अपनी बात

फेसबुक के झूठ में फंसकर तबाह होता युवाओं का कैरियर और बर्बाद होता देश

ये हैं नवाब आलम, मेरे बहुत ही अच्छे मित्र है, जनाब अधिवक्ता है, राजद के नेता है, नाटककार भी है, पर जरा देखिये, इन्होंने कितनी बड़ी गड़बड़ी कर दी है, इन्होंने अपने फेसबुक में किसी अश्विन गोस्वामी का पोस्ट शेयर किया है, जिसमें अश्विन गोस्वामी ने एक फोटो और कुछ वाक्य पोस्ट किये है, इस पोस्ट में लिखा गया है कि ‘विश्व के माने हुए नेता अटलजी की श्रद्धांजलि सभा में दो महानुभावों के संस्कार का फर्क देख लो’ और जो फोटो डाला गया है, उस फोटो में नरेन्द्र मोदी और मनमोहन सिंह दोनों को गर्म कपड़े पहने हुए दिखाया गया हैं, अब क्या कोई बता सकता है कि कोई अगस्त के महीने में, वह भी दिल्ली में गर्म कपड़े पहनकर बैठ सकता है, मनमोहन सिंह ने तो अपने उपर सफेद चादर भी रखा है और जो पीछे लोग बैठे है, वे भी गर्म कपड़े पहने हुए हैं या चादर ओढ़े है, ऐसे में इस प्रकार के पोस्ट करने या पोस्ट शेयर करने से किसका लाभ होने जा रहा हैं, क्या इससे हमारी युवा पीढ़ी नहीं भटकेगी? प्रमाण आपके सामने हैं, जरा देखिये…

अब आज के एक उभरते नेता को देखिये, वह कैसे गलत चीजें पोस्ट करता है, उदाहरण आपके सामने हैं, देखिये आम जनमानस के सामने गलत चीजें कैसे रख रहा है? ये अपने फेसबुक में लिख रहा हैं कि भाजपा शासित राज्यों एवं तृणमूल कांग्रेस द्वारा शासित राज्य बंगाल से केरल के बाढ़पीड़ितों को सहायता राशि नहीं दी गई, जबकि आज के ही अखबार में बताया गया है कि बिहार ने 10 करोड़, झारखण्ड ने पांच करोड़, महाराष्ट्र ने 20 करोड़, गुजरात ने दस करोड़ रुपये केरल के बाढ़पीड़ितों के लिए दिये हैं।

ये दो प्रमाण काफी है, कि किस प्रकार फेसबुक या व्हाट्सएप के माध्यम से हमारी युवा पीढ़ी के मनोमस्तिष्क को प्रभावित किया जा रहा है? और कैसे हमारे बच्चे और युवा अपना भविष्य बर्बाद कर रहे है, क्योंकि वे तो वहीं बनेंगे जो समाज उनके सामने परोसेगा? नेताओं और उनके बच्चों को तो कोई दिक्कत नहीं है, नेताओं के बेटे नेता बन जायेंगे, सांसद बन जायेंगे, विधायक बन जायेंगे, पूंजीपतियों के बच्चे आराम से निकल जायेंगे, आइएएस/आइपीएस के बच्चों का तो जवाब ही नहीं, पर साधारण घर के बच्चों का क्या होगा?

स्थिति तो ऐसी है कि फेसबुक, व्हाट्सएप के आने से झूठ के कारोबार का धंधा इतनी तेजी से फैला है कि देश में सांप्रदायिकता/जातीयता का उन्माद चरम पर हैं, विभिन्न राजनीतिक दलों ने एक आइटी सेल ही बना रखा है और वे इसके माध्यम से झूठ की खेती, इतनी तेजी से कर रहे हैं कि उसकी फसल बड़ी तेजी से उनके खेतों में फसल के रुप में लहलहा रही हैं, और वे इसका फायदा जमकर उठा रहे हैं।

पर, देश की जो स्थिति है, उसका हाल क्या है? आज लड़कियों के साथ सामूहिक दुष्कर्म, नाबालिगों के साथ यौन शौषण, अप्राकृतिक यौनाचार, सांप्रदायिक व जातीय उन्माद, सामाजिक समरसता का मिटना, गांवों-मुहल्लों में जो पारिवारिक माहौल होता था, उसका पूरी तरह समाप्त हो जाना, ये सब इसी झूठी फसल की देन हैं।

हद तो यह है कि आपके ही बगल में बैठा व्यक्ति/युवा, लड़की का चेहरा लगाकर, फेक नाम से फेसबुक चला रहा है और आप को आराम से उल्लू बना रहा है, आपको पता नहीं चल रहा है, घर में एक साथ रहनेवाले भाई-बहन फेसबुक के माध्यम से कब प्रेमी-प्रेमिका बन जा रहे है, उन्हें यह पता तब लग रहा है, जब वे चैटिंग के माध्यम से कही मिलने का प्रोग्राम बनाते हैं और जब आपस में टकराते हैं तो भाई, बहन को पाकर, और बहन, भाई को पाकर बेशर्मों की तरह, आपस में आंखे चुराते हैं।

