अपनी बात

कभी निर्मल बाबा की पोल पट्टी खोल देनेवाला प्रभात खबर आज गंगा आरती के नाम पर खुद ही पाखंड व बाह्याडम्बर को बढ़ावा दे रहा है

हे प्रभात खबर के विद्वान प्रधान सम्पादक आशुतोष चतुर्वेदी जी, कार्यकारी सम्पादक अनुज कुमार सिन्हा जी व रांची के एकमात्र प्रकांड पंडित स्थानीय सम्पादक विजय पाठक जी, सर्वप्रथम आप अपने ही वीडियो प्रभात खबर के ऑफिसियल यूट्यूब चैनल पर अपलोड किये गये इस वीडियो को ध्यान से देखें। जो गत तीन जुलाई 2023 को आपके ही संस्थान द्वारा अपलोड किया गया है। जिसमें आपके संवाददाता आदित्य कुमार ने रांची के एक किशोर जिसका नाम पीयूष पाठक है, जो आजकल गंगा आरती कराने को लेकर रांची में खुब चर्चित है। उसका इंटरव्यू है।

अब आपने यह इंटरव्यू तो देख लिया। अब आप से कुछ प्रश्न है। आपने खुद देखा कि आपके ही संवाददाता को वह पीयूष पाठक यह बता रहा है कि वो रांची के मारवाड़ी कॉलेज में आर्ट्स में 12वीं का छात्र हैं। आपने यह भी सुना होगा कि जब आपके संवाददाता ने उससे यह पूछा कि आपके पिताजी क्या करते हैं तो वह यह बताता है कि उसके पिताजी बिजनेसमैन है, ज्वेलरी शॉप चलाते हैं, उसने यह नहीं कहा कि उसके पिताजी रोटी बैंक चलाते है। रोटी बैंक जानते हैं न।

जिसको लेकर आपने इसी पीयूष पाठक के पिता विजय पाठक को झारखण्ड गौरव सम्मान झारखण्ड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन व स्पीकर रबीन्द्र नाथ महतो के हाथों दिलवा दिया था और 27 अगस्त 2023 को प्रभात खबर के पृष्ठ संख्या 6-7 में इसके पिता का फोटो डालकर यह खबर डाल दिया था कि इसके पिता विजय पाठक ने रोटी बैंक की स्थापना की थी और इसका पिता विजय पाठक रोटी बैंक का सारा खर्च खुद उठाता है।

अब सवाल उठता है कि तीन जुलाई 2023 को जब उसका बेटा प्रभात खबर को इंटरव्यू दे रहा है और जब यह पूछा जाता है कि उसके पिता क्या करते हैं तो वह रोटी बैंक का नाम तक नहीं लेता, बल्कि गर्व से यह कहता है कि उसके पिता ज्वेलरी शॉप चलाते हैं, बिजनेसमैन है। ऐसे में आप सभी ने उसके पिता को झारखण्ड गौरव सम्मान क्यों और कैसे दिलवा दिया? हालांकि इसकी पोल पट्टी तो मैंने 27 अगस्त को ही खोल दी थी।

जो विद्रोही24 के नियमित पाठक है। वे जरुर पढ़े होंगे। उन्हें याद होगा। मैंने इस शीर्षक से विद्रोही 24 पर समाचार छापा था। हेडिंग थी – “प्रभात खबर ने ऐसे व्यक्ति को राज्यपाल और स्पीकर के हाथों झारखण्ड गौरव सम्मान दिलवा दिया, जो उसके योग्य है ही नहीं, संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को ऐसे कार्यक्रमों से बचना चाहिए”।

