सचमुच टीएन शेषण भले ही आज दुनिया में नहीं हैं, पर उनकी यशोकीर्ति कभी नहीं मरेगी।

संस्कृत साहित्य तो कहता है कि कीर्तियस्य स जीवति। हमें याद हैं कि भारत के विभिन्न राजनीतिक दलों ने जब देखा कि टीएन शेषण चुनाव सुधार कर रहे हैं, तो उन्हें बड़ी आत्मग्लानि हुई, सब ने सोचा कि भला एक टीएन शेषण उसे आंख कैसे दिखा सकता हैं, सभी ने मीटिंग की और कहां कि अब भारत निर्वाचन आयोग में एक आयुक्त नहीं होगा, तीन-तीन आयुक्त होंगे और सभी मिलकर निर्णय लेंगे, तथा उसमें एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त होगा।

यानी बेहतर काम करने के एक स्कोप को सब ने मिलकर चुनौती दी और लीजिये, वहीं हुआ जो आप देख रहे हैं, चुनाव आयोग हैं, निर्वाचन आयुक्त हैं, पर टीएन शेषण जैसा उनमें वो जज्बा नहीं हैं, आज भी ये सत्तारुढ़ राजनीतिक दल के इशारे पर कार्य कर रहे हैं, जैसे झारखण्ड में देखिये, भाजपा ने कहा पांच चरणों में चुनाव हो, चुनाव आयोग ने मान लिया और विपक्षी दल लाख टरटराते रहे कि एक चरण में चुनाव हो, पर उनकी सुनी नहीं गई।

जबकि पिछले दिनों महाराष्ट्र जहां 288, हरियाणा जहां 90 सीटों पर मतदान होने थे, एक ही चरण में चुनाव संपन्न हुए, लेकिन झारखण्ड जहां मात्र 81 सीटें हैं, वहां पांच चरणों में चुनाव कराया जा रहा हैं, जैसे लगता है कि झारखण्ड में जम्मू-कश्मीर जैसे हालात हो। इसीलिए मैं कहता हूं कि जब-जब चुनाव के दौरान गड़बड़िया दिखाई देंगी, भ्रष्टाचार दिखाई देगा तो लोग जरुर कहेंगे कि आज टीएन शेषण होते तो ऐसा दिखाई नहीं देता। सचमुच ऐसे लोग कभी मरते ही नहीं, टीएन शेषण हमेशा जिंदा रहेंगे।