राजनीति

लीजिये, अब झारखण्ड की मुख्य सचिव राजबाला वर्मा भी माननीया हो गई

आम तौर पर माननीय/माननीया शब्दों का प्रयोग राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, केन्द्रीय/राज्य मंत्रियों, सांसदों, विधायकों, जनप्रतिनिधियों के लिए ही होता हैं, पर झारखण्ड में अब खूले तौर पर मुख्य सचिव के लिए भी माननीया शब्द का प्रयोग होने लगा हैं, कल अगर प्रधान सचिवों/सचिवों के लिए, भी अगर माननीय/माननीया शब्द का प्रयोग होने लगे तो आश्चर्य मत करियेगा।

कहा भी जाता है कि झारखण्ड प्रयोगशालाओं की भूमि हैं, यहां एक से एक नमूने पैदा होते हैं, जो चाटुकारिता तथा बड़े-बड़े अधिकारियों की आरती उतारने के लिए खुद को भी प्रयोग में ले आते हैं, और राज्य की परंपराओं को तहस-नहस करते हुए, घटियास्तर की नई परिपाटी को जन्म दे देते हैं।

जरा देखिये, इस नये नमूने को। विभाग है – झारखण्ड का आईटी विभाग। यह विभाग शी लीड्स वीमेन इंटरप्रेन्योर कॉनक्लेव 2017 का आयोजन कल रेडिसन ब्लू में किया। जिसके लिए राज्य के सभी प्रमुख अखबारों में इस विभाग ने विज्ञापन छपवाया और उस विज्ञापन में विशिष्ट अतिथि के रुप में राजबाला वर्मा, मुख्य सचिव को नामांकित करते हुए उनके पद के नाम के आगे माननीया शब्द का प्रयोग किया।

आप खुद देखिये, प्रमाण स्वरुप हमने वह विज्ञापन भी आपके सामने रख दिया है। अब सवाल उठता है कि क्या अब ब्यूरोक्रेट्स भी राज्य में माननीय और माननीया हो गये। राज्य सरकार को बताना चाहिए, क्या ऐसी परिपाटी हैं, राज्य में। जहां ब्यूरोक्रेट्स के लिए माननीय/माननीया शब्द का प्रयोग हो, अगर ऐसा नही है, तो फिर इस नई परिपाटी का जन्म कैसे हो गया?  सीएम जवाब दें, क्योंकि यह विभाग भी सीएम रघुवर दास के पास ही हैं