यह मत भूलिये कि एनडीआरएफ/सेना के जवान भी किसी के बेटे/भाई/पिता/पति हैं

यह मत भूलिये, कि जो एनडीआरएफ/सेना के जवान, आपके केरल में जाकर, आप बाढ़पीड़ितों के लिए, अपनी जान संकट में डाल रहे हैं, वे भी किसी के बेटे हैं, भाई हैं, पिता हैं, पति हैं, उनका भी अपना सम्मान हैं, अगर वे मानवता के लिए, आपकी सेवा में लगे हैं, तो आप भी कुछ मानवता दिखाइये, उनका सम्मान करिये, थोड़ी शक्ति दिखाइये, ऐसा नहीं कि जहां एनडीआरएफ के जवान आपके लिए खुद को सीढ़ी तक बना दिया हैं, आप बिना मानवीय सीढ़ी के नौका पर चढ़ नहीं सकती थी, पर आपने एनडीआरएफ के जवान के पीठ पर, वह भी चप्पल पहनकर, नौका पर बैठना, शान समझा, अब हम इसे क्या कहें? आप की मानवता, एनडीआरएफ/सेना के जवानों के प्रति सम्मान या एक शहंशाही मनोवृत्ति, जो किसी भी समय, चाहे वह समय अनुकूल हो या विपरीत, शहंशाही ही रहती हैं, उसमें कोई सुधार नहीं होता।

एनडीआरएफ/सेना के जवानों, सचमुच आप महान हो, आपको हमारा बारम्बार प्रणाम हैं, क्योंकि आपने वह कर दिखाया है, जो कोई कर ही नहीं सकता। आपने सारी संकटों एवं अपमानों को भूलकर, जो केरल में मानवीय मूल्यों को स्थापित कर रहे हैं, कई जिंदगियों को बचाने का काम कर रहे हैं, सेवा भाव से लगे हैं, वह बहुत विरले लोग करते हैं, तभी तो हम कहते है कि आप हो, तो हम हैं।

ज्यादातर लोग तो ऐसे समय में, हमारे देश में केवल गप्पे हांकेंगे, सरकार की गलतियां ढूंढेंगे, पीएम-सीएम को गालियां देंगे, हिन्दू-मुसलमान बतियायेंगे, विभिन्न राजनीतिक दलों में बंटकर एक दूसरे को गलियायेंगे, दोष निकालेंगे और जब उन्हें ही कहा जाये कि देश की सीमाओं पर संकट हैं, जरा चलो, बंदूक पकड़ा जाये या उन्हें कहा जाय कि केरल में ही बाढ़ आया है, बिमारियां फैलने की आशंका है, चलो वहां सेवा कार्य किया जाये तो देखिये, इनकी नानी मरने लगेगी, पर जब इनके आकाओं की रैलियां होगी तो फिर देखिये, ये कैसे सुट-बुट लगाकर, रैलियों में शामिल होने, तथा अपने राजनीतिक आकाओं के गुणगान करने में कैसे लगते हैं।

हमें खुशी है कि केरल में आई बाढ़ को लेकर, पूरा देश केरल के साथ हैं, केन्द्र सरकार और राज्य सरकार ने इस बाढ़ की विभीषिका से लोगों को सुरक्षित निकालने तथा उन तक राहत पहुंचाने में कोई राजनीतिक बयानबाजी नहीं दिखाई, तथा वहां विशेष अभियान चला रखा है, लोग संतुष्ट भी हैं। अभी भी कई इलाके हैं, जहां बाढ़पीड़ित फंसे हैं, और लोग उन्हें बचाने का प्रयास कर रहे हैं।

देश के सभी राज्यों ने भी बड़ी ही उदारता के साथ अपने-अपने राज्यवासियों की ओर से केरल को समुचित राशि पहुंचाई हैं, कई धार्मिक-सामाजिक संगठनों, फिल्मी दुनिया के लोगों तथा देश के बाहर से भी केरल के बाढ़-पीड़ितों के लिए मदद देने को सेवा के हाथ बढ़े हैं, जो बताता है कि अभी-भी मानवता मरी नहीं है, दुनिया में अच्छाई अब भी जिंदा है।

समाचार यह भी है कि प्रकृति ने भी थोड़ी रहम दिखाई है, बारिश थमा है, विभिन्न इलाकों में बाढ़ के पानी घट रहे हैं, जो केरल के सभी 14 जिलों में रेड अलर्ट था, उसे हटा दिया गया है, राहत कार्यों मे तेजी आई है। सेना और एनडीआरएफ के जवानों की पहली प्राथमिकता बाढ़ में फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाना, उन्हें बाढ़जनित बिमारियों से बचाना, तथा उन तक खाने-पीने के सामानों को पहुंचाना है।

भारतीय रेलवे ने केरल के बाढ़-पीड़ितों तक पहुंचाई जानेवाली राहत सामग्रियों को निःशुल्क पहुंचाने का जो फैसला लिया है, वह काबिले तारीफ है, हाल ही में पश्चिम रेलवे द्वारा केरल के लिए नौ लाख लीटर पेयजल के साथ विशेष ट्रेन को रवाना करना, बता रहा है कि इस केरल में आई बाढ़ को लेकर, पूरा देश कितना चिंतित है। आइये हम सब मिलकर, सारी गलतफहमियों को दूर कर, केरल में बाढ़-पीड़ितों की निस्वार्थ सेवा में लगे, सेना/एनडीआरएफ के जवानों का मनोबल बढाएं, उनके लिए विशेष प्रार्थना करें, ताकि उनके परिवार को भी लगे, कि केरल गये उनके बच्चों के साथ, केवल उनके परिवार की ही दुआ नहीं कर रहा, बल्कि पूरे देश के लोगों की दुआएं साथ है।