अपनी बात

मंत्री के खिलाफ रांची प्रेस क्लब के आंदोलन को ज्यादातर अखबारों/पत्रकारों का नहीं मिला सहयोग

झारखण्ड के नगर विकास मंत्री सी पी सिंह के खिलाफ रांची प्रेस क्लब द्वारा चलाये गये दो दिवसीय आंदोलन की हवा निकल गई। रांची प्रेस क्लब द्वारा लिये गये निर्णयों के अनुसार चलाये गये इस आंदोलन में दैनिक जागरण को छोड़कर दैनिक भास्कर, प्रभात खबर और हिन्दुस्तान जैसे अखबारों एवं रांची प्रेस क्लब से जुड़े कई अधिकारियों एवं सदस्यों ने दूरियां बनाई। जिसके कारण जो माइलेज इस आंदोलन को मिलना चाहिए था, वह नहीं मिला।

ले-देकर केवल एक राजनीतिक दल, जिसका राज्य में कोई जनाधार नहीं है, आम आदमी पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं ने अलबर्ट एक्का चौक पर सी पी सिंह का पुतला फूंका, जबकि राज्य के प्रमुख राजनीतिक दलों एवं वामपंथियों ने भी इससे दूरियां बनाई। हालांकि कुछ लोकल चैनलों के पत्रकारों ने एक दो राजनीतिक दलों के नेताओं से बाइट ली और जैसा कि होता है, अपनी स्वभावानुसार प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं ने सी पी सिंह के खिलाफ आग उगला, जो स्वाभाविक था, पर किसी ने रांची प्रेस क्लब के निर्णयों के आलोक में, उन्हें सहयोग देने की जरुरत ही नहीं समझी।

गत गुरुवार को रांची प्रेस क्लब में इसको लेकर एक बैठक हुई थी, जिसमें सीमित संख्या में लोग उपस्थित हुए, तथा मंत्री सी पी सिंह द्वारा कथित बदसलूकी के खिलाफ 12 एवं 13 अक्टूबर को काला बिल्ला लगाकर काम करने तथा इसकी तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट करने की बात कही  थी, पर सच्चाई यह है कि काला बिल्ला लगाने वालों की संख्या तथा इसे सोशल मीडिया पर पोस्ट करनेवालों की संख्या भी बहुत कम थी, जबकि रांची में पत्रकारों की संख्या कम नहीं है। कुछ लोगों का कहना था कि रांची प्रेस क्लब द्वारा किसी पत्रकार के साथ हुए दुर्व्यवहार को लेकर, यह पहल, राज्य में पहली बार देखा गया, पर इसको सफलता नहीं मिलना, दुर्भाग्यपूर्ण है।

कुछ लोग बताते है कि रांची से प्रकाशित प्रमुख अखबारों के संपादकों का अहम् इस आंदोलन को असफल बनाने का प्रमुख कारण बना है। चूंकि कुछ अखबारों के संपादकों एवं प्रमुख पद पर कार्यरत लोगों को रांची प्रेस क्लब के चुनाव में सफलता नहीं मिली तो वे रांची प्रेस क्लब द्वारा लिये गये निर्णयों को बाधा पहुंचाने में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं, जबकि इन अखबारों में कार्यरत लोगों का कहना है कि इसमें कोई सत्यता नहीं।

इधर नगर विकास मंत्री को उनकी औकात बताने के लिए दैनिक जागरण ने एड़ी चोटी एक कर दी है, उसका प्रमाण है कि एक ही समाचार को दैनिक जागरण जनता के समक्ष आक्रामक ढंग से परोस रहा है, जबकि प्रभात खबर, दैनिक भास्कर और हिन्दुस्तान सामान्य समाचारों की तरह जनता के समक्ष रख रहे है, ऐसे भी जिस दिन दैनिक जागरण के पत्रकार के साथ सी पी सिंह का हॉट टॉक हुआ था, उस समाचार से भी दैनिक भास्कर, हिन्दुस्तान और प्रभात खबर ने दूरियां बना ली थी और उक्त समाचार को अपने अखबारों में स्थान ही नहीं दिया था, जबकि दैनिक जागरण ने इस समाचार को प्रमुख स्थान दिया। एक ही समाचार पर दैनिक जागरण की आक्रामकता और हिन्दुस्तान, प्रभात खबर की उक्त समाचार को लेकर सामान्य दृष्टिकोण, अखबारों में चल रहे इस मुद्दे पर उठा-पटक को रेखांकित कर रहा है, इसे आप अखबारों के कटिंग, जो नीचे दिये गये है, उससे आकलन कर सकते हैं।

