मजा तो अब आयेगा, जब भतीजा (तेजस्वी+तेजप्रताप), चचा यानी नीतीश का सारा हेकड़ी निकालेगा

मजा तो अब आयेगा, जब भतीजा (तेजस्वी+तेजप्रताप), चचा यानी नीतीश का सारा हेकड़ी निकालेगा, अपने अपमान का बदला लेगा, तब चचा चाहकर भी कुछ नहीं कर पायेंगे, क्योंकि तब चचा के पास खुद को बचाने के लिए कुछ नहीं होगा, न जनता और न उनके लोग। कुछ लोगों को लगता कि दुनिया की सारी बुद्धिमानी उनकी जागीर है, वे इस बुद्धिमानी से किसी को भी, कही भी लताड़ लगा सकते हैं, अपमानित कर सकते हैं, पर उन्हें ये नहीं पता कि उस वक्त उनकी सारी बुद्धिमानी उस स्थान पर पहुंच जाती हैं, जब समय उनसे सब कुछ छिन लेता है।

कभी भाजपा को गरियाके राजद का दामन पकड़ लेना, कभी राजद को गरिया के भाजपा के चरणों में लहालोट हो जाना और फिर भाजपा के नेताओं को गरियाकर रावड़ी देवी जी के चरण पकड़कर माफी मांगते हुए उनके चरणों में लहालोट हो जाना, ये नीतीश ही कर सकते हैं, दुसरा कोई नहीं कर सकता। रही बात तेजस्वी, तेज प्रताप और लालू यादव के उन बेटियों की जो राजनीति में अभी नये-नये कदम रखे हैं, हमें नहीं लगता कि वे अपने अपमान का बदला लेने का संकल्प भूले होंगे, आनेवाले समय में नीतीश के साथ ही रहकर वे नीतीश का गड्ढा जरुर खोंदेंगे, इसमें कोई किन्तु-परन्तु नहीं है।

सूत्र जिस प्रकार बता रहे है कि नई चचा (नीतीश) सरकार में जो स्पीकर होगा, वो जनता दल यूनाईटेड का तो कम से कम नहीं ही होगा और गृह मंत्रालय के साथ-साथ ज्यादातर प्रमुख विभागों पर कब्जा राष्ट्रीय जनता दल का होगा, ऐसे में नीतीश की तेजस्वी और तेज प्रताप के सामने क्या औकात होगी, इसकी परिकल्पना अभी से कर लीजिये।

जो नीतीश कभी भाजपा के स्पीकर को सदन में उलटा-सीधा बोलकर निकल जाते थे, जो नीतीश भाजपा के मंत्रियों को भाव नहीं देते थे, जो नीतीश अपनी ताकत के बल पर हरिवंश जैसे स्वभक्त को राज्यसभा के उप-सभापति बनवा देते थे, अब उनकी हिम्मत नहीं होगी कि तेजस्वी और तेज प्रताप तो दूर, राजद के किसी मंत्री या विधायक के आगे खोख दें, निश्चय ही उस वक्त राजद के मंत्री और विधायक उनकी सही औकात बतायेंगे, क्योंकि अब नीतीश के पास विकल्प कहां?

अब तो ज्यादा दिन बीतने की भी जरुरत नहीं पड़ेगी, अभी से ही आईएएस-आईपीएस का दल क्या करना हैं, किसके इशारे पर करना है, समझ चुका है, शराब बेचनेवाले-शराब पीनेवाले मचलने लगे हैं, दो नंबर का काम करनेवाले लोगों में गजब की मुस्कुराहट दिखने लगी है, राजद कार्यकर्ताओं का हुजूम तो अभी से ही अपने-अपने इलाके के थाने में बैठ आगे की रणनीति बनाने लगा हैं, ऐसे में बिहार और इसके मुख्यमंत्री नीतीश की कितनी सुंदर तस्वीर आगे आयेगी, वो तो अभी से ही जो बिहार के चिन्तक है, समझने लगे हैं।

