अपनी बात

CM से भी बड़ा है IPRD का यह अधिकारी, जो सचिव को प्रधान सचिव बना देता है

झारखण्ड सरकार के कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग की अधिसूचना संख्या 1/पी-102/2015 का.-748/ जो दिनांक 25 जनवरी 2018 को जारी किया गया है, उसे ध्यान से देखिये। जिसमें साफ लिखा है कि मुख्यमंत्री के सचिव, झारखण्ड के पद पर पदस्थापित श्री सुनील कुमार बर्णवाल, भा.प्र.से.(झा.1997)(अतिरिक्त प्रभार-सचिव, उद्योग, खान एवं भूतत्व विभाग एवं अध्यक्ष JSMDC) को अगले आदेश तक मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव के कार्य हेतु प्राधिकृत करते हुए सचिव, सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, झारखण्ड रांची का भी अतिरिक्त प्रभार दिया जाता है। यह अधिसूचना, झारखण्ड राज्यपाल के आदेश से, सरकार के उप सचिव अखौरी शशांक सिन्हा ने जारी किया है। जिसे विभिन्न विभागों को जानकारी के लिए संप्रेषित किया गया है।

यह अधिसूचना स्पष्ट करता है कि मुख्यमंत्री के सचिव सुनील कुमार बर्णवाल को प्रधान सचिव के पद पर पदोन्नति नहीं दी गई है, इन्हें केवल मुख्यमंत्री के प्रधानसचिव के कार्य के लिए सिर्फ अधिकृत किया गया है, जो सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के सचिव पद पर रहते हुए सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग का भी कार्य देखेंगे, पर जरा कमाल देखिये, मुख्यमंत्री सचिवालय में कार्य कर रहे आइपीआरडी के एक अधिकारी का जो स्वयं द्वारा संप्रेषित समाचार में सुनील कुमार बर्णवाल को मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव के रुप में प्रोजेक्ट कर रहा हैं।

सूत्र बताते है कि उक्त अधिकारी इसलिए सुनील कुमांर बर्णवाल को प्रधान सचिव के रुप में प्रोजेक्ट कर रहा हैं, ताकि उसके उपर जो विभागीय कार्रवाई चलाई जा रही है, उस कार्रवाई से वह बच जाये और सुनील कुमार बर्णवाल उसकी इस मक्खन लगाने की प्रवृति से खुश होकर, उसकी मदद कर दें, यानी मुख्यमंत्री सचिवालय में कार्यरत आइपीआरडी का अधिकारी, मुख्यमंत्री रघुवर दास से भी आगे निकल गया, वह अब अधिकारियों को प्रधान सचिव भी बनाने लगा है।

सचमुच अपना झारखण्ड कमाल का है, जहां एक कनीय अधिकारी, एक आईएएस अधिकारी को सचिव से प्रधान सचिव तक बना देता है, ज्यादा जानकारी के लिए मुख्यमंत्री सचिवालय से संप्रेषित उपरोक्त समाचार पर नजर डाल लीजिये।

One thought on “CM से भी बड़ा है IPRD का यह अधिकारी, जो सचिव को प्रधान सचिव बना देता है

  • मनजीत कुमार मिश्रा

    इनका परिचय की 2005 मे जमशेदपुर मे टाटा लीज से बहुत सी जमीन को खुद की मरजी से सब लीज दे दी गई ? जिससे सरकार को करोड़ो की चपत लगी है ? सब जाँच ढंडे बस्ते मे चली गई है ? यहा के जनप्रतिनिधी भी खामोस थे ? इस लिए वतॅमान मे यह होना कोई बड़ी बात नही है यह तो होना ही था ?

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