शहीद स्मारक निर्माण को लेकर धार्मिक स्थलों से मिट्टी उठाये जाने के विरोध में आदिवासी संगठनों का सरकार के खिलाफ महाधरना

आखिर विभिन्न आदिवासी संगठनों ने रघुवर सरकार के खिलाफ बिरसा चौक पर महाधरना दे ही दिया, तथा सरकार को इसके द्वारा एक अल्टीमेटम भी दे दिया कि राज्य सरकार शहीदों के नाम पर जो आदिवासियों की भावनाओं के साथ खेलने का प्रयास कर रही हैं, वह बंद करें, नहीं तो इससे आदिवासियों की भावनाएं और आहत होगी।

महाधरने में शामिल लोगों का कहना है कि झारखंड की रघुवर सरकार द्वारा राज्य के विभिन्न गांवों के धार्मिक स्थलों (सरना स्थलों, जाहेरथान) से मिट्टी लाकर जमा किया जाना विशुद्ध रूप से आदिवासियों को ठगने,  भ्रमित करने और अपने आदिवासी विरोधी, जन विरोधी कुकृत्यों को छिपाने का प्रयास है।

उनका यह भी कहना है कि सरकार और सरकारी तंत्र द्वारा आदिवासियों की विभिन्न धार्मिक स्थलों से मिट्टी उठाया जाना आदिवासियों की धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ है। यह पूरी तरह आदिवासियों की परंपरा के खिलाफ है। सरकार के इस कदम से आदिवासियों की धार्मिक भावनाएं आहत हुई है।

महाधरना में शामिल लोगों ने कहा कि राज्य की रघुवर सरकार सही मायने में प्रकृति पूजक सरना आदिवासियों का भला करना चाहती है, तो आदिवासी समुदाय के महापुरुषों बिरसा मुंडा, सिद्धू-कान्हू, तिलका मांझी, वीर वुधू भगत, तेलंगा खड़िया आदि के वंशजों/ संतानों की और आदिवासी समाज की जंगल, जमीन, परंपरा संस्कृति की रक्षा करे तथा उनके सर्वांगीण विकास के लिए ईमानदारी से काम करे। इस तरह गांव-गांव से मिट्टी लाने की नौटंकी जितनी जल्द बंद हो, वह राज्य के हित में हैं।

महाधरना में शामिल लोगों ने कहा कि केन्द्रीय सरना समिति और विभिन्न सरना धर्मावलम्बी, आदिवासी संगठनों द्वारा सरकार/सरकारी तंत्र के इस आदिवासी परंपरा विरोधी कदमों का पुरजोर विरोध जारी रहेगा और समय-समय पर इसका पर्दाफाश भी किया जायेगा। उन्होंने यह भी कहा कि जल्दी ही केन्द्रीय सरना समिति और विभिन्न आदिवासी संगठनों द्वारा विभिन्न गांवों के ग्रामीणों के साथ मिलकर जिन गांवों के धार्मिक स्थलों से मिट्टी उठाया गया है उन गांवों में जाकर शुद्धिकरण अभियान चलाया जायेगा।