अपनी बात

धिक्कार ‘जागरण’ और ‘हिन्दुस्तान’ को, अभिनन्दन ‘दैनिक भास्कर’ और ‘प्रभात खबर’ को

सारे देश को पता था कि झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने झारखण्ड विधानसभा में अमर्यादित शब्द का प्रयोग विपक्षी नेताओँ के लिए किया, पर रांची से प्रकाशित दो राष्ट्रीय अखबारों हिन्दुस्तान  और दैनिक जागरण को इसकी जानकारी नहीं थी, पर रांची से ही प्रकाशित दो अखबारों दैनिक भास्कर और प्रभात खबर ने जो झारखण्ड विधानसभा में देखा, उसे जनता के समक्ष परोस दिया, कि आप निर्णय करें कि सहीं क्या हैं? और गलत क्या है?  लोकतंत्र में हर बातों का फैसला जनता करती है, और कर भी रही हैं।

हिन्दुस्तान और दैनिक जागरण ने झारखण्ड की जनता को सत्य से वंचित रखा और पत्रकारिता के मानदंडों की जो अवहेलना की, उसकी जितनी निंदा की जाय कम हैं, और जिस प्रकार से प्रभात खबर और दैनिक भास्कर ने जनता के बीच सत्य को रखा, उसकी भी जितनी प्रशंसा की जाय कम है। आश्चर्य है कि झारखण्ड विधानसभा में इन अखबारों के एक नहीं कई-कई सदस्य विधानसभा की रिपोर्टिंग के लिए पहुंचते हैं, कोई आगे तो कोई पीछे तो कोई बाये तो कोई दांये, विधायकों के बीच और विधान परिसर में फैला रहता हैं, फिर भी समाचार को पचा जाना, अगर सीखना हैं तो कोई दैनिक जागरण और हिन्दुस्तान से सीखे।

इन दोनों अखबारों ने जिस प्रकार से आज का अखबार मुख्यमंत्री रघुवर दास की चरणवंदना करते है निकाला, हमें लगता है कि राज्य की जनता और ईश्वर इन दोनों अखबारों के इस कुकृत्य के लिए कभी क्षमा नहीं कर सकते। दृष्टांत के लिए दैनिक जागरण और हिन्दुस्तान के अखबारों की कटिंग आपके समक्ष हैं।

उधर प्रभात खबर और दैनिक भास्कर ने जिस प्रकार से आम जनता के बीच सत्य को रखा, जनता और ईश्वर इन दोनों पर आनेवाले समय में अवश्य कुछ न कुछ आनन्द के अवसर प्रदान करेंगे। इन दोनों अखबारों ने आज पत्रकारिता धर्म का निर्वहण किया है और लोगों को बताया कि आपके मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सदन की गरिमा को प्रभावित किया, विपक्षी दलों के नेताओं के लिए अपने मुख से अपमानजनक शब्द निकाला, जो न तो अखबारों में लिखा जा सकता है और न ही चैनलों पर प्रसारित किया जा सकता हैं, क्या एक मुख्यमंत्री की ऐसी भाषा होती है। दृष्टांत के लिए दैनिक भास्कर की यह कटिंग आपके समक्ष है, जबकि प्रभात खबर की कटिंग उपर हेडिंग में लगी है।

हिन्दुस्तान और दैनिक जागरण ने तो हद कर दी, आज इन्होंने मुख्यमंत्री रघुवर दास को अपने पत्रकारिता का नमूना दिखाते हुए कहा है कि देखिये मुख्यमंत्री जी हम हैं हिन्दुस्तान, हम हैं दैनिक जागरण जो विज्ञापन धर्म निभा रहे हैं, जनता की हमने ऐसी-तैसी कर दी, पर आपके सम्मान को आंच नहीं आने दिया, इसलिए याद रखियेगा कि हमने आपके लिए क्या-क्या कुर्बानियां दी हैं, कभी कोई निगम या कोई आयोग का आयुक्त बनाने की बात हो, तो हमलोगों पर आपकी कृपा बरसनी ही चाहिए, क्योंकि हमने पत्रकारिता की धज्जियां उड़ा दी, पर आपके कपड़ों पर दाग तक लगने नहीं दिया।

पत्रकारिता जगत में आ रहे नये युवकों से अपील

मेरे प्यारे युवाओं, अगर आप पत्रकारिता जगत में कदम रख रहे हो, तो आज के इन चारों अखबारो को अपने सामने रखो, सदन की रिपोर्टिग पढ़ो, और खुद देखो कि किसने और कैसे पत्रकारिता की धज्जियां उड़ायी, और फिर सोचों कि तुम किसलिए पत्रकारिता में आ रहे हो, या आना चाहते हो, क्योंकि आनेवाले समय के तुम भविष्य हो, तुम्हारे कंधों पर आनेवाले समय में झारखण्ड और भारत को बोझ होगा, क्या तुम भी जमीर बेचने के लिए तैयार हो? अगर जमीर बेचने के लिए तैयार हो, तब तो देश के बचने का सवाल ही नहीं, अगर जमीर नहीं बेचना चाहते, तो खुद को अभी से मजबूत बनाने की कोशिश करो, अभी से नये तरीके से इन भ्रष्ट, कुकर्मियों और सत्ता के दलाल पत्रकारों से लोहा लेने की तैयारी करो, नहीं तो आम गरीब जनता तुम्हें भी आनेवाले समय में कभी माफ नहीं करेगी।