पहले फर्जी विज्ञापन निकाला और अब गलत छाप कर, कर रहा भविष्य के साथ खिलवाड़

रांची से एक अखबार निकलता है, नाम है उसका प्रभात खबर। यह ऐसी- ऐसी हरकत करता है कि पूछिये मत। वह गलतियां पर गलतियां करता जाता है, पर उसे बोलनेवाला कोई नहीं, क्योंकि उस पर पूरी सरकार बलिहारी जाती है, राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास तो इस अखबार से इतने प्रसन्न हो जाते हैं कि जब प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना का शुभारम्भ करने आते हैं तो उन्हें पुस्तक भेंट करने के लिए सीएम रघुवर दास को और किसी की पुस्तक नजर नहीं आती, वो यहां कार्यरत एक कार्यकारी संपादक की लिखित पुस्तक बरगद बाबा का दर्द थमा देता है।

इसके पीछे कुछ विशेष तर्क नहीं होता, बल्कि ये ले और दे संस्कृति के तहत होता हैं, यानी आप मुझे प्रोजेक्ट करो और हम आपको प्रोजेक्ट करेंगे, जिसका परिणाम दूसरे दिन स्पष्ट रुप से दीखता हैं, जब यह अखबार प्रथम पृष्ठ भाजपा को समर्पित करता ही हैं, इसके अलावे तीन विशेष पृष्ठ मुख्यमंत्री रघुवर दास के आराध्य नरेन्द्र मोदी को समर्पित कर, पत्रकारिता की इतिश्री कर बैठता हैं।

आश्चर्य यह भी है कि इसी दौरान यहां के विपक्ष की आवाज को बहुत ही बेदर्दी से दबा दिया जाता हैं, उनकी बातों को सिंगल कॉलम में देकर, पत्रकारिता की इतिश्री कर दी जाती है, जबकि भाजपा के एक सामान्य कार्यकर्ता की भी ऐसी आरती उतारी जाती है, जिससे लगता हो कि वह भाजपा कार्यकर्ता नहीं, बल्कि स्वयं देवदूत हो। इस प्रकार की पत्रकारिता से किसको कितना लाभ मिल रहा है, भगवान जाने, पर झारखण्ड में पत्रकारिता का जो क्षरण आरम्भ हुआ है, उसका श्रेय इस अखबार को ही जाता हैं।

इस अखबार ने इन दिनों बेरोजगारों के खिलाफ जैसे लगता है कि एक विशेष अभियान भी चला रखा है, लगातार फर्जी विज्ञापन निकालना और फिर जब इसका चौतरफा विरोध देखना तो उस के खिलाफ स्वयं अपने अखबार में उक्त विज्ञापनदाता को फर्जी करार देना, इसका शगल बन चुका है। अब तो हद हो गया, बेरोजगारों को उल्लू बनाने का काम किया तो किया, अब उनके भविष्य के साथ भी सुनियोजित ढंग से खेलना शुरु कर दिया हैं।

जरा देखिये – इसने कल के अखबार में जो लिखा सो लिखा, आज के अखबार में भी ‘आयुष्मान भवः’ लिखकर, राज्य के लाखों बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर दिया, जबकि सही होता है – ‘आयुष्मान भव’, आप दुनिया में किसी भी संस्कृत के शिक्षक से मिलिए और पूछिये कि आयुष्मान भवः और आयुष्मान भव में कौन सहीं हैं, तो दुनिया का हर संस्कृत शिक्षक यहीं बोलेगा कि सहीं है – आयुष्मान भव, पर प्रभात खबर के किसी भी संपादक, चाहे प्रधान संपादक से ये सवाल पूछिये, या स्थानीय संपादक से पूछिये या कार्यकारी संपादक से पूछिये, वह यहीं कहेगा कि आयुष्मान भवः ही ठीक है।

वह इसलिए कि प्रभात खबर मानता है कि दुनिया का सबसे बड़ा काबिल, अगर कोई व्यक्ति या संस्कृत का विद्वान होता है, तो वह सिर्फ प्रभात खबर में काम करनेवाला ही होता हैं, जिसका परिणाम कितना घातक हैं, वह आप इसी से समझिये कि अगर कोई बच्चा किसी प्रतियोगिता परीक्षा में बैठा और उसे यहीं सवाल पूछ दिया गया कि बताओ कि इन चारों में कौन सहीं हैं और उसके पास चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें से एक सही हैं और तीन गलत हैं, अगर वह प्रतियोगिता में शामिल बच्चा प्रभात खबर को ही सही मानकर आयुष्मान भवः में सही लगा दिया, तो क्या होगा?

यानी उसके एक नंबर कट गये और जब उसके मेरिट लिस्ट निकले और उसे पता चले कि उसका नाम मेरिट लिस्ट में आने से एक नंबर से छूट गया तो आप बताइये, उस बच्चे के भविष्य के साथ कौन खेला? सबसे बड़ा सवाल यहीं हैं। विद्रोही 24.कॉम ने हमेशा से ही प्रभात खबर और रांची से प्रकाशित अन्य अखबारों में प्रकाशित गड़बड़ियों को जनहित में जनता के बीच रखने की कोशिश की है, पर इन अखबारों ने शायद कस्में खा ली हैं कि झारखण्ड के नौनिहालों व बेरोजगारों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते रहेंगे।

सच्चाई यह भी है कि इन संपादकों ने अपने आनेवाले पीढ़ियों के लिए तो अच्छी व्यवस्था कर ली, पर दूसरों के भविष्य की इन्हें कोई चिन्ता नहीं। कमाल है, इस सरकार की भी, एक अखबार हिन्दुस्तान, पिछले 17 सितम्बर को अपने संपादकीय पेज पर पाकिस्तान की नक्शा में पाक अधिकृत कश्मीर को पाकिस्तान में दिखा देता है, पर सरकार और उनके मातहत अधिकारी चुप्पी साध लेते हैं, जबकि यहीं गलती सामान्य व्यक्ति या कोई अल्पसंख्यक कर दें तो फिर देखिये ये कैसे सारा आसमान सर उठा लेते हैं?