एक अन्य प्रश्न के उत्तर में वो कहता है कि वो गंगा आरती सीखने के लिए कुछ दिन वो बनारस में रहा और फिर रांची आकर एक महीना प्रैक्टिस किया फिर जाकर वो गंगा आरती करने लगा। उसकी इस बात में ही सब कुछ क्लियर हो जाता है कि न तो उसे रांची की हरमू नदी, न तो स्वर्णरेखा, न रांची के बड़ा तालाब और न ही उसे जुमार से प्यार है, वो तो जान चुका है कि गंगा के नाम पर धर्मभीरु जनता को अपनी ओर आकर्षित किया जा सकता है और उसमें वो आप जैसे अखबारों व मीडिया के लगातार प्रचार-प्रसार, कि वो काशी से जुड़ा है, काशी के पंडितों के द्वारा गंगा आरती कह-कहकर उसका भाव बढ़ा दिया।

फिर वो इवेन्टस करानेवालों से जुड़ा और उसके बाद आज वो गंगा आरती के नाम पर सर्वाधिक बाह्याडंबर व पाखंड फैलानेवाला तथाकथित आपके अनुसार आचार्य बन गया। आपने लिखा है न पांच आचार्यों के साथ, जरा जिन्हें आप पांच आचार्य कहकर संबोधित कर रहे हैं, जरा उनका चेहरा देख लीजिये, क्या वे आचार्य के आस-पास भी दिख रहे हैं। अरे जो खुद कह रहा है कि वो मारवाड़ी कालेज के कला संकाय के 12वीं कक्षा का छात्र हैं, उनलोगों को आप आचार्य बनाने पर तुल गये।

कल यानी 27 नवम्बर को एक बार फिर आपके अखबार ने फिर वहीं गलती दोहराई। एक ऐसे किशोर (विजय पाठक का बेटा पीयूष पाठक) को, जो मारवाड़ी कॉलेज का कला संकाय में 12वीं का छात्र हैं, उसे गंगायात्री, आचार्य और पता नहीं क्या-क्या नाम से विभूषित कर दिया? वो भी तब जब आप खुद को अखबार नहीं आंदोलन कहते हैं। क्या अपने छाती पर हाथ धर कर राज्य की आम जनता के सामने यह कह सकते हैं कि आप सही है?

आप तो अपना कोई भी कार्यक्रम करते हैं तो बड़े-बड़े क्लबों में बड़े-बड़े तथाकथित सम्मानित लोगों को बुलाकर संपन्न करा लेते हैं, जो तथाकथित स्वसम्मान के लिए आपके सामने मुंह बनाकर आपको बहुत अच्छा कहकर उस प्रेक्षागृह से निकल जाते है, पर आपको नहीं पता कि इसके कितने गंभीर परिणाम आनेवाले समय में निकलेंगे।

स्थिति ऐसी है कि आपकी इन गलतियों के कारण समाज में जो गड़बड़ करनेवाले, अपनी महत्वाकांक्षा को शार्टकट रास्ते से पूरा करनेवाले, अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए समाज को गलत रास्ता दिखानेवाले लोगों की बल्ले-बल्ले हो गई है। अब तो ये लोग आपके द्वारा दी गई सम्मान का हवाला देकर, बहुत कुछ करने लगे हैं, समाज को प्रदूषित करने लगे हैं।

अब तो इनका मन इतना बढ़ गया है कि बनारस की गंगा आरती, बनारस में ही सिमट गई और इसकी झूठी गंगा आरती पूरे झारखण्ड में आपकी झूठी खबरों के कारण महिमामंडित होती जा रही हैं और सामान्य जन इन गलत लोगों के झांसे में पड़ते चले जा रहे हैं। इंवेट्स करानेवाले मालामाल हो रहे हैं।

अंत में मैं यही कहुंगा कि कभी यही प्रभात खबर निर्मल बाबा की सारी पोल पट्टी खोलकर उनकी बाह्याडंबर व पाखण्ड की धज्जियां उड़ा दी थी और आज देखिये यही प्रभात खबर बाह्याडंबर, पाखण्ड व झूठ को बढ़ावा दे रहा हैं और ऐसे लोगों को पुरस्कृत भी कर रहा है। पता नहीं, ये संस्कारहीनता कैसे और कब आजकल के अखबारों में समा गई।