अभी भी वक्त है संभलिये, इन बच्चियों के दर्द को महसूस करिये, नहीं तो कल किसने देखा

आज जैसे ही फेसबुक खोला सन्नी शरद के पोस्ट पर मेरी नजर गई, उसने लिखा है – ‘झारखण्ड की 16 वैसी बच्चियों को आज रांची लाया गया, जो किसी न किसी तरह काम के नाम पर दिल्ली में बेच दी गई थी। इसमें से एक गोड्डा जिले से पहाड़िया जनजाति की थी। जिसे प्रभा मुनि को दिल्ली एटीएस ने गिरफ्तार किया है, वहीं प्रभा मुनि उसे ले गई थी। बच्ची के अनुसार प्रभा मुनि उसे तरह-तरह से प्रताड़ित करती थी। अपने पति के बिस्तर पर सोने को मजबूर करती थी, नहीं सोने पर चाकू से शरीर पर हमला करती थी। रुह कंपा देनेवाली बात अपनी ही जुबां से बताने के बाद यह कहकर फफक-फफककर रोने लगी कि कमाने गये थे, अब घर पर मां पैसा मांगेगी, तो क्या देंगे?’

जैसे ही मैंने सन्नी के इस पोस्ट को पढ़ा, मैं बहुत विचलित हो गया, तुरंत सन्नी को फोन लगाया, सन्नी ने ऋषिकांत ( ये वहीं शख्स है, जिन्होंने इन बच्चियों को मुक्त कराने में प्रमुख भूमिका निभाई है, जनाब रांची के ही रहनेवाले हैं, बंगाल के आसनसोल में पढ़ाई की है, और इन दिनों दिल्ली में रह रहे हैं।) का नंबर दिया और जब ऋषिकांत से बात हुई तो मैं चौक गया। ऋषिकांत ने जो सवाल उठाये, वह सवाल लाजिमी है, क्या है वे सवाल…

1. झारखण्ड इसी लिए बना था कि यहां की बेटियां दिल्ली या महानगरों में ले जायी जायेंगी और वहां उनके साथ यौन शोषण होगा, और वे दो जून की रोटी के लिए जिंदगी भर तरसती रहेगी, वह काम भी करेगी और उसके महीने के पैसे, दलाल ले जाया करेंगे, वह जिंदा भी रहेगी या नहीं, उसकी जिंदगी का कोई भरोसा नहीं होगा।

2. आखिर राज्य सरकार बताएं और उनके आइएएस बताएं कि ये जो अपने राज्य में आदिवासी बालक-बालिकाओं के लिए मनोहारि योजनाएं, बराबर बनती रहती हैं, उन मनोहारि योजनाओं के बाद भी हमारी बेटियां दिल्ली या महानगर जाने को मजबूर क्यों है? इसका मतलब है कि ये मनोहारि योजनाएं जनता की आंखों में धूल झोंकने के लिए बनाई जाती हैं और ये सिलसिला आगे भी जारी रहेगा।

3. ऐसा नहीं कि ये लड़कियां पहली बार दिल्ली से आई है, ये सिलसिला तो आज भी जारी है, आखिर ये सिलसिला कब रुकेगा? और

4. अंत में, कहीं ऐसा तो नहीं कि, हमें इन बेटियों में, अपनी बेटियां नजर नहीं आती, जिस कारण हमें इनका दर्द महसूस नहीं होता, और दर्द महसूस नहीं होने के कारण, ये भयंकर रोग, जो महामारी का रुप ले चुका है, रुकने का नाम नहीं ले रहा।

आखिर राज्य सरकार, आइएएस अधिकारी और यहां की जनता कब इस मुद्दे पर जगेगी? जरुरत जगने की है, अगर नहीं जगेंगे तो समझ लीजिये, झारखण्ड पर लग रहा ये दाग, आपको भी जीने नहीं देगा, जब आप महानगरों का दौरा करेंगे, तो लोग कहेंगे, देखो झारखण्ड आया है, और आप अपना चेहरा छुपाते नजर आयेंगे, इसे समझने की जरुरत है।

आज जो भी बच्चियां आई है, उन्होंने जो अपना दर्द सुनाया है, वह मानवता को भी शर्मसार कर रहा हैं। इन आदिवासी बच्चियों को ले जानेवाला और उनके साथ गलत करनेवाला कोई और नहीं, बल्कि आदिवासी ही हैं, जो दिल्ली में इन बच्चियों के साथ खूलेआम गलत कराती रही हैं। इनके साथ यौन-शोषण सामान्य बात है, और इनसे काम करवाकर भी, इन्हें पैसे नहीं देना, उनके साथ मार-पीट करना तो रोजमर्रा की बात है।

बताया जाता है कि इस धंधे में छत्तीसगढ़ की आदिवासी प्रभा मुनि और उसका पति रोहित मुनि लड़कियों की तस्करी का एक गैंग चलाता है, दिल्ली के पंजाबी बाग में इसकी बड़ी बिल्डिंग में कई लड़कियां रहती है, जब इसकी जानकारी दिल्ली एटीएस को मिली, तो इसी जानकारी के आधार पर पुलिस ने छापा मारकर प्रभा मुनि को गिरफ्तार कर लिया। बताया जाता है कि प्रभा मुनि के पास 250 करोड़ तक की जमीन है। इधर झारखण्ड पुलिस भी प्रभा मुनि को रिमांड पर लेने की कोशिश कर रही है।

प्रभा मुनि के राजनीतिज्ञों से भी बहुत ही मधुर संबंध हैं, उसके कई राजनीतिज्ञों के साथ खिंचवाई गई फोटो, इन दिनों खुब वायरल हो रहे हैं, बताया जाता है कि प्रभा मुनि, इन्हीं राजनीतिक संबंधों के कारण, अपना तस्करी का धंधा जोर-शोर से चला रही थी और पुलिस उस तक पहुंचने और उसे गिरफ्तार करने से भय खाती थी।

आज पहाड़िया जाति की उस बच्ची की दर्दनाक दास्तान यह बताने के लिए काफी है कि अपने झारखण्ड को इस कदर ग्रहण लग चुका है कि इस ग्रहण से कहीं पूरा झारखण्ड ही न स्वाहा हो जाय, अगर ऐसा होता है तो इसके लिए अगर कोई प्रथम दोषी होगा तो वह सरकार होगी, दूसरे में यहां के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी होंगे और तीसरे में यहां की जनता, जिसने कभी भी इस मुद्दे पर सड़क पर उतरने की कोशिश नहीं की, यह सोचकर कि ये बेटियां तो दूसरों की हैं, दूसरों की बेटियों के लिए, वे सड़कों पर क्यों उतरें?