पं. जवाहरलाल नेहरु को आम जनता की नजरों से ओझल करने की गलत परंपरा की शुरुआत

इस देश का दुर्भाग्य देखिये, सरदार पटेल को उनके जन्मदिन पर याद करनेवाली केन्द्र व राज्य सरकार को प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरु का जन्मदिन याद नहीं हैं, हम ऐसी घटिया सोच रखनेवाली सरकार के इस कुकृत्य की कड़ी भर्त्सना करते हैं और बच्चों के प्रिय चाचा नेहरु को हृदय से अपनी श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं।

जो देश अपने महापुरुषों को याद नहीं करता, उनके जन्मदिन अथवा पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धा सुमन नहीं अर्पित करता, वो कालांतराल में स्वयं नष्ट हो जाता हैं, इसे स्वीकार करना चाहिए। राष्ट्र को अपने महापुरुषों के प्रति कृतज्ञ होना चाहिए। कल तक अपने महापुरुषों को लोग जातीयता में बांटते थे, अब तो हद हो गई, लोग उन्हें अनादर भी करने लगे हैं, उनकी योगदान पर प्रश्नचिह्न लगा रहे हैं, ऐसा करने में विभिन्न दलों के राष्ट्रीय स्तर से लेकर राज्यस्तर तक के नेता सर से पांव तक शामिल हैं।

आज देश के प्रथम प्रधानमंत्री, आधुनिक भारत के निर्माता पं. जवाहर लाल नेहरु की जन्मदिन हैं, पर केन्द्र में नरेन्द्र मोदी और राज्य में रघुवर दास की सरकार को बाल दिवस के बारे में जानकारी हैं, पर पं. नेहरु की आज जयंती हैं, उसे पता नहीं। इन्हें कांग्रेस पार्टी से जुड़े महात्मा गांधी, सरदार पटेल, बाबा साहेब अम्बेडकर ग्राह्य हैं, पर कांग्रेस से ही जुड़े पं. नेहरु, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी आज की सरकार को ग्राह्य नहीं हैं।

नफरत की राजनीति, इस प्रकार फैल गई है कि बाबा साहेब अम्बेडकर दलितों के नेता से आगे निकल नहीं पाये हैं, वहीं महात्मा गांधी जैसे महापुरुष और भगत सिंह जैसे क्रांतिकारी वैश्यों के नेता हो गये, सरदार पटेल को कुर्मियों ने अपना नेता घोषित कर दिया है। कायस्थों ने भी राजनीतिज्ञों में सेंधमारी की और लाल बहादुर शास्त्री को कायस्थों के नेता के साथ जोड़ दिया। यहीं हाल उन सारे जातियों का हैं, जो जाति की राजनीति कर, महापुरुषों को जातीयता से तौलते हैं। क्या कोई नेता जो अपनी जाति से उपर उठकर मानव मात्र की सेवा की, उसे अपनी जाति से जोड़ना सहीं हैं? क्या ऐसे नेताओं को जातीयता में बांधकर उनके पर कतरनेवाली हरकत नहीं हैं।

छोड़िये, जो लोग जाति की राजनीति करते हैं, उन्हें करने दीजिये, पर केन्द्र सरकार और राज्य सरकार अपने प्रिय नेताओं का अनादर करें, तथा देश में ऐसी स्थिति लाने की कोशिश करें कि आनेवाले समय में लोग पं. नेहरु, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी को भूल जाये तो ये गलत हैं या नहीं। आज इस पर विचार करने की जरुरत हैं। हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि देश के विकास में पं. नेहरु, इँदिरा गांधी और राजीव गांधी का कम योगदान नहीं, पर उनके साथ ऐसी ओछी हरकत करना किसी भी प्रकार से सही नहीं ठहराया जा सकता।

सरदार पटेल देश के पहले गृह मंत्री थे, उनकी जयंती को एकता दिवस के रुप में शानदार ढंग से मनाना और मनवाना और देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु की जयंती पर उन्हें भूल जाना तथा ऐसी व्यवस्था करा देना कि लोग पं. नेहरु को भूल जाये, तो ऐसी हरकत को हम क्या कहेंगे? आज ये चिन्तन का विषय हैं क्योंकि नफरत की राजनीति, इस देश को बर्बाद करके रख देंगी। आप अपने नेता को अवश्य याद करिये, उन्हें श्रद्धाजंलि दीजिये पर अपने विपक्षियों और पूर्व में जिन राष्ट्रीय नेताओं से देश खड़ा होना सीखा, उनका भी सम्मान करें।

हम आम जनता से अनुरोध करेंगे कि वे ऐसे लोगो को चिन्हित करें, जो इस प्रकार की हरकत कर रहे हैं और उन्हें कहें कि वे अपनी आदर सुधारें, नहीं तो इस गलत परंपरा की शुरुआत को हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। भाजपा को भी जान लेना चाहिए, कि आज वे जिस गलत परंपरा की शुरुआत कर रहे हैं, एक तरह से वे कटुता का ही बीज बो रहे हैं, जिससे देश में विषैला वातावरण बनेगा और हमारी आनेवाली पीढ़ी का ही नुकसान करेगा।

ये सही हैं कि सरदार पटेल और बाबा साहेब अम्बेडकर की जयंती मनाने से वोट बैंक मजबूत होते हैं, चुनाव जीता जाता हैं, पर इसका मतलब ये नहीं कि जिनकी जयंती मनाने से वोट नहीं मिलते हैं, उन्हें हम अप्रासंगिक बना दें, ये जो माहौल बनाया गया है, या जो बनाया जा रहा हैं, मैं फिर कह रहा हूं कि आनेवाले समय के लिए ये बहुत ही खतरनाक हैं, मैं देख रहा हूं कि भारत विनाश की ओर बढ़ता जा रहा हैं और इसकी विनाश की बुनियाद तैयार कर दी गई हैं।