शर्मनाक, जिस BJP प्रत्याशी शशिभूषण ने प्रेस कांफ्रेस में सुचित्रा मिश्रा की हत्या की बात कबूली, वह बरी हो गया

बहुचर्चित सुचित्रा मिश्रा हत्याकांड मामले में शामिल पांकी से भाजपा प्रत्याशी एवं ऑक्सफोर्ड स्कूल के डायरेक्टर शशिभूषण मेहता पर आज फैसला आखिर आ ही गया। अपर न्यायायुक्त विजय कुमार श्रीवास्तव की अदालत ने फैसला सुनाया और साक्ष्य के अभाव में शशिभूषण मेहता और इस कांड में शामिल छः अन्य को भी बरी कर दिया।

ज्ञातव्य है सुचित्रा मिश्रा ऑक्सफोर्ड स्कूल की वार्डन थी, 11 मई, 2012 को सुचित्रा मिश्रा की धुर्वा में हत्या कर, उसके लाश को डैम में फेंक दी गई थी, इस हत्याकांड में स्कूल के निदेशक शशिभूषण मेहता सहित अन्य आरोपियों को अभियुक्त बनाया गया था।सुचित्रा के भाई गोविन्द पांडेय ने उस दौरान इस हत्याकांड की प्राथमिकी धुर्वा थाने में दर्ज कराई थी।

बताया जाता है कि उस दौरान शहीद मैदान में एक सर्कस लगा था, जिसे देखने के लिए सुचित्रा अपने परिवार के साथ शशि भूषण मेहता की कार से शहीद मैदान सर्कस देखने गई थी, जिस रात उसकी हत्या कर दी गई। आज न्यायालय के फैसले आने के बाद लोग फैसले को सुनकर अवाक् हो गये। लोगों का कहना है कि फिलहाल जिस झारखण्ड में अभी बेटियों और महिलाओं पर अत्याचार के मामले बढ़े हैं और वहां की अदालत द्वारा साक्ष्य के अभाव में ऐसे लोगों को छोड़ देना, क्या न्याय का गला घोंटना नहीं हैं?

वह भी तब जब प्रेस के सामने शशिभूषण मेहता अपने द्वारा किये गये जूर्म को कबूल चुका है, और अगर शशिभूषण मेहता ने हत्या नहीं कराई तो फिर सुचित्रा मिश्रा की हत्या किसने कराई, किसी भूत ने तो कराई नहीं होगी, इसका मतलब है कि कही न कही गड़बड़ तो हैं, और वो क्या गड़बड़ हैं, ऐसा भी नहीं कि जनता जानती ही नहीं।

पूरा झारखण्ड जान रहा है कि आजकल न्याय किस प्रकार हो रहे हैं, अगर आप भाजपा में न होकर झामुमो या अन्य दल में हैं और आप पर आरोप है कानून को तोड़ने का, या किसी अन्य अपराध का तो आपको मिलेगी दो साल या दो साल से अधिक की सजा, ताकि अगर आप विधायक है तो आपकी विधायिकी चल जाये और आप विधायक नहीं हैं तो आप किसी काम के नहीं रहे, उदाहरण सिल्ली के पूर्व झामुमो विधायक अमित महतो हैं और अगर भाजपा के हैं तो फिर क्या कहने, आप अगर किसी पुलिसकर्मी के वर्दी ही क्यों न फाड़ दें, थाने पर हमले ही क्यों न कर दें, आपको मिलेगी डेढ़ साल की सजा, ताकि आपकी विधायिकी बरकरार रहे, उदाहरण है बाघमारा का भाजपा विधायक ढुलू महतो।

यानी अपने राज्य में कानून भी गजब का काम कर रहा है, भाजपा का हैं तो उसे कम सजा या सजा से ही मुक्त कर दो, और दूसरे दल का हैं तो उसे ऐसी सजा दो कि उसका भविष्य ही चौपट हो जाये। अब जरा देखिये शशिभूषण मेहता भाजपा से चुनाव लड़ रहे है, अगर इन्हें सजा होती तो निश्चय ही दो साल से अधिक की होती, क्योंकि मामला हत्या का हैं, उम्रकैद भी हो सकती थी, पर इन्हें साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया, क्यों जरा दिमाग लगाइये, वो इसलिए कि अगर ये चुनाव जीत गया तो भाजपा को सदन में बहुमत जुटाने के लिए तिकड़म लगाना नहीं पड़ेगा और जीतने के बावजूद इसे सजा सुना दी गई है तो इसका कोर्ट में हारना या चुनाव में जीतना दोनों बराबर हो जायेगा, अब जरा देखिये, भाजपा का दोनों काम हो गया।

