अपनी बात

प्रभात खबर ने अपने ही समाचार का किया चीर-हरण, CM की छवि चमकाने के चक्कर में जनता की आंखों में झोका धूल

झारखण्ड में पत्रकारिता का स्तर कितना नीचे गिरा हुआ हैं, उसका एक और परिणाम आज देखने को मिला, जब मुख्यमंत्री रघुवर दास से जुड़ी खबर को प्रभात खबर पूरी तरह से खा गया। यह वही अखबार हैं, जो खुद को झारखण्ड में अखबार नहीं आंदोलन बताता है, पर ये कर क्या रहा हैं? आजकल यह इस प्रकार खुद को पेश कर रहा हैं, जैसे लगता है कि यह भारतीय जनता पार्टी का मुख पत्र हो गया हो।

जरा देखिये न, आप आज प्रभात खबर का जमशेदपुर से प्रकाशित चाईबासा संस्करण। उस अखबार में प्रभात खबर ने एक समाचार छापा है, प्रथम पृष्ठ पर छपे इस न्यूज का शीर्षक है – “सीएम ने बच्चों से पूछा, सीएम कौन? बच्चे बोले…” और विस्तार से लिखे समाचार में बताया गया है कि बच्चों ने इसका उत्तर ‘मधु कोड़ा’ बताया।

जबकि रांची से प्रकाशित प्रभात खबर में यह खबर छापी तो गई, पर असली बात छुपा दी गई और लिखा गया कि “बच्चे इस बात से आश्चर्यचकित थे कि सूबे का सीएम खुद उनके स्कूल पहुंचा है और सीएम कौन है, यह सवाल पूछ रहा है।” यानी सूत्र बताते हैं कि प्रभात खबर को जैसे ही यह संदेश मिला कि उसके चाईबासा वाले संस्करण में छपे समाचार से सीएम रघुवर दास की छवि तथा भाजपा को नुकसान होनेवाला है, वह खबर को ही बड़ी चतुराई से बदल दिया गया, यानी बेशर्मी देखिये इस अखबार की, खुद समाचार छापते हैं, और अपने ही समाचार का अगले संस्करण में खंडन भी करते हैं या वे उस समाचार को ट्विस्ट कर जनता को भरमाते हैं, अरे हमारा कहना है कि जब आप छाप ही दिये, तो रहने देते, नहीं तो छापते ही नहीं, क्या जरुरत थी जनता को भरमाने की, अरे अपना कोई स्टैंड तो क्लियर करिये, अगर चापलूसी ही करनी हैं तो आपको मना कौन कर रहा है, पूरी निष्ठा के साथ चाटुकारिता करिये।

जबकि प्रभात खबर में छपे चाईबासा संस्करण की यह घटना इस बात का प्रमाण है कि राज्य की शिक्षा व्यवस्था का हाल क्या है? राज्य के छठीं-सातवीं के छात्र-छात्राओं को यह पता ही नहीं कि उसके राज्य का मुख्यमंत्री कौन हैं, और वह भी उस व्यक्ति को बता रहा हैं, जो उसके सामने खुद (मुख्यमंत्री) खड़ा है। जैसा कि प्रभात खबर ने अपने समाचार में कोट किया हैं। कमाल तो यह भी है कि जहां मुख्यमंत्री बच्चों से बात कर रहे हैं, उसके ठीक सामने पांच साल पहले के राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी का फोटो और उस वक्त के शिक्षा मंत्री बंधु तिर्की का फोटो लगा है।

यानी पांच साल बीतने को आये, इनके शासनकाल की, शिक्षा मंत्री नीरा यादव और इनके विभागीय प्रधान सचिव, राज्य के बहुतेरे विद्यालयों से पुराने शिक्षा मंत्री व पुराने राज्यपाल के चित्र को भी बाहर करने में असफल रहे हैं, तो भाई बच्चे जिसे देखेंगे, उसे ही तो सत्य मानेंगे।होना तो यह चाहिए था कि प्रभात खबर इस माध्यम से जनता तथा सरकार को संदेश देता, और बताता कि इसके क्या दुष्परिणाम हो रहे हैं, वह यह बताता कि राज्य में शिक्षा का स्तर कितना गिर गया है? 

पर यहां हो क्या रहा हैं, बच्चों का भविष्य भले ही बर्बाद हो जाये, मुख्यमंत्री की छवि धूमिल नहीं होनी चाहिए, उनका वोट बैंक बर्बाद नहीं होनी चाहिए, इसकी चिन्ता इन अखबारों में काम करनेवाले संपादकों को हो गई और उन्होंने चाईबासा की जनता को जो समाचार परोसा, वह समाचार झारखण्ड की अन्य जनता के बीच परोसने में दिलेरी नहीं दिखाई, वह चीज दिखाया, जो उसे राज्य सरकार द्वारा दिखाने को कहा गया, शायद प्रभात खबर के लोगों को लगा होगा कि कहीं ऐसा नहीं कि राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास की भौहें तन जाये और उसको मिलनेवाला विज्ञापन ही बंद हो जाये।

बुद्धिजीवियों की मानें तो इन दिनों प्रभात खबर पर रघुवर कृपा खुब बरस रही हैं, और इस रघुवर कृपा को कोई छेड़ना या बंद करना नहीं चाहता, क्योंकि माल है तो जहान हैं, इसी परिपाटी पर अखबार चल रहे हैं, चाहे उसके लिए समाचार की ऐसी-तैसी ही करना क्यों न पड़ जाये, या इसके लिए जनता की आंखों में धूल ही क्यों न झोकना पड़ जाये।

प्रभात खबर में कार्यरत कई लोगों ने विद्रोही24.कॉम को इस संबंध में कहा कि प्रभात खबर जनता की आंखों में धूल झोंक रहा हैं, या समाचार की ऐसी-तैसी कर रहा हैं, या खुद आत्महत्या कर रहा हैं, जल्द ही पता चल जायेगा, क्योंकि सत्य को कोई चुनौती नहीं दे सकता, सत्य सर चढ़कर बोलता हैं, अभी भी वक्त हैं, प्रभात खबर प्रबंधन स्वयं में सुधार लाये, जितनी रघुवर भक्ति में वो लगा हैं, उतनी जनता की भक्ति में लग जाये, वहीं उसके सेहत के लिए अच्छा है।

इधर सोशल साइट पर मुख्यमंत्री कौन – मधु कोड़ा नामक पोस्ट खूब वायरल हो रहा हैं, तथा लोग चुटकी भी ले रहे हैं, तथा राज्य की बदहाली के लिए मुख्यमंत्री रघुवर दास को भला-बुरा कहने से भी नहीं चूक रहे। स्थिति यह है कि अब पत्रकारिता पूरी तरह से झारखण्ड में समाप्त हो चुकी हैं, और सभी एक ही लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं कि धन कैसे और कितनी जल्दी कमा ली जाये, तो जहां ऐसी स्थिति रहेगी, उस राज्य का क्या हाल होगा? समझते रहिये।