आखिर हम समाज को कहां ले जाना चाहते है, क्या आप अपने बच्चों को गुंडा बनाना चाहेंगे, दुष्कर्मी बनाना चाहेंगे, लम्पट बनाना चाहेंगे, क्या बनाना चाहते हैं? इस पर आज ही विचार करिये, क्योंकि ऐसा भी नही कि आपके फेसबुक या व्हाटसएप पर प्रतिबंध लगा देने से वे इससे दूर हो जायेंगे, चूंकि ये समाज में रहेंगे तो समाज में जो भी कुछ हो रहा है, उसका असर इन युवाओं पर पड़ना तय है।

याद रखिये, कोई राजनीतिक दल आपके बच्चों के भविष्य की चिन्ता नहीं करता, क्योंकि सारे राजनीतिक दलों के नेताओं को उनके अपने बच्चों की भविष्य की चिन्ता है, ज्यादा जानकारी प्राप्त करना है, तो केन्द्र से लेकर अपने राज्य तक को आराम से देखिये, जिनके हाथों में शासन का बागडोर हैं, वे कोई सवर्ण नहीं, बल्कि खुद को पिछड़ों के मसीहा कहने-कहलानेवाले लोग ही है, पर इन्हें आपकी कितनी चिन्ता है, जरा खुद से पूछिये, पता लग जायेगा, इसलिए हमारा मानना है कि ऐसे लोगों से आप अपने बच्चों को बचाइये, उन्हें फेसबुक/व्हाट्सएप की गड़बड़ियों, उसके दुष्प्रभाव से उन्हें परिचय कराइये, उन्हें ऐसा बना दीजिये कि उनके मनोमस्तिष्क पर फेसबुक पर चल रहे झूठ के कारोबार का असर उन पर न पड़े, वे बेहतर नागरिक बने, क्योंकि जब वे बेहतर नागरिक बनेंगे, तभी देश बेहतर होगा, भारत बेहतर होगा, नहीं तो जो अभी झूठ की खेती चल रही हैं, उससे कहीं ऐसा नहीं कि आपके घर ही झूठ की आग की लपटों में समा जाये।

ऐसे में क्या करें?

  • बच्चों को बताएं कि फेसबुक में जो भी बातें या कमेन्टस या पोस्ट या फोटो दिये जाते है, वे सभी सहीं नहीं होते, उसमें 90 प्रतिशत झूठ होते हैं, जिनका सत्य से कोई वास्ता नहीं होता, सभी अपने फायदें के लिए इस झूठ को परोस रहे होते हैं, चाहे वह सामाजिक/धार्मिक/राजनीतिक संस्थाओं द्वारा बनाये गये हो अथवा व्यक्ति विशेष द्वारा।
  • बचपन से ही बच्चों को भारतीय संस्कृति से संबंधित साहित्य, वीर बालक/बालिकाओं की कहानियों को पढ़ने के लिए दें, देश के मूर्धन्य कवियों/साहित्यकारों से उन्हें परिचय कराये।
  • देश के महान नेताओं का जीवनी पढ़ने को दें, इसमें जातीय विभेद नहीं करें, क्योंकि जो देश के लिए मरता है, वह नेता सभी का होता है, वह किसी जाति-विशेष का नहीं होता।
  • बच्चों को अंधविश्वासी या कायर नहीं बनाएं, उन्हें विज्ञान से परिचय कराएं, तथा उन्हें तार्किक बनाएं, क्योंकि जब तार्किक होंगे तो वे किसी कचरे में नहीं पड़ेंगे।
  • हर पल अपने बच्चों पर नजर जरुर रखे, वे किससे मिलते हैं? क्या करते हैं? घर कब आते हैं? और कब जाते हैं? ये बहुत ही जरुरी हैं, बेटियों से ज्यादा बेटों पर ध्यान दें, क्योंकि बेटियों की अपेक्षा बेटों में गड़बड़ियां ज्यादा देखने को मिल रही है, याद रखे भारत में जितनी भी दुष्कर्म की घटनाएं हो रही है, वे किसी न किसी के बेटों के द्वारा ही हो रही हैं.
  • हमेशा ध्यान रखे कि यह देश आपका है, आपको कुछ न कुछ देश को देना है, अगर आप कुछ देने की स्थिति में नहीं हो, तो कम से कम अपने बच्चों को इस तरह जरुर बना दें कि वे भारत की प्रतिष्ठा से नहीं खेलें, बल्कि देश का स्वाभिमान बढ़ानेवाले बनें।

One thought on “फेसबुक के झूठ में फंसकर तबाह होता युवाओं का कैरियर और बर्बाद होता देश

  • राजेश

    सही आकलन समीक्षा कथ्य और निर्देश,जल्द ही उस पर संज्ञान और विवेक पूर्ण नियंत्रण न हो तो बिस्फोट कभी भी सम्भव है।।

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