आज भी राजद के पास यादव और मुस्लिम, अब तो कुछ सवर्ण भी उनका साथ देने लगे हैं, नीतीश के पास क्या हैं, ले-देकर कुर्मी। वर्तमान में नीतीश के पास क्या हैं, बस ले-देकर 45 विधायक और इस गिने-चुने विधायकों से आप अपना और अपने दल का तकदीर बदल लीजियेगा, वो कैसे होगा भाई, स्थिति तो आनेवाले समय में जदयू और नीतीश की भाकपा माले से भी बदतर हो जायेगी, भाकपा माले के पास तो कम से कम समर्पित कार्यकर्ताओं की फौज हैं, आप (नीतीश) केवल कुर्मी जाति के बदौलत कितना वोट ले लीजियेगा, आपको जो भी वोट मिला, वो तो भाजपा या राजद के सहयोग के कारण प्राप्त हुआ, आप असली नायक है या खलनायक इसका पता तो अब चलेगा।

विद्रोही24 ने तो उसी दिन कह दिया था, जब सदन में नीतीश ने स्पीकर की इज्जत उतार ली थी, मैंने उसी दिन लिखा था कि स्पीकर का इज्जत उतारना तो बहाना हैं, दरअसल भाजपा से दूरियां बनाना इस पूरे घटना का चरित्र है। नीतीश के पॉलिटिक्स को जो लोग जानते हैं, वो ये भी जानते है कि नीतीश अपने आगे किसी को नहीं लगाते, वे एकोsहम् द्वितीयोनास्ति के सिद्धांत पर चलते हैं, और जब उनकी औकात पता लग जाती हैं तो वे सामनेवाले का फिर पांव पकड़ने में भी देर नहीं करते।

याद करिये, 2014 लोकसभा का चुनाव, जब भाजपा ने प्रधानमंत्री के रुप में नरेन्द्र मोदी को पेश किया, तो नीतीश कैसे उछलकर राजद के कोटे में जाकर बैठ गये थे, लेकिन जैसे ही उन्हें अपना औकात पता चला फिर नरेन्द्र मोदी और भाजपा के गोद में बैठकर सिद्धांत बघारने लगे, जब तक आरसीपी उनको आगे बढ़ाते रहे तो ठीक, और जब आरसीपी ने उनको औकात बताना शुरु किया, तो लीजिये आरसीपी को ही उठाके पटक दिये, ऐसे में आरसीपी उन्हें इतना जल्दी छोड़ देंगे क्या? कि वे भी अपना दिमाग लगायेंगे ही। क्या तेजस्वी-तेजप्रताप आरसीपी टैक्स और सृजन घोटाला को भूल जायेंगे या सत्ता में रहकर उन सारी चीजों को पता लगायेंगे कि उनके चचा ने सत्ता में रहकर क्या गुल खिलाये हैं?

फिलहाल जो कुछ कह लें या कर लें, नीतीश। बिहार की जनता के सामने उनकी इज्जत दो कौड़ी से ज्यादा की नहीं रह गई है। जिस दिन वे तेजस्वी और तेज प्रताप के चरणों में जाकर औंधे मुंह गिरे, उसी दिन से तेजस्वी और तेज प्रताप का राजनीतिक कद बढ़ गया। मुख्यमंत्री भले ही नीतीश रहे, पर जो राजनीतिक पंडित हैं, वे जानते है कि असली मुख्यमंत्री तो तेजस्वी और तेज प्रताप ही रहेंगे और इनकी रिमोट लालू यादव के हाथों में रहेगी, बिहार के जितने आईएएस व आईपीएस फिर लालू यादव के आगे नतमस्तक होकर ज्ञान प्राप्त करेंगे और नीतीश ये गिनेंगे कि वे बिहार के रिकार्ड बनानेवाले मुख्यमंत्री हो गये, ‘पलटू राम’ और ‘कुर्सी कुमार’ के नाम से जन-जन में विख्यात हो गये। ये अगर सोच है, नीतीश कुमार का तो भगवान ही बचाये बिहार को।