अपनी बात

हसुंआ के ब्याह में खुरपी के गीत मत गाइये संजय सेठ जी, जनता को रात्रि बाजार नहीं, अभी पानी चाहिए

ठीक है, मोदी लहर में आप भारी मतों से जीत गये। रांची की जनता ने आपको माथे बिठा लिया। आप सांसद हो गये। आपके लोग आपको माथे पर बिठाकर खुब जय-जयकारा कर रहे हैं। खुब अबीर-गुलाल उड़ा रहे हैं। आप भी उनके साथ होकर परम आनन्द की प्राप्ति कर रहे हैं। ऐसा करना भी चाहिए, नहीं तो कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट जायेगा, पर जब वे कार्यकर्ता आपको कंधे से उतारकर जमीन पर रखे, तो जनता और कार्यकर्ता से पूछिये कि रांची की असली समस्या क्या है? और सबसे पहले उसी समस्या को ठीक करने में लग जाइये, नहीं तो फिर वहीं होगा, जो अब तक होता रहा है, जैसे राम टहल चौधरी हुए, सुबोधकांत सहाय हुए, आप भी हो जायेंगे।

क्योंकि मैं देख रहा हूं कि आजकल आप सोशल साइट और अखबारों में खूब छाये हुए हैं। आपके चाहनेवाले कार्यकर्ता ही नहीं, पत्रकारों का समूह भी आपके साथ सेल्फी लेकर गौरवान्वित महसूस कर रहा हैं और एक दिन ऐसा भी आयेगा कि जो लोग आज आपके साथ सेल्फी लेकर गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं, आपको आपके मुख पर तो नहीं, लेकिन परोक्ष में गाली अवश्य देंगे, क्योंकि वर्तमान समाज की यहीं नियति रही है, जिसे आप जानबूझकर समझने की कोशिश नहीं कर रहे।

आप रांची में रहते हैं, क्या आपको पता नहीं कि वर्तमान में रांची किन-किन समस्याओं से जूझ रहा हैं, और अगर आपको नहीं पता तो इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है? क्या सचमुच आज रात्रि बाजार की बहुत बड़ी आवश्यकता है, या प्यासी रांची को पानी पिलाने की आवश्यकता है? आप प्यासी रांची को पानी की जगह पर रात्रि बाजार का आनन्द लेने को कह रहे हैं, क्या बता सकते है कि जिसे पानी चाहिए, वो बाल्टी, गागर, तसला, डेगची लेकर पानी लाने के लिए रात्रि बाजार का रुख करेगा?

क्या ये सहीं नहीं है कि रांची में, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, नगर विकास मंत्री, मेयर, डिप्टी मेयर, सांसद, विधायक सभी भाजपा का, और उसके बाद भी रांची प्यासी है, आखिर इसके लिए जनता की नजरों में अपराधी कौन है? वो कौन अपराधी है, जो हरमू नदी, जुमार नदी और स्वर्णरेखा नदी को अपने आगोश में ले लेता है? वो कौन अपराधी है, उस अपराधी को किसने मनोबल बढ़ा दिया, जिसने पूरी रांची से तालाब को ही गायब कर दिया? वो कौन ऐसी कुकर्मी सरकार है, जो पार्क व उद्यानों में भी बाजार खुलवा देती है?

बड़े-बड़े मॉल बनवा देती है, पूंजीपतियों के आगे अपनी जाति दिखाकर उसे लूटने का मनोबल बढ़ाने का संदेश देती है? जिसका परिणाम यह होता है कि गर्मी आने के पहले ही पानी के लिए लोग तड़पने लगते है? पर आपके भाजपाई लोगों को उन पर तरस नहीं आता। वो कौन ऐसा मंत्री हैं, जिसके पास लोग समस्या का समाधान मांगने जाते हैं और वह उनके सामने प्रवचन करता है, उनके सम्मान के साथ खेलता है? ऐसे तो बोलने की तमीज तो राज्य के मुख्यमंत्री तक को नहीं हैं, तो उस मंत्री की कौन कहे?

