रांची में EC के निर्देशों की खुली अवहेलना, आचार संहिता लागू होने के बावजूद BJP के दिवार लेखन को जिला प्रशासन ने नहीं हटाया

देश में आचार संहिता लागू हुए पूरे सात दिन बीत गये, पर रांची में आचार संहिता का उल्लंघन बदस्तूर जारी है, आज भी रांची में कई स्थानों/जगहों के दीवारों पर सत्तारुढ़ दल यानी भाजपा नेता द्वारा कभी पूर्व में किये गये दीवार लेखन बड़े पैमाने पर दीख रहे हैं, जो भाजपा के प्रचारप्रसार में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। आश्चर्य तो यह है कि भाजपा के एक नेता द्वारा किये गये ये दिवार लेखन, मंदिरों के दीवारों यानी सार्वजनिक स्थलों पर स्पष्ट रुप से दिखाई पड़ रहे हैं। 

जरा देखिये, ये हैं रातू रोड चौराहा के दुर्गामंदिर के पीछे का दिवार, जिस पर बड़े ही सुन्दर ढंग से कभी दिवार लेखन किया गया था। नारा स्पष्ट वह भी बड़ेबड़े शब्दों में लिखा है दिल कहे बारबार, इस बार फिर भाजपा सरकार यहीं नहीं चुनाव चिह्न कमल की आकृति भी बनाई गई है, जो आज भी स्पष्ट दिखाई दे रही हैं। इस दिवार लेखन में गोलाकृति में 56 लिखा हुआ है, जो बताता है कि जिसे दिवार पेंटिग करने के लिए दिया गया है, वह इस बात को अंकित किया है कि पूर्व में उसने कितनी जगहों पर इस प्रकार के दिवार लेखन किये हैं।

आम तौर पर इस प्रकार के दिवार लेखन, खासकर चुनाव आयोग द्वारा मतदान की तिथि की घोषणा कर दिये जाने के बाद, जिला प्रशासन द्वारा मिटा दिया जाता है, पर यहां गजब का तमाशा दिख रहा हैं, यहां दिवार लेखन में निवेदक बने भाजपा नेता के नाम को तो सफेद कलर से मिटा दिया गया, पर भाजपा का नारा और चुनाव चिह्न को छोड़ दिया गया है, शायद जिला प्रशासन को लगता होगा कि उसने ऐसा कराकर अपने काम की इतिश्री कर ली, पर काम का इतिश्री हुआ या नहीं, एक सामान्य जनता भी यह देखकर बता देगा।

स्थानीय लोग बताते है कि रातू रोड मंदिर के पीछे की दीवार पर बने भाजपा के इस दिवार लेखनाकृति में निवेदक के नाम को जिला प्रशासन ने मिटाया या भाजपा के उसी नेता ने मिटवा दिया, जिसने यह दिवार लेखन कराया था, उन्हें नहीं पता, पर इतना जरुर पता है कि मंदिर सार्वजनिक स्थल है, चुनाव आयोग ने चुनाव की तिथि की घोषणा कर दी, आचार संहिता लागू है। 

जिला प्रशासन को चाहिए था कि वह इस दिवार लेखन को पूरा मिटवाने का काम करती, पर जिला प्रशासन ने अपने इस कर्तव्य का निर्वहण नहीं किया, जो शर्मनाक है, पता नहीं, जिला प्रशासन के उच्चाधिकारियों की नजर इस पर कब जायेगी, या जायेगी भी कि नहीं, कुछ नहीं कह सकते, क्योंकि यहां तो आचार संहिता का उल्लंघन का दोष भी किसी की औकात को देखकर ही लगता है।