अपनी बात

सजती है वृद्धों की महफिल रांची जंक्शन के प्लटेफार्म न 4-5 पर, लोग बांटते है अपने सुख-दुख

रांची जंक्शन का प्लेटफार्म नं. 4-5, सायं होते ही रांची रेलवे कॉलोनी, अमरावती कालोनी, कृष्णापुरी, चुटिया के आसपास रहनेवाले नौकरीपेशा से अवकाश प्राप्त वृद्धों का जमावड़ा शुरु होने लगता है। ये इस प्लेटफार्म पर आकर, आराम से इवनिंग वॉक का आनन्द लेते हैं, तथा यह बने चबूतरों पर बैठकर विश्राम करते हुए, विभिन्न प्रकार की सामाजिक – राजनीतिक बातों पर परिचर्चा करने के बाद रात्रि के 8 बजने के पहले अपने घरों की ओर प्रस्थान कर जाते है।

चूंकि इन इलाकों में न तो कोई पार्क है, और न ही ऐसी जगह, जहां जाकर ये वृद्ध आराम कर सकें, कुछ पल बिता सके, रेलवे कॉलोनी में एक मैदान हैं भी, तो वह दुर्गापूजा, गणेश पूजा के लिए बने पंडालों तथा यहां लगनेवाले मेलों, यहां बन गये एक हनुमान मंदिर तथा नवनिर्मित पानी टंकी, फैली गंदगियों के कारण अपना अस्तित्व ही खो चुका है, अपने अस्तित्व खो रहे इस मैदान को लेकर न तो यहां रह रहे रेलकर्मियों को इसकी चिन्ता है और न ही चिन्ता रांची रेल मंडल को है। सभी अपनी बची खुची नौकरी को आराम से निकाल लेने में ही समय बिता रहे हैं।

इधर पार्क व उद्यान के अभाव में, इस इलाके के वृद्धों ने प्लेटफार्म नं. 4-5 को अपना आरामगाह-सैरगाह बना लिया है, चूंकि इन्हें यहां कोई दिक्कत भी नहीं होती, प्लेटफार्म आमतौर पर खाली रहता है, क्योंकि इस दरम्यान ज्यादातर ट्रेनें प्लेटफार्म नं. एक, दो या तीन से ही आती-जाती रहती है, इसलिए यहां ये आराम से बैठते, इवनिंग वॉक करते तथा राजनीतिक-सामाजिक चर्चाओं में आराम से समय बिता देते है। इनके परिवार के लोगों को भी पता रहता है कि उनके घर के बुजूर्ग इस समय कहां होंगे? इसलिए इनकी चिन्ता भी नहीं रहती, साथ ही ये प्लेटफार्म वायु प्रदूषण से भी कोसो दूर है, जिसके कारण स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी इन्हें ये स्थान सुट कर रहा है।

यहां आये वृद्धों, अवकाश प्राप्त वरिष्ठ नागरिकों के चेहरे पर फैली मुस्कान, इनके इस स्थान पर आने के सुख को खुद ब खुद बयान कर देती हैं, हालांकि वे बताते हैं कि अभी तो नहीं, लेकिन कालांतराल में जब जनसंख्या में वृद्धि होगी और इसको देखते हुए रेलों की संख्या में वृद्धि होगी, तो ये स्थान भी उनके लिए समस्या का कारण बनेगा, फिर भी जब तक समस्या नहीं है, तब तक आनन्द लेने में क्या दिक्कत है?