ऐसे भी आपको बता दें कि रांची का नटराजन कांड उसमें क्या हुआ, पूरे राज्य की जनता ने देखा कि कौन किसका यौन शोषण किया, और बाद में फैसला क्या आया? नटराजन दोषमुक्त हो गये। हमें एक बात समझ में नहीं आती कि ये सारे फैसले बड़े लोगों धन्ना सेठों के पक्ष में ही क्यों आते है, किसी गरीब-गुरबों के पक्ष में क्यों नहीं जाते? अरे पाप तो दोनों ने किये, ये क्या कि एक साक्ष्य के अभाव में बरी हो जाये और दूसरा लटक जाये।

हालांकि न्यायालय ने फैसले सुना दिये हैं, शशिभूषण मेहता बरी भी हो गया, पर जनता की अदालत में हमें नहीं लगता कि किसी ने बरी किया है, तभी तो जनता की अदालत में इसे लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हैं, सोशल साइट पर लोग इस फैसले को लेकर अंगूलियां उठा रहे हैं।

युवा और निष्ठावान पत्रकार आनन्द दत्ता अपने फेसबुक पर प्रतिक्रिया देते हैं “आरोपी मीडिया के सामने स्वीकार करता है कि उसने महिला का मर्डर किया है। लेकिन कोर्ट से बरी हो जाता है। हां, इस बीच में वह बीजेपी में शामिल हो चुका होता है, उसे विधानसभा चुनाव का टिकट भी मिल जाता है। 23 को परिणाम भी आनेवाला है।”

वरिष्ठ पत्रकार, अखिलेश कुमार सिंह अपने फेसबुक पर लिखते है – “शर्मनाक। जिस शशिभूषण मेहता ने प्रेस कांफ्रेस में सुचित्रा मिश्रा की हत्या की बात कबूली थी, वह बरी हो गया।” और लीजिये उनके इस पोस्ट पर किसने क्या कमेंट किया? वह भी यहां की राज्य सरकार, पुलिस प्रशासन तथा न्यायिक व्यवस्था में लगे लोगों को पढ़ना चाहिए।

पत्रकार, प्रशान्त सिंह – मेरे सामने भी जूते से मार खाकर कबूला था अखिलेश, गजब हाल है।

अखलाक अहमद – सैल्यूट भी करना होगा, रेपिस्ट को, कहां जा रहा है हमारा समाज, कानून कोर्ट क्या कर रही हैं आजकल।

रोहित कुमार सिंह – अखिलेश कुमार सिंह, सीधा लिखिये न जी, पुलिस पैसा खाकर रिपोर्ट में गड़बड़ी की है।

इशान करण – आज एक बार फिर से न्यायालय पर मेरा विश्वास गहरा हुआ। अब भाजपा निष्कंलक हुई और वो माननीय बनकर शपथ लेंगे।

पिंटू दूबे – कोई कुछ नहीं बोलेगा, वो अभी एमएलए बनेंगे।

महावीर सिंह – मैं बीजेपी का समर्थक हूं, पर आज भगवान से प्रार्थना है कि झारखण्ड में जेएमएम की सरकार बने और बदले की भावना से ही सही पर शशिभूषण मेहता पर कठोर कार्रवाई करें।

रंजीत चंद्रवंशी – मैं भी उस प्रेस कांफ्रेस में था। मुझे याद है, एसएसपी साकेत सिंह ने जूता से पीटा था।

प्रशांत सिंह – धुर्वा थाने में, याद है न रंजीत।

अफरोज मो. अख्तर – आखिर वह बीजेपी प्रत्याशी है, फिर सजा कैसे हो सकती है।

अनिमेष नचिकेता – हो सकता है शिक्षा मंत्री भी बन जाये।

ब्रजेन्द्र पांडे, मुन्ना – भाई पैसे में कितना ताकत हैं, आज पूरा झारखण्ड देख लिया, इस बात से साफ जाहिर होता है कि पैसे के बदौलत बड़ा से बड़ा गुनाह कर के बचा जा सकता है।

शादाब खान – अब तो कोर्ट पर से भी आम लोगों का भरोसा और यकीन उठ गया है।