नगर विकास मंत्री सी पी सिंह ने विद्रोही 24.कॉम से बातचीत में कहा है कि रांची के पत्रकारों से उनका कोई गिला-शिकवा नहीं रहा है, और न ही उनका किसी से विरोध है, कुछ लोग ऐसे है जो उनका मान मर्दन करने में लगे हैं, उन्हें जनता के बीच नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं, पर वे झूकने वाले नहीं, जनता से उनका जुड़ाव हमेशा रहेगा, वे आज भी रात-दिन जनता के बीच लगे हैं, काम कर रहे हैं, अब कोई उस समाचार को किस ढंग से छाप रहा है, या दिखा रहा है, ये उनका अधिकार क्षेत्र हैं, छापे। वे किसी को बोलने भी नहीं जा रहे, पर जहां तक उनका पक्ष है, वो जनता के समक्ष मौजूद है, अगर कोई इस पर राजनीति करता है, तो उसे भी राजनीति करने की उतनी ही आजादी है।

इसी बीच रांची प्रेस क्लब द्वारा चलाये गये इस आंदोलन को रांची के प्रमुख अखबारों एवं रांची प्रेस क्लब के कुछ अधिकारियों/सदस्यों द्वारा सम्मान नहीं मिलने पर, कई लोगों ने दुख व्यक्त किया है, उनका कहना है कि ऐसा होना दुर्भाग्यपूर्ण है, क्योंकि पत्रकारों में जब एकता नहीं होगी, तो इसका फायदा दूसरे लोग उठायेंगे। रांची में ये युवा पत्रकारों और वरिष्ठ पत्रकारों (संपादक/कार्यकारी संपादक/प्रधान संपादक सदृश) एवं कई अखबारों में एक दूसरे के बीच पनपे मनमुटाव के दौरान जो भेदभाव, बड़े पैमाने पर दीख रहा है, वह आनेवाले तूफानों का भी संकेत है, क्योंकि इससे भी बड़ी, पत्रकारों के साथ अपमान की घटना पिछले साल घटी थी, जब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के कार्यक्रम में युवा पत्रकारों को बीएनआर होटल के विशेष कक्ष से बाहर कर दिया गया था, जबकि रांची के वरीय संपादकों/पत्रकारो का दल, अमित शाह के साथ परम आनन्द की प्राप्ति कर रहा था।

कुछ लोगों ने यह भी कहा कि कौन सी घटना, कब तूफान का रुप ले लें, कहा नहीं जा सकता, क्योंकि कभी गांधी को भी अपमानित कर ट्रेन से उतार दिया गया था, जो उनके अंदर तूफान को पैदा कर दिया था, उसके बाद क्या हुआ, सभी जानते हैं। इसलिए युवा पत्रकारों से विद्रोही 24.कॉम यहीं कहेगा कि अपने अंदर के गांधी को जगाइये। आप स्वयं को माचिस की तीली बनाये, जो ऊर्जा से भरपूर रहती है, और समय आने पर घर्षण मात्र से ज्वाला पैदा करती है, इसलिए स्वयं को प्रकाशित करिये, चरित्र की पूंजी को समायोजित करिये। फिर देखिये, उसके बाद न कोई नेता और न कोई अखबार का संपादक/मालिक ही आपको अपमानित करने की हिम्मत कर सकेगा। अन्त में, इस दोहे को गांठ बांधिये, इसके अर्थ को समझिये, चिन्तन करिये, अगर आपने इस दोहे को समझ लिया और फिर मजा नहीं आया, तो आप कहियेगा –

सबै सहायक सबल के, कोउ न निबल सहाय। पवन जगावत आग को, दीपहिं देत बुझाय।।