जरा देखिये पूर्व में भाजपा के प्रवक्ता रह चुके प्रेम कटारुका कहते है कि रांची के नवनिर्वाचित सांसद संजय सेठ एवं मेयर आशा लकड़ा तथा रांची के सभी प्रशासनिक अधिकारियों से अपील मांग करते है कि बड़ा तालाब को पहले पूर्ण रुपेण विकसित कर जनहित में पर्यटन की दृष्टि से नागरिकों के लिए संध्या 7 बजे तक निःशुल्क खोले। बड़ा तालाब पर रात्रि बाजार जैसी व्यवस्था व्यापक जनहितार्थ नहीं है, और क्यों नहीं इसका पता सभी राजनेताओं और राज्य के सभी स्तर के प्रशासनिक पदाधिकारियों को ज्ञात है। जानबूझकर हाथ जलाने के लिए हवनकुंड बनाना समझ से परे है। राक्षसी प्रवृत्ति के लोगों की बढ़ती संख्या के ध्यानार्थ रात्रि बाजार को स्थगित रखना ही जनहित में होगा।

क्या आप अपने ही लोगों के इस विचार को सुनने या समझने की कोशिश की। कमाल है आप तो इस प्रकार से रांची का दौरा कर रहे हैं, जैसे लगता है कि हर समस्या का समाधान आपके पास मौजूद है, अरे भाई जब राज्य का मुख्यमंत्री, नगर विकास मंत्री, मेयर, डिप्टी मेयर रांची शहर की दशा पांच वर्षों में नहीं बदल सका तो आप मात्र कुछ दिनों में क्या कर लेंगे? क्या हमें नहीं पता कि एक सांसद के कौन-कौन से अधिकार और कर्तव्य है?

आप कहते है कि आप सभी विधानसभा केन्द्र में छः समाधान केन्द्र खोलेंगे, चलिए अगर आपने खोल भी लिया तो उससे क्या हो जायेगा? अरे जिस राज्य में मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र राज्य की जनता की समस्याओं का समाधान नहीं कर पाया, और वो खुद एक समस्या बनकर जनता के बीच स्थापित हो गया, वहां आप क्या कर लेंगे? वह भी तब जबकि आपके पास अधिकार ही नहीं कि आप कुछ करा सकें, क्योंकि आपको भी जनता का काम कराने के लिए वहीं जाना होगा, जहां जनता जाती है, और जनता की समस्या को खुद समाधान का दावा करनेवाले राज्य के मुख्यमंत्री ही ढपोरशंखी है, उनका जनसंवाद केन्द्र एक खास लोगों के हाथों की कठपुतली है तो क्या आपका समाधान केन्द्र किसी के हाथों का कठपुतली नहीं होगा, इसकी क्या गारंटी है?

कल रांची प्रेस क्लब में जो आपने प्रेस कांफ्रेस किये हैं और जो अखबारों में छपा है, उसे देखकर तो साफ लगता है कि आप भी अन्य सांसदों की तरह जनता को सपने दिखाने में ज्यादा विश्वास कर रहे हैं, और आपके साथ जो लोग अभी कुछ ज्यादा चिपक गये हैं, उनको देखकर तो मैं गारंटी के साथ कह सकता हूं कि वे आपके इमेज को चौपट कर देंगे, इसलिए बोले कम, मन में बातों को रखे, और जनता के बीच खुद अकेले जाकर, उनकी समस्याओं को दूर करने का प्रयास कीजिये, उनकी समस्याएं तो बहुत ही साधारण है, आप जायेंगे और खत्म हो जायेगा, और वह हैं उनसे सीधा संपर्क, उनके दुख में भागीदार हो जाना, और सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर सरकार और अधिकारियों को विवश कर देना कि वे काम करें, जिस काम के लिए वे पैसे लेते हैं, जिस सेवा के लिए वे पैसे लेते है, निःसंदेह आप सदा के लिए अपने कामों से अमर हो जायेंगे, क्योंकि उपनिषद् कहता है – कीर्तियस्य स जीवति।