PM मोदी देख, तेरा रघुवर बिगड़ा जाय… लोगों को कानून हाथ मे लेने के लिए उकसा रहे CM रघुवर  

राज्य के होनहार मुख्यमंत्री रघुवर दास मूड में हैं, राज्य की जनता ने पीएम मोदी से प्रभावित होकर उन्हें लोकसभा में उनके गठबंधन को 12 सीटें क्या थमा दी, वो अपने आप में नहीं हैं, जो मन कर रहा है, बोल दे रहे हैं, उन्हें समझ भी नहीं आ रहा कि वे जो बोल रहे हैं, उसका आम जनमानस पर क्या प्रभाव पड़ेगा?  कमाल की बात है, झारखण्ड के इस होनहार मुख्यमंत्री रघुवर दास को पीएम मोदी व देश के गृह मंत्री की ओर से भी खुली छूट मिली है, इसलिए भाजपा में इनके बोलचाल व व्यवहार से तंग आ चुके लोग भी चुप्पी साधे हुए हैं, क्योंकि जानते है कि वर्तमान में इस व्यक्ति के खिलाफ बोलना, भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं से खतरे मोल लेना है।

राज्य की स्थिति देखिये, पिछले दिनों महुआडांड़ इलाके में एक व्यक्ति की भूख से मौत हो जाती है, और इस दरम्यान जो पता चलता है, वह राज्य के अंदर चल रही खाद्यआपूर्ति विभाग की पोल खोलकर रख देती है, गांव के लोग बताते है कि पिछले तीन महीनों से उन्हें राशन नहीं मिला, क्योंकि जो डीलर हैं, वह नेटवर्क नहीं होने के कारण राशन का भुगतान नहीं की, यानी जिसके शासनकाल में हर महीने लोगों को राशन नहीं मिल रहा, इंटरनेट व नेटवर्क नहीं रहने के कारण लोग अनाज का उठाव नहीं कर पा रहे, और भूखमरी के शिकार हो जा रहे हैं, वो दूसरे को कह रहा है कि राज्य का विपक्ष जनता को बरगला रहा है।

जहां पानी के लिए हाहाकार हैं, जहां पानी लेने के लिए छुरेबाजी तक हो जा रही है, जिस राज्य के कर्ज का बोझ बजट आकार के करीब पहुंच गया, जहां का मुख्यमंत्री पिछले साढ़े चार साल तक जनता से झूठ बोलता रहा, दुष्प्रचार करता रहा कि वह दिसम्बर 2018 तक, पूरे राज्य में 24 घंटे बिजली उपलब्ध करा देगा, और अगर ऐसा नहीं कर सका, तो 2019 में वोट मांगने नहीं आयेगा, वहां आज भी बिजली के लिए त्राहिमाम् हो रहा हैं, और वो कह रहा है कि कोई राजनीतिक दल जनता को बरगलाने आये तो जनता को चाहिए कि उसे घर में रस्सी से बांधकर रखे और फिर पुलिस को इन्फार्मेशन करें।

इसका मतलब क्या हुआ? इसका मतलब तो यहीं है कि उस राज्य का मुख्यमंत्री खुद चाहता है कि लोग कानून हाथ में लें, राज्य में अराजकता की स्थिति हो जाये, लोग अपने-अपने ढंग से निर्णय लेना शुरु कर दें, और जब जनता यहीं काम उन्हीं के लोगों पर आजमाना शुरु कर दें, या खुद उन्हीं पर आजमाना शुरु कर दे कि भाई आप भी हमको बिजली को लेकर साढ़े चार साल तक बरगलाते रहे, क्यों न आपको ही अपने घर में रस्सी से बांधकर रखा जाये, तो कैसा रहेगा?

दरअसल, हमारे सीएम रघुवर को बोलने की तमीज ही नहीं, और न उन्होंने कभी कोशिश की कि बोलना सीखा जाय, वे हरदम अल-बल बोलते रहते हैं। खुद अटल बिहारी वाजपेयी कहते है और वह भी सदन में कि हम राजनीतिक दल चुनाव के दौरान एक दूसरे पर छीटाकशी-दोषारोपण करते हैं, पर वह छीटाकशी-दोषारोपण मर्यादा में हो,तो ठीक है, अगर मर्यादाविहीन हो जाये तो दिक्कतें आयेंगी, पर शायद अटल बिहारी वाजपेयी के इस पाठ को सीएम रघुवर ने सीखने की कोशिश नहीं की।

राजनैतिक पंडित बताते है कि सीएम रघुवर खुद बताएं कि अगर सभी लोग यहीं काम शुरु कर दें कि जो नेता या अधिकारी, जो बोलते हैं और किसी कारणवश उसे पूरा नहीं कर पाते हैं, और सभी के साथ जनता, सीएम रघुवर के अनुसार घर में रस्सी से बांधकर रखना शुरु कर दें तो राज्य की स्थिति कैसी होगी? राजनैतिक पंडितों का कहना है कि पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को इस पर तुरन्त ध्यान देना चाहिए, नहीं तो अगर वे ये सोचते है कि जैसे लोकसभा में झारखण्ड के 12 सीटों पर कमल खिला दिया, उसी प्रकार 60 सीटें जीत लेंगे, बहुमत प्राप्त कर लेंगे, तो वे सीधे-सीधे मुगालते में हैं, क्योंकि राज्य की जनता सीएम रघुवर और उनके व्यवहार को पसन्द नही करती, और इसका उपहार उन्हें विधानसभा में जरुर दे देगी, जब भाजपा एक-एक सीट के लिए तरस रही होगी।

ऐसे भी राज्य का कोई बुद्धिजीवी पसन्द नहीं करेगा, कि मुख्यमंत्री रघुवर दास की भाषा इस प्रकार की  हो, जिससे कानून व्यवस्था पर ही संकट आ जाये, इससे तो राज्य में अराजकता की स्थिति उत्पन्न हो जायेगी। हम आपको बता दें कि यह गैरजिम्मेदाराना वक्तव्य मुख्यमंत्री रघुवर दास ने छः जून को चक्रधरपुर में दिया, जिससे पूरे राजनीतिक दलों व राज्य के बुद्धिजीवियों में आक्रोश व्याप्त है।