फिल्म

देश को ‘कबीर’ नहीं, ‘कबीर सिंह’ जैसा युवा चाहिए, जो लव और सेक्स के माध्यम से देश को नई ऊंचाई प्रदान करें

ये भारत नहीं, न्यू इंडिया है जनाब, क्योंकि अब देश को “कबीर” नहीं “कबीर सिंह” की जरुरत हैं। सचमुच आजकल कबीर सिंह की धूम है, ये कबीर सिंह कोई व्यक्ति विशेष नहीं, बल्कि एक फिल्म के किरदार है, जो आजकल पूरे देश में धूम मचाये हुए हैं, जिसे देखों इनकी चर्चा कर रहा है, कह रहा है वाह क्या फिल्म है और क्या कबीर सिंह है, गजब ढा दिया है इन्होंने, लोग खूब फिल्म देख रहे हैं, फिल्म बिजनेस भी अच्छा कर रही है, क्योंकि देश और देश के युवाओं को फिलहाल यहीं पसन्द है, पसन्द मतलब – लव, रोमान्स और सेक्स, शायद देश को अभी इन्हीं की ज्यादा जरुरत हैं, युवा तो ऐसे टूट रहे हैं और इस कबीर सिंह के किरदार को ऐसे हाथों – हाथ ले रहे हैं कि पूछिये मत।

कल ही एक जनाब रांची में मिल गये, थोड़ा उनका पैंट कमर से कुछ ज्यादा ही नीचे था, उनके अंडरवियर के नाम बड़े ही खुबसूरत दीख रहे थे, शर्ट के खूले बटन स्पष्ट कर रहे थे, कि बंदे पर कबीर सिंह कुछ ज्यादा ही हावी है, उनके आगे-पीछे छोटे-छोटे कपड़ों में लड़के और लड़कियां इनके इस लूक को देख, वाऊ-वाऊ चिल्ला रहे थे, मुझे यह देख जानते और महसूस करते देर नहीं लगी कि देश सही रास्तों पर जा रहा है, और देश सुरक्षित हाथों में हैं।

ऐसे-ऐसे कबीर सिंह हर गली-मुहल्ले में हो जाये तो यकीन मानिये, जवां होती लड़कियां इन्हें देख बहुत ही कम उम्र में गंगा नहा लेंगी। जिन सिनेमा हॉलों में ये पिक्चर लगी है, उन हॉलों में आप स्कूल-कॉलेज गर्ल्स को अपने ब्वाजय फ्रेंड्स के साथ इसमें डूबकी लगाते देख सकते हैं, तथा इन्हें इसका रसास्वादन करते हुए भी देख सकते हैं, क्योंकि हमारे देश में खुलापन ने शरमो-हया की दुकान ही सदा के लिए बंद कर दी है।

कभी अपने ही देश में एक फिल्म बनी थी, जिसका नाम था – मदर इंडिया, जिसमें एक गाने के बोल थे – औरत है, वो औरत जिसे दुनिया की शरम हैं, दुनिया में बस लाज ही नारी का धर्म है, जिन्दा है जो इज्जत से वो इज्जत से मरेगा, जिन्दा है जो इज्जत से वो इज्जत से मरेगा, दुनिया में हम आये हैं तो जीना ही पड़ेगा, जीवन है अगर जहर तो पीना ही पड़ेगा, पर इस फिल्म को देख कर लगता है कि शरम और हया तो गरीबों और मूर्खों के गहने हैं, जो हाई-फाई लोग हैं, उन्हें तो प्रेम भाड़ में जाये, पर पहले शारीरिक संबंध अवश्य बना लेनी चाहिए, ताकि पेट की भूख के साथ-साथ शारीरिक भूख को शांत कर परम आनन्द को प्राप्त किया जाये, नहीं तो अचानक उपर बुला लिया गया, तो फिर शारीरिक भूख का आनन्द लेने से ही वंचित हो जायेंगे, इसलिए आज जरुरत है, शारीरिक भूख को पहले मिटाने की।

जरा देखिये, कबीर सिंह कितने महान व्यक्ति हैं, ये पढ़ने में बहुत तेज है, ये गुंडागर्दी में भी तेज है, ये कॉलेज में अपने जूनियर को हड़काते हैं, कहते हैं कि फलां लड़की उनकी हैं, उस पर कोई ध्यान नहीं देगा, वे शादी के पहले अपने प्रेमिका से शारीरिक संबंध भी बना लेते है, अपने शाले को पप्पी भी शानदार ढंग से लेते है, जब प्यार में उनको लगता है कि वे धोखा खा चुके हैं, तो वे हर प्रकार का नशा करते हैं, नशा करने के बाद जब उनका दिमाग काम नहीं करता है, तो कई अन्य लड़कियों के साथ भी शारीरिक संबंध बनाते हैं, उनके शरीर में इतनी गर्मी है कि वे अपने अंडरवियर में बर्फ के टुकड़े भी डालते हैं, वे अपने नाजुक अंगों की सफाई के दौरान खून भी निकाल लेते हैं, पर कोई उनको फर्क नहीं पड़ता, सचमुच धन्य हैं वह मां-बाप जिसके घर में इतना होनहार कबीर सिंह पैदा लिये है।

इंटरवल के पहले और थोड़ा इंटरवल के बाद तक तो कबीर सिंह महान ही महान है, और महान वह फिल्मकार हैं, जो ऐसी महान फिल्म बनाकर देश के युवाओं को इतनी सुंदर सीख दी, कि आप कबीर सिंह बनो, खूब ऐश करो, पढ़ाई के साथ-साथ ऐश और गुंडागर्दी भी उतनी ही जरुरी है, क्योंकि देश को इसी से भला होगा।

कबीर ने तो सिर्फ दोहे लिखे – पोथी, पढ़ि-पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय, एकै आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय, पर नये कबीर सिंह ने तो प्रेम को अपनी हरकतों से सार्थक कर दिया है, इसलिए कबीर को छोड़िये, कबीर सिंह को पकड़िये, मैं तो कहूंगा कि हे ईश्वर, हर घर में कबीर सिंह को पैदा कर दीजिये, ताकि देश लव, रोमांस और सेक्स में डूबकर  पश्चिमी देशों की हवा निकाल दें। हमारे विचार से कबीर सिंह फिल्म बनानेवाले और उसमें काम करनेवाले सभी अदाकारों को भारत रत्न का खिताब दे देना चाहिए, क्योंकि यह युवाओं को प्रेरणा देनेवाली फिल्म है, कैसे लव-सेक्स और रोमांस के द्वारा भारत को महान बनाया जा सकता है।