अपनी बात

‘घर-घर मोदी’ कहने में गर्व पर ‘घर-घर रघुवर’ कहने में शर्म महसूस होती है – भाजपा समर्थक

भारतीय जनता पार्टी के एक बहुत बड़े समर्थक ताल ठोककर कहते हैं कि उन्हें घरघर मोदी कहने में गर्व, पर घरघर रघुवर कहने में शर्म महसूस होती हैं। जितेन्द्र पाठक ने बड़े ही गर्व से इस बात को अपने फेसबुक पर लिख दिया है, जिसे लोग बड़ी संख्या में लाइक भी कर रहे हैं, समर्थन भी दे रहे हैं।

इधर भाजपा के एक बड़े नेता ने विद्रोही24.कॉम को नाम नहीं लीक करने की शर्त पर बताया कि वे जब तक जीवित रहेंगे, कभी भी व्यक्ति विशेष की आरती नहीं उतारेंगे, वह भी उसकी जिसने जातिवाद का बीज बोया, जिसने कार्यकर्ताओं की जगह पर नौकरशाहों की सुनी, जिसने सत्ता को सेवा समझकर शोषण का हथियार समझ लिया।

वे यह भी कहते हैं कि चुनाव हैं, लोग आयेंगे, लोग जायेंगे, फिलहाल जो अभी ताकत का प्रदर्शन कर रहे हैं, उन्हें नहीं पता कि प्रकृति संतुलन करना जानती हैं, ज्यादा अलबलाइयेगा तो जाइयेगा, अरे किस बात का घरघर रघुवर भाई, क्या कर दिया रघुवर ने, कुछ तो बताओ, रघुवर तो हरदम अपने ही नेता को गरियाता है, यह कहकर कि 14 साल तक कुछ नहीं हुआ, जो हुआ तो उसी के पांच साल में हुआ, तो क्या इसके पहले बाबू लाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, का राज्य में शासन रहा, जिसके नेतृत्व में ये जनाब मंत्री से ज्यादा कुछ नहीं बने, उन सारों ने झारखण्ड के लिए कुछ नहीं किया? ये घमंड नहीं तो और क्या है?

इधर तो देखने में रहा है कि अखबारवालेचैनलवाले रघुवर भक्ति में इस प्रकार लीन हो गये कि बेचारा विधायकमंत्री घरघर रघुवर क्या बोलेगा? ये मीडिया वाले ही दो टुकड़ों के लिए घरघर रघुवर बोले जा रहे हैं, जबकि सच्चाई क्या हैं? आपको पता है। वह नेता बताता है कि एक ही नेता भाजपा में हैं, जो मंत्री भी हैं, सही मायने में शेर हैं, जो गलत को गलत तथा सही को सही बोलता है। 

और उन्होंने जो संकेत दिया है, वो बताता है कि आनेवाले समय में रघुवर दास का सही स्थान कहां होने जा रहा है, बस हम तो समय की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जैसे लालू प्रसाद की हाल हुई है, जैसे मधु कोड़ा की हाल हुई है, वैसे ही रघुवर दास की भी होगी, दिल बता रहा है, और यह कहकर वो भाजपा कार्यकर्ता चल उत्साह से आगे की ओर मुस्कुराता हुआ चल देता है।

इधर उस नेता की ही बात नहीं, पूरे सोशल साइट में घरघर रघुवर को लेकर बवाल है, आम आम जनता भी घरघर रघुवर के नारे से खफा है, लोगों का कहना है कि उन्होंने किया क्या? कि हम उन्हें अपने घर में बसा लें या स्थान दे दें, खुद को मोदी बनने की कोशिश करें, मोदी किसी जिंदगी में रघुवर नहीं बन सकते और जो लोग घरघर रघुवर चिल्ला रहे हैं। 

वे जान ले कि रघुवर ने हाथी उड़ाए हैं, पर मोदी ने हाथी नहीं उडाएं, क्योंकि मोदी जानते है कि हाथी उड़ता नहीं, बल्कि चंद्रयान-2 उड़ता हैं, इसलिए उन्होंने वहीं किया जो करना चाहिए और जो नहीं होना है, उस पर मोदी ने ध्यान नहीं दिया, इसलिए उसे मोदी पसंद है पर रघुवर एकदम नहीं, इनकी विदाई इस बार करेंगे, चाहे उसके लिए कुछ भी करना पड़ें, हर कोई मोदी नहीं बन सकता और जो नकल करता है, उसे नकलची कहते हैं।

एक विद्यार्थी रोहित बताता है कि मुख्यमंत्री कहते है कि रांची में जीरो कट बिजली रहेगी, उसके पहले कहा था कि पूरे झारखण्ड में 24 घंटे बिजली रहेगी, पता नहीं वे कहते हैं तो करते क्यों नहीं, वे विधानसभा निर्माण की बात करते हैं, आखिर उस विधानसभा से हमें क्या मतलब? इसका मजा तो वे लेंगे जो विधायक बनेंगे, मंत्री बनेंगे, मुख्यमंत्री बनेंगे, आमआदमी को इससे क्या मिलेगा?

अगर मुख्यमंत्री देखना है तो दक्षिण या पश्चिम के राज्यों को चले जाइये, पता लग जायेगा कि विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में वे राज्य कहां चले गये, पर हमारा राज्य केवल डबल इंजन में ही खोया रहेगा, ऐसे में हम इन्हें अपने घर में क्यों रखे, क्यों बोलेघरघर रघुवर, हम तो कहेंगे मत रघुवर, जहां है, वहां से जल्दी उतर रघुवर, ताकि राज्य को एक बेहतर दिशा मिले। समझे रघुवर।