अपनी बात

स्टाइलिस CM रघुवर के राज में जनता का दाना-पानी बंद, अब तक 20 की भूख से मौत और इधर जनाब अबकी बार 60 के पार में लग गये

कमाल है, राज्य की जनता भूखों मर रही हैं, संतोषी के भूख से हुई मौत के बाद अब तक 20 लोग भूख से मर गये, पर ये सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा, इधर राजधानी रांची में पानी के लिए हाहाकार हैं, लोग पानी के लिए आपस में लड़ रहे हैं, पानी के लिए हो रही छूरेबाजी से लोग घायल हो रहे हैं, पर सरकार का इस पर कोई ध्यान नहीं हैं, जनता बिजली और पानी के लिए हाहाकार कर रही हैं पर सरकार सब कुछ छोड़कर फिलहाल अबकी बार 60 के पार में लग गई हैं। ये कहना है, झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य का जो आज संवाददाताओं को संबोधित करने के क्रम में बोल रहे थे।

उनका कहना था कि महुआडांड़ प्रखण्ड के दुरुप पंचायत के लुरगुमी कला गांव में पांच जून को राम चरण मुंडा की हुई भूख से मौत राज्य सरकार के कारनामों की पोल खोलकर रख दी है, उन्होंने कहा कि अब तक राज्य में भूख से 20 लोगों की मौत हो गई, पर सरकार सुधर नहीं रही। साढ़े चार सालों में संतोषी की भूख से हुई मौत के बाद शुरु हुआ सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा। जब भी कोई ऐसी हृदय विदारक घटना घटती हैं तो सरकार के अधिकारी पचास किलो अनाज और सामाजिक सुरक्षा के द्वारा दी जानेवाली राशि को लेकर भुक्तभोगी के यहां पहुंच जाते हैं, जो बताता है कि यहां सरकार मानवता की हत्या करने पर उतर गई है।

उन्होंने कहा कि जिस मीना देवी को राशन उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी थी, उसने तीन महीने से राशन का बंटवारा ही नहीं किया था, क्योंकि उसके पास नेटवर्क ही नहीं था, सुप्रियो भट्टाचार्य ने इस पर कहा कि यह कितने शर्म की बात है कि इंटरनेट नहीं रहने, नेटवर्क नहीं रहने के कारण लोगों को अनाज नहीं मिल पा रहा और लोग भूख से मर जा रहे हैं, क्या इसके जगह पर मैन्यूल व्यवस्था कर लोगों को अनाज उपलब्ध नहीं कराया जा सकता था, उन्होंने कहा कि शर्म आनी चाहिए ऐसी सरकार को, जो अभी भी मैन्यूल तरीके से अनाज उपलब्ध न कराकर बायोमिट्रिक पद्धति से अनाज उपलब्ध कराने की अपनी हठधर्मिता का परित्याग नहीं कर रही।

उन्होंने कहा कि विकास के नाम पर पूरे राज्य में कंक्रीटों का हौदा तैयार कर दिया गया है, तालाबों की सफाई और उसकी गहराई को ठीक नहीं किया गया और देखते-देखते राज्य के सारे तालाब सरकार की गलत नीतियों के कारण सूख गये और राज्य भीषण जल संकट से जूझ रहा है। उन्होंने कहा कि एक तरफ राज्य सरकार योग दिवस मनाने जा रही हैं, जिसमें पीएम मोदी भी शामिल होंगे, क्या सरकार बता सकती है कि बिना दाना-पानी के योग व प्राणायाम संभव है? उन्होंने कहा कि मोमेंटम झारखण्ड और प्लेसमेंट पर झामुमो की नीति स्पष्ट है, इस राज्य में झामुमो सत्ता में आयेगा तो राज्य में ही रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने की व्यवस्था करेगा और अगर ऐसा संभव नहीं हुआ तो बेरोजगारों को जब तक रोजगार उपलब्ध नहीं हो जाता, उन्हें एक निश्चित राशि उपलब्ध कराता रहेगा।

इधर राजनैतिक पंडितों का कहना है कि एक ओर जहां लोग भूख से मर रहे हैं, लोगों को पानी मयस्सर नहीं हो रहा, बिजली का ये हाल है कि कब आई और कब गई किसी को पता ही नहीं रहता, उद्योग-धंधे चौपट हो गये, उसकी तो बात ही अलग है, इधर प्री-मानसून की बारिश नहीं होने के कारण राज्य के किसानों की हालत खराब है, क्योंकि प्री-मानसून की बारिश होने से वे धान की फसल पर ध्यान देते थे, पर स्थिति विकराल होती जा रही है, पर राज्य सरकार को इस ओर ध्यान हीं नहीं है और सारी बातों को छोड़कर, ये चल पड़े हैं अबकी बार 60 के पार का ढोल पीटने।

सच्चाई यह है कि रघुवर सरकार को पानी और बिजली पर ध्यान देना था, पर वो पानी और बिजली पर क्या ध्यान देगी, वो तो अभी से चुनाव के मूड में आ गई हैं, जनता जाये भाड़ में और इधऱ जनता है, जो बेबस है, लाचार है, किसके पास दर्द सुनाने जाय, उसे समझ नहीं आ रहा, इधर कई राजनीतिक दलों ने बिजली और पानी तथा भूख से हुई मौत पर सड़कों पर उतरने का फैसला किया हैं, अगर यहीं हाल रहा तो लोगों का भाजपा से विश्वास सदा के लिए उठ जायेगा, इसमें किसी को अतिश्योक्ति भी नहीं होना चाहिए।