राहुल जी, जब जनता आपको माथे मउरी पहनाने में लगी हैं, तो फिर आप काहे, सब के दिमाग का बत्ती बुझाने पर तूले हैं

अपने राहुल बाबा को राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में अप्रत्याशित सफलता क्या मिल गई? जनाब धइले नहीं धरा रहे हैं। भाई, राहुल बाबा की जगह कोई भी रहेगा, तो धइले नहीं धरायेगा, क्योंकि सफलता ऐसी चीज ही है, कि आदमी उसे प्राप्त करने पर धइले नहीं धराता हैं, और जैसे ही असफलता हाथ लगती है, जमीन सूंघने लगता है।

हां विरले ही लोग ऐसे होते है, जिन्हें सफलता मिले या असफलता, वे न तो सफलता मिलने पर ज्यादा खुश होते हैं और न ही असफलता मिलने पर ज्यादा दुखी हो जाते हैं, फिलहाल राहुल बाबा को लगता है कि अब क्या 2019 का जैसे ही लोकसभा चुनाव का बिगुल फूंकायेगा, मोदी जी की हवा निकल जायेगी और वे भारत के प्रधानमंत्री बन जायेंगे। पं. नेहरु, इंदिरा, राजीव के बाद राहुल ही राहुल का चारों ओर जप चालू हो जायेगा।

राहुल बाबा के आगे-पीछे चलनेवाले लोग भी धइले नहीं धरा रहे हैं, खूब राहुल पचासा-साठा गा रहे हैं। वे कह रहे हैं कि सारा दोष तो मोदी में है, बेचारा राहुल और उसका परिवार तो सिर्फ देश के ही च्यवनप्राश खाकर, देश की सेवा में अपने आपको लगा दिया, आज तक राहुल बाबा जैसा कोई हुआ ही नहीं, न भूतो न भविष्यति।

जब से मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भाजपा की विदाई हुई, कुछ पत्रकार का समूह और अखबार भी देह-हाथ झार लिये है कि अब क्या? मोदी जी इज गोइंग एंड राहुल इज कमिंग? इसलिए विभिन्न सोशल साइट संभाल लिये है और शुरु कर दिये हैं, राहुल भक्ति, बेचारे मोदी क्या करें?

जो मोदी भक्त चैनल-अखबार थे, जिनकी कभी तू-ती बोलती थी, बेचारा परेशान, ये क्या हो गया? अगर राहुल बाबा आ गया तो उसके चैन-अखबार का क्या होगा? पतंजलिवाले बाबा का भी हालत खराब है कि कल तक मोदी-मोदी चिल्ला रहे थे, अब क्या होगा?  तीन राज्य का ट्रेलर बीपी बढ़ा दिया है, कोई योगा भी काम नहीं कर रहा? दूसरी ओर शनिग्रह भी कम परेशान नहीं कर रहा, न्यायालय अलग से परेशान कर रहा है?

इधर राहुल बाबा के सांसदों की ताकत इतनी बढ़ गई कि वे संसद में ही कागज के हवाई जहाज उड़ाने लगे, उन्हें लगता है कि अब क्या? 2019  में तो उनकी ही बारी है, इसलिए अभी से कागज का ट्राई करते हैं, और जब सत्ता आ जायेगा तो रियल में बैठकर, इसे खुद ही खरीदकर, पूरे परिवार और गर्लफ्रेंड के साथ मजा लेंगे?

यानी सारी खुशियां एक साथ देख, सब के मन मचल उठे हैं, और इधर मोदी जी हैं, कि अभी भी राहुल एंड पार्टी को इतनी आसानी से सत्ता देने के मूड में नहीं है, लगे हुए हैं, पसीना बहाए हुए है, इ पसीने का न कमाल है कि मध्यप्रदेश और राजस्थान में बेचारे राहुल बाबा को बहुमत से दूर रखा और उनको वैशाखी थमा दी और वैशाखी भी ऐसी जो कब गच्चा दे दें, कुछ कहा नहीं जा सकता, क्योंकि कभी गच्चा तो अटल बिहारी वाजपेयी भी इनकी कृपा से खा चुके है?

इधर जब से लोकसभा और राज्यसभा में राहुल बाबा का जो राफेल पर व्याख्यान चल रहा हैं, उससे मोदीजी के कुनबे में एक बार फिर खुशी की लहर देखी जा रही है, शायद मोदी जी के कुनबे को लग रहा है कि तीन राज्यों में सत्ता प्राप्त करने की खुशी में राहुल बाबा राफेल के परम ज्ञान में लोट-पोट होकर, ज्यादा उछल रहे हैं, इसलिए मोदी जी, पहले तो अपने परम शिष्य जेटली को लोकसभा में गड़गड़ाया और रहा सहा कसर राज्यसभा में सुषमा स्वराज जी से भी करा दिया।

कहा भी जाता है कि बोल-चाल और भाषा में भाजपा का बराबरी कोई नहीं कर सकता। जरा देखिये कल राहुल बाबा संसद में ऑडियो टेप लेकर आ गये, स्पीकर सुमित्रा महाजन जी को कहा कि मैडम कृपा कीजिये, ये संसद में ऑडियो टेप चलाने की अनुमति दीजिये, सुमित्रा जी ने झट से मना कर दिया कि नहीं, राहुल बाबा ये सब संसद में नहीं चलेगा?  इसी बीच अरुण जेटली का परम और विशिष्ट ज्ञान का पिटारा दिमाग में खुल गया, झट से बोले कि अगर राहुल बाबा कोई टेप सुनाना चाहते हैं, तो पहले उसे प्रमाणित करते हुए सदन के पटल पर रखना होगा,

ले लोटा, ये क्या हो गया?  राहुल बाबा को इस बात का तो अंदाजा ही नहीं था कि ऐसा प्रश्न जेटली जी उठा देंगे। बेचारे राहुल बाबा की सिट्ठी-पिट्ठी गुम, बेचारे हांफते-हांफते कहने लगे, टेप नहीं बजायेंगे। शायद राहुल बाबा को डर लग गया कि कही ये भाजपाई सब इसी मुद्दे पर संसद को गुमराह करने का आरोप लगाकर, उन पर विशेषाधिकार न ला दें, बेचारे सहम गये और टेपवाले मुद्दे पर संसद में चुप ही रहने में ज्यादा बहादुरी दिखाई। बेचारे राहुल बाबा कम ज्ञानी थोड़े ही हैं, ऐसे ही उनके भक्त लोग, राहुल में देश का भविष्य थोड़े ही देख रहे, चालाकी भी सीखना हो तो राहुल बाबा से सीखिये, जो परमज्ञानी है।

इधर राहुल बाबा कड़वा-कड़वा दिये जा रहे थे, और उधर जेटली साहेब मीठा-मीठा देकर उनको चुप कराये जा रहे थे, तभी राहुल बाबा के दिमाग में एक चुहुलबाजी सूझी, दे दिया बड़का बम धमाका, कह दिया कि मोदी जी को हिम्मत है तो राफेल पर 20 मिनट उनसे बात कर लें। अब ये तो बात वही हो गई कि कोई गिल्ली पहलवान, डंडे पहलवान को चुनौती दे दे। बुधवार को जो ये तमाशा लोकसभा से शुरु हुआ, गुरुवार को राज्यसभा में भी दिखा। यहां तो सुषमा स्वराज पूरा मोर्चा संभाले हुए थी, झट से अपने वाणी रुपी भाषण से राहुल बाबा के परम शिष्य का टेटुआं पकड़ा और कह दिया, राफेल विवाद दरअसल कुछ है ही नहीं, ये सारा विवाद कांग्रेस के दिमाग में हैं, बेचारे कांग्रेसी क्या करते, सदन से भाग खड़े हुए।

ऐ भाई दिमागवाले कांग्रेस के नेता लोग, काहे देश की जनता के दिमाग का बत्ती बुझाने पर लगे हैं, बहुत वर्षों के बाद लोगों का थोड़ा मोदीजी से प्यार भंग हुआ हैं और आपकी तरफ शिफ्ट हुआ है, इसलिए काहे को जनता का बत्ती बुझाने में लगे है, काहे काबिल बन रहे हैं, काहे दिखाने पर लगे है कि हम आरिजनल पप्पू ही हैं, थोड़ा देह-हाथ झाड़िये, बहुत गर्दा बदन पर चढ़ गया है, उसे उतारिये और जनता के सामने तन करके सही-सही बात बोलिये।

नहीं तो इ जो मोदी है न, एक से एक अपना झोली में दिवाली वाला फुलझड़ी और बम फटाका रखे हुए हैं, अइसन समय पर उ छोड़ेंगे कि आपका दिमाग झनझना जायेगा और फिर उ का कहते है कि इवीएम मशीन से दे कमल, ले कमल निकलना शुरु हो जायेगा और आपका हाथ कमल पकड़ने में ही, सब जगह से जमानत जब्त करा देगा, बुझे कि ना बुझे, अगर न बुझे तो अपने जाइयेगा, हम का कर लेंगे, किस्मत में लिखा है लेढ़ा त कहा से खाइयेगा पेड़ा?