उतर रहा मोदी और भाजपा का जादू, दावे दस लाख, पहुंचे मात्र तीन से चार लाख

आज भोपाल में भाजपा कार्यकर्ताओं का महाकुम्भ था। झीलों की नगरी में भाजपा कार्यकर्ताओं को पूरे प्रदेश से लाने के लिए अच्छी व्यवस्था मध्यप्रदेश सरकार ने की थी। एक दिन के लिए स्कूल बंद करा दिये गये थे, भाजपा कार्यकर्ताओं को भोपाल तक लाने के लिए नौ-नौ ट्रेनें चलाई गई थी, बड़ी संख्या में दूर-दराज से कार्यकर्ताओं को लाने के लिए बसों की भी व्यवस्था की गई थी।

पूरे मध्यप्रदेश में भाजपा के बड़े-बड़े नेताओं ने दावा किया था कि इस महाकुम्भ में दस लाख भाजपा कार्यकर्ता शामिल होंगे, पर स्वयं मंच से भाजपा के दिग्गजों ने स्वीकार किया, इस महाकुम्भ में साढ़े छह लाख भाजपा कार्यकर्ता पहुंचे हैं, यानी खुद उन्होंने अपने पूर्व के दावों को झूठा करार दिया, जबकि इस पूरी महाकुम्भ को शांतिपूर्वक निबटाने में लगे पुलिस महकमों से जुड़े लोगों का कहना था कि इस कार्यकर्ता सम्मेलन में मुश्किल से तीन से चार लाख ही लोग जूटे होंगे, इससे ज्यादा हो ही नहीं सकते।

अब सवाल उठता है कि भोपाल जैसे शहर में जो भाजपा का गढ़ माना जाता है, वहां की जब ऐसी स्थिति हैं तो अन्य स्थानों की क्या स्थिति होगी?  ये समझने की जरुरत हैं, आज से ठीक पांच साल पहले जिस प्रधानमंत्री मोदी को सुनने के लिए लोग जुटते थे, अब लोग उनसे खुद किनारे हो रहे हैं, कुछ दिन पहले रांची में भी आयुष्मान योजना का उद्घाटन करने आये पीएम नरेन्द्र मोदी की सभा का यहीं हाल था, अगर यहां राज्य के उपायुक्तों एवं अन्य अधिकारियों ने जोर नहीं लगाया होता, तथा सरकारी योजनाओं का लाभ ले रहे कर्मचारियों और मानदेय पर कार्य कर रही विभिन्न योजनाओं से जुड़ी महिलाओं पर दबाव नहीं बनाया होता, तो निःसंदेह यहां भी भीड़ देखने के लिए मोदी तरस जाते, क्योंकि रांची की जनता ने मोदी की इस सभा से खुद को अलग कर लिया था, यानी आयुष्मान योजना की शुरुआत रांची से और रांची के लोग ही नदारद।

आखिर ऐसा क्या हो गया, कि अचानक मोदी की लोकप्रियता में भारी गिरावट आ गई। राजनीतिक पंडितों की माने तो काठ की हांडी एक बार ही चूल्हे पर चढ़ती है, बार-बार नहीं। पेट्रोल-डीजल के मूल्य में लगातार हो रही वृद्धि, बढ़ती महंगाई, मोदी के राज में नीरव मोदी, विजय माल्या, मेहुल चौकसी आदि भ्रष्ट कारोबारियां का लगातार भारत छोड़कर भाग जाना और पीएम का टकटकी लगाकर देखते रहना, काला धन पर सरकार का बेबस रहना, राम मंदिर का सपना दिखाकर, दिल्ली में भाजपा का विशाल कार्यालय का निर्माण करा देना, बोफोर्स तोप पर कांग्रेस को घेरते-घेरते राफेल मुददे पर खुद घिर जाना, पाकिस्तान को सबक सिखाने का दावा करते-करते, भारत के जवानों की दुर्दशा कर दिया जाना, खुद के लिए पुरानी पेंशन स्कीम लागू करना और पूरे देश के अधिकारियों/कर्मचारियों को न्यू पेंशन स्कीम में ठेल देना, ये सब बातें अब लोगों के मन में घर बना रही है कि ये वही भाजपा हैं, जो 2014 के पूर्व कांग्रेस को घेरा करती थी, या भाजपा का ही कांग्रेसीकरण हो गया और जब भाजपा का ही कांग्रेसीकरण हो गया, तो ऐसे में लोग आरिजनल कांग्रेस को ही क्यों न सत्ता सौंप दें।

यहीं कारण हैं कि भाजपा के मोदी और अन्य नेताओं से लोगों की विरक्ति हो रही हैं और भाजपा से लोग ही नहीं, बल्कि अब उनके कार्यकर्ता भी दूरी बना रहे हैं, भोपाल का कार्यकर्ता महाकुम्भ और रांची की आयुष्मान योजना की शुभारंभ पर लाई गई भीड़ खुलकर बता रही हैं कि आनेवाले लोकसभा चुनाव हो या मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में होनेवाले विधानसभा के चुनाव, भाजपा के हालात ठीक नहीं हैं, इस बार उन्हें तीनों राज्यों में हार का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि जनता ने मूड बना लिया है कि बहुत हो चुका, अब और इन्हें मौका नहीं दिया